नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत में क्रिकेट के अलावा किसी खेल को अपनी पहचान बनानी है तो उसके लिए आसाधारण उपलब्धि हासिल करनी होगी। अगर गैर क्रिकेटर को एक बड़ी पहचान बनानी है तो उसको नई ऊंचाइयों से गुजरना होगा। रेसलिंग, हॉकी, टेनिस, बैडमिंटन, शूटिंग जैसे खेल अपना एक मुकाम बना रहे हैं। खेलों की लोकप्रियता की इस भीड़ में बिलियर्ड्स और स्नूकर जैसे शांत खेल पर्दे के थोड़ा पीछे चले जाते हैं। लेकिन असल कहानियां इन पर्दों के पीछे ही लिखी जाती हैं। 3 अक्टूबर, 1992 को अपने करियर की सबसे ‘खुशनुमा’ उपलब्धि को छूने वाले गीत सेठी की भी एक ऐसी कहानी है।
बिलियर्ड्स और स्नूकर में आज की पीढ़ी में पंकज आडवाणी का नाम चर्चित रहा हैं। इस पहले गीत सेठी नाम की शख्सियत ने इस खेल में उस चरम प्रदर्शन को छुआ था जो एक खेल में उस खिलाड़ी के लिए सर्वोच्च होता है।
भारत के बिलियर्ड्स दिग्गज गीत सेठी ने यह उपलब्धि 3 अक्टूबर के दिन हासिल की थी, जब उन्होंने साल 1992 में विश्व पेशेवर बिलियर्ड्स चैम्पियनशिप में माइक रसेल को हरा दिया था। यही वह दिन था जब गीत को भारत में पहचाना जाने लगा। जब भारतीय प्रतिभा ने फरेरा जैसे दिग्गज को हराकर बिलियर्ड्स में भारतीयों के लिए एक नया रास्ता खोल दिया था। तब यह खेल भारत में अधिकतर मिडिल क्लास बैकग्राउंड वाले खिलाड़ियों द्वारा ही खेला जाता था।
17 अप्रैल 1961 को पैदा हुए गीत सेठी ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में गुजरात का प्रतिनिधित्व किया था। दिल्ली में पंजाबी परिवार में उनका जन्म हुआ था और पालन पोषण गुजरात में। वह एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखते थे और किसी भी आम भारतीय बच्चे जैसा उनका बचपन था। स्कूल में हर तरह के खेल खेलने की आदत थी। यहां तक कि क्रिकेट भी शौंक से खेलते थे।
हालांकि ये अहमदाबाद का जिमखाना क्लब था जिसने गीत सेठी का करियर और जीवन हमेशा के लिए बदलकर रख दिया था। तब उनकी उम्र 12-13 साल की थी और वह जिमखाना क्लब में स्विमिंग करने के लिए जाते थे। तब वह एक छोटी सी खिड़की से झांककर बिलियर्ड्स के जादू को देखा करते थे। सामने रखी हरी टेबल और उस पर बिखरी रंग बिरंगी गेंदें….लेकिन गीत को एंट्री नहीं मिल पाती थी। जिससे उनको यह खेल रहस्यमयी भी लगा और लुभावना भी। क्लब में बिलियर्ड्स खेलने के लिए एंट्री की उम्र कम से कम उम्र 18 साल थी।
लेकिन जल्द ही नियम बदले और जूनियर नेशनल चैंपियनशिप जैसे आयोजनों की शुरुआत हुई। जिमखाना क्लब भारत के उन क्लबों में एक था, जिसने बिलियर्ड्स खेलने के लिए आयु वर्ग को घटा दिया था। अब गीत के सामने छोटी खिड़की नहीं, बल्कि खुला दरवाजा था, जिसमें एक बार उन्होंने प्रवेश किया और फिर महफिल के सितारे बन गए। गीत ने एक इंटरव्यू में बताया था, जब पहली बार उन्होंने हाथ में ‘क्यू’ पकड़ा तो वह बाकी सब खेलों को भूल गए थे।
उनको बस यह खेल खेलना था। कोई और मकसद नहीं था। बस बिलियर्ड्स खेलना था। तब तो वह इस खेल के किसी दिग्गज का नाम तक नहीं जानते थे। यहां से उनका सफर शुरू हुआ। फिर उन्होंने जूनियर और सीनियर लेवल पर अच्छा प्रदर्शन किया। 1976 में वह पहली नेशनल चैंपियनशिप जीत चुके थे। 1985 में माइकल फरेरा को हरा चुके थे और 24 साल की उम्र में यह उनकी पहली नेशनल चैंपियनशिप थी।
हालांकि यह 3 अक्टूबर 1992 का दिन था जो बड़ा खास था। तब गीत सेठी ने माइक रसेल को हराकर विश्व पेशेवर बिलियर्ड्स चैंपियनशिप अपने नाम की थी। 3 अक्टूबर 1992 को गीत सेठी ने विश्व प्रोफेशनल बिलियर्ड्स चैंपियनशिप में खिताब जीतकर भारत को बिलियर्ड्स के खेल में एक नई पहचान दिलाई थी। उनकी यह जीत न केवल इंडोर खेलों में भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बनी, बल्कि उन्होंने एक नया विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया था। जल्द ही गीत सेठी का नाम हर भारतीय घर में मशहूर हो गया और न्यूज चैनलों में उनकी शानदार जीत और रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन की खबर दिखाई गई। उन्होंने इंग्लिश बिलियर्ड्स के खेल में 1276 के ब्रेक का पिछला विश्व रिकॉर्ड भी तोड़ दिया था।
यह जीत इतनी बड़ी थी कि गीत इसे अपनी जिंदगी का सबसे खुशनुमा लम्हा बताते हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था, “मैं अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी को दो भागों में बांट देता हूं। एक व्यक्तिगत स्तर पर और दूसरी पेशेवर। व्यक्तिगत स्तर पर मैं सबसे ज्यादा खुश अपने बेटे और बेटी के जन्म के समय हुआ था और प्रोफेशनल लेवल पर मुझे सबसे ज्यादा खुशी तब मिली थी जब मैंने 1992 में पहला प्रोफेशनल टाइटल जीता था।”
–आईएएनएस
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