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Home ताज़ा समाचार

बाइडेन प्रशासन ने अफगानिस्तान से जल्दबाजी में सेना बुलाने का जिम्मा ट्रंप पर थोपा

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April 7, 2023
in ताज़ा समाचार
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बाइडेन प्रशासन ने अफगानिस्तान से जल्दबाजी में सेना बुलाने का जिम्मा ट्रंप पर थोपा
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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

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इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

–आईएएनएस

एकेजे/एसकेपी

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

–आईएएनएस

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

–आईएएनएस

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

–आईएएनएस

एकेजे/एसकेपी

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

–आईएएनएस

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

–आईएएनएस

एकेजे/एसकेपी

वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

–आईएएनएस

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

–आईएएनएस

एकेजे/एसकेपी

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

–आईएएनएस

एकेजे/एसकेपी

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

–आईएएनएस

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

–आईएएनएस

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

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वाशिंगटन, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिकी प्रशासन ने अफगानिस्तान में वर्ष 2021 में सत्ता पर तालीबान के कब्जे के मद्देनजर जल्दबाजी में वहां से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय में लिए गए फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों के कारण जो बाइडेन विवश थे। इसमें युद्ध की समाप्ति के संदर्भ में 2020 का दोहा समझौता भी शामिल है।

ह्वाइट हाउस नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल द्वारा गुरुवार को सार्वजनिक की गई एक नई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति बाइडेन की राय का भी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।

इसमें कहा गया है कि जनवरी 2021 में राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन का मानना था कि अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त कर अपने सैनिकों को देश वापस लाना ही उचित होगा। लेकिन इस काम को कैसे अंजाम देना है इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों के कारण उनके विकल्प सीमित थे।

रिपोर्ट में कहा गया है, जब ट्रंप 2017 में राष्ट्रपति बने अफगानिस्तान में 10,000 अमेरिकी सैनिक थे। अठारह महीने बाद यथास्थिति बनाए रखने के लिए 3000 और सैनिकों की तैनाती के बाद उन्होंने तालिबान से सीधे वार्ता करने का आदेश दिया। उन्होंने हमारे साझेदारों और सहयोगियों से भी बात नहीं की और न ही अफगानिस्तान की सरकार को बातचीत के लिए बुलाया।

सितंबर 2019 में 9/11 की बरसी पर तालिबान को कैम्प डेविड में बुलाकर ट्रंप ने उसका हौसला और बढ़ा दिया। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने पर सहमत हो गया।

इसके बदले तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गया। उसने अमेरिकी सैनिकों और अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर हमला न करने का वादा किया, लेकिन तभी तक जब तक अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिए तय समय सीमा का पालन करेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि समझौते के तहत पूर्व राष्ट्रपति ने अफगानिस्तान की सरकार पर 5,000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा करने का दबाव बनाया, लेकिन तालिबान द्वारा बंदी बनाए गए एक मात्र अमेरिकी की रिहाई सुनिश्चित नहीं की।

अपने कार्यकाल के अंतिम 11 महीनों में ट्रंप ने अमेरिकी सैनिकों की संख्या घटाने के कई आदेश जारी किए और जून 2020 तक अफगानिस्तान में मात्र 8,600 अमेरिकी सैनिक रह गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अवर्गीकृत आदेश में, जिस पर ट्रंप के हस्ताक्षर हैं, अमेरिकी सेना को 15 जनवरी 2021 से पहले अफगानिस्तान से सभी सैनिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। एक सप्ताह बाद उस आदेश को रद्द कर उसकी जगह सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 करने के लिए कहा गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता हस्तांतरण के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैनिकों की पूर्ण वापसी या वहां अमेरिकियों और अफगान सहयोगियों को निकालने के बारे में कोई योजना नहीं बताई। इसके चलते जब राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी 2021 को सत्ता में आए तो सैन्य स्थिति के लिहाज से तालिबान 2001 के बाद की सबसे मजबूत स्थिति में था। लगभग आधा देश या तो उसके कब्जे में था या वे वहां लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अमेरिका के पास मात्र 2,500 सैनिक थे जो 2001 के बाद सबसे कम संख्या थी।

अगस्त 2021 में अचानक सैनिकों की वापसी से अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हुआ।

जब 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में तख्तापलट हुआ, काबूल हवाई अड्डे पर निराशाजनक दृश्य था। बड़ी संख्या में लोग तालिबान से भागना चाह रहे थे। हवाई अड्डे पर 26 अगस्त को दो आत्मघाती हमलावरों के बम विस्फोट में 170 अफगानी नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए। ये अमेरिकी सैनिक 1,20,000 लोगों को चंद दिनों के भीतर वहां निकालने का प्रयास कर रहे थे।

रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ह्वाइट हाउस में बैठे बेवकूफों पर गलतफहमी फैलाने का नया खेल – अफगानिस्तान में अपने अक्षम आत्मसर्पण के लिए ट्रंप को बदनाम करो – का आरोप लगाया।

उन्होंने लिखा, बाइडेन जिम्मेदार है, कोई और नहीं!

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