नई दिल्ली, 19 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिलकिस बानो मामले में दोषियों द्वारा संबंधित जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए चार से छह सप्ताह का समय बढ़ाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए 21 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों में कोई दम नहीं है।
10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
गुरुवार को, शीर्ष अदालत ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी और न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति भुइयां को विशेष पीठ गठित करने के लिए कहा था।
इस विशेष पीठ ने गुजरात सरकार द्वारा पारित छूट आदेशों को रद्द कर दिया था और 11 दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था।
–आईएएनएस
एसकेपी/
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नई दिल्ली, 19 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिलकिस बानो मामले में दोषियों द्वारा संबंधित जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए चार से छह सप्ताह का समय बढ़ाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए 21 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों में कोई दम नहीं है।
10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
गुरुवार को, शीर्ष अदालत ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी और न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति भुइयां को विशेष पीठ गठित करने के लिए कहा था।
इस विशेष पीठ ने गुजरात सरकार द्वारा पारित छूट आदेशों को रद्द कर दिया था और 11 दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था।
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न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए 21 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों में कोई दम नहीं है।
10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
गुरुवार को, शीर्ष अदालत ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी और न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति भुइयां को विशेष पीठ गठित करने के लिए कहा था।
इस विशेष पीठ ने गुजरात सरकार द्वारा पारित छूट आदेशों को रद्द कर दिया था और 11 दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था।
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नई दिल्ली, 19 जनवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिलकिस बानो मामले में दोषियों द्वारा संबंधित जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए चार से छह सप्ताह का समय बढ़ाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए 21 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों में कोई दम नहीं है।
10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
गुरुवार को, शीर्ष अदालत ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी और न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति भुइयां को विशेष पीठ गठित करने के लिए कहा था।
इस विशेष पीठ ने गुजरात सरकार द्वारा पारित छूट आदेशों को रद्द कर दिया था और 11 दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था।
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न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए 21 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों में कोई दम नहीं है।
10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
गुरुवार को, शीर्ष अदालत ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी और न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति भुइयां को विशेष पीठ गठित करने के लिए कहा था।
इस विशेष पीठ ने गुजरात सरकार द्वारा पारित छूट आदेशों को रद्द कर दिया था और 11 दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था।
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न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए 21 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों में कोई दम नहीं है।
10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
गुरुवार को, शीर्ष अदालत ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी और न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति भुइयां को विशेष पीठ गठित करने के लिए कहा था।
इस विशेष पीठ ने गुजरात सरकार द्वारा पारित छूट आदेशों को रद्द कर दिया था और 11 दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था।
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न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए 21 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों में कोई दम नहीं है।
10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
गुरुवार को, शीर्ष अदालत ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी और न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति भुइयां को विशेष पीठ गठित करने के लिए कहा था।
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न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए 21 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों में कोई दम नहीं है।
10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
गुरुवार को, शीर्ष अदालत ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी और न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति भुइयां को विशेष पीठ गठित करने के लिए कहा था।
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न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए 21 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों में कोई दम नहीं है।
10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
गुरुवार को, शीर्ष अदालत ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी और न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति भुइयां को विशेष पीठ गठित करने के लिए कहा था।
इस विशेष पीठ ने गुजरात सरकार द्वारा पारित छूट आदेशों को रद्द कर दिया था और 11 दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने को कहा था।
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न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए 21 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों में कोई दम नहीं है।
10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
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न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए 21 जनवरी की समय सीमा बढ़ाने की अनुमति मांगने के लिए दायर आवेदनों में कोई दम नहीं है।
10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
गुरुवार को, शीर्ष अदालत ने इन आवेदनों को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी और न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति भुइयां को विशेष पीठ गठित करने के लिए कहा था।
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10 दोषियों द्वारा दायर आवेदनों में खराब स्वास्थ्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, वृद्ध और बीमार माता-पिता की देखभाल और आगामी फसल के मौसम जैसे कारण बताए गए हैं।
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