पटना, 5 जून (आईएएनएस)। बिहार के राजभवन में दो दिवसीय ‘बिहार आमोत्सव-2024’ का आयोजन किया जाएगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर और कृषि विभाग, बिहार सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह आयोजन 15 और 16 जून को होगा।
राजभवन पटना में बुधवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ‘आमोत्सव-2024’ का पोस्टर एवं प्रतीक चिन्ह का लोकार्पण किया। इस मौके पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर. सिंह और निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार उपस्थित रहे। आमोत्सव कार्यक्रम में बिहार में पाई जाने वाली आम की विविधता को प्रदर्शित किया जाएगा।
कार्यक्रम का शुक्ति वाक्य ‘स्वाद, संस्कृति एवं समृद्धि का उत्सव’ रखा गया है। गौरतलब है कि बिहार में आम की विविधता प्रचुर मात्रा में है। इसकी जानकारी आम उत्पादक और अधिकांश लोगों को नहीं मिल पाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आम के प्रचलित प्रभेदों के अलावा अन्य लुप्त होती किस्मों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
आम उत्पादक और कृषि व्यवसायों के लिए बाजार के अवसर सृजित करके आम उद्योग के आर्थिक विकास के साथ-साथ उद्यमिता करना भी प्रदर्शनी का उद्देश्य है।
इस उत्सव में ग्रामीण युवा को स्वरोजगार उत्पन्न करने के लिए आम प्रसंस्करण, पैकेजिंग और निर्यात गतिविधियों में निवेश की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। बिहार राज्य के सभी क्षेत्रों के फल उत्पादक एवं संबंधित संस्थाएं तथा नर्सरी इसमें भाग ले सकते हैं।
–आईएएनएस
एमएनपी/एबीएम
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पटना, 5 जून (आईएएनएस)। बिहार के राजभवन में दो दिवसीय ‘बिहार आमोत्सव-2024’ का आयोजन किया जाएगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर और कृषि विभाग, बिहार सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह आयोजन 15 और 16 जून को होगा।
राजभवन पटना में बुधवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ‘आमोत्सव-2024’ का पोस्टर एवं प्रतीक चिन्ह का लोकार्पण किया। इस मौके पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर. सिंह और निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार उपस्थित रहे। आमोत्सव कार्यक्रम में बिहार में पाई जाने वाली आम की विविधता को प्रदर्शित किया जाएगा।
कार्यक्रम का शुक्ति वाक्य ‘स्वाद, संस्कृति एवं समृद्धि का उत्सव’ रखा गया है। गौरतलब है कि बिहार में आम की विविधता प्रचुर मात्रा में है। इसकी जानकारी आम उत्पादक और अधिकांश लोगों को नहीं मिल पाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आम के प्रचलित प्रभेदों के अलावा अन्य लुप्त होती किस्मों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
आम उत्पादक और कृषि व्यवसायों के लिए बाजार के अवसर सृजित करके आम उद्योग के आर्थिक विकास के साथ-साथ उद्यमिता करना भी प्रदर्शनी का उद्देश्य है।
इस उत्सव में ग्रामीण युवा को स्वरोजगार उत्पन्न करने के लिए आम प्रसंस्करण, पैकेजिंग और निर्यात गतिविधियों में निवेश की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। बिहार राज्य के सभी क्षेत्रों के फल उत्पादक एवं संबंधित संस्थाएं तथा नर्सरी इसमें भाग ले सकते हैं।
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राजभवन पटना में बुधवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ‘आमोत्सव-2024’ का पोस्टर एवं प्रतीक चिन्ह का लोकार्पण किया। इस मौके पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर. सिंह और निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार उपस्थित रहे। आमोत्सव कार्यक्रम में बिहार में पाई जाने वाली आम की विविधता को प्रदर्शित किया जाएगा।
कार्यक्रम का शुक्ति वाक्य ‘स्वाद, संस्कृति एवं समृद्धि का उत्सव’ रखा गया है। गौरतलब है कि बिहार में आम की विविधता प्रचुर मात्रा में है। इसकी जानकारी आम उत्पादक और अधिकांश लोगों को नहीं मिल पाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आम के प्रचलित प्रभेदों के अलावा अन्य लुप्त होती किस्मों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
आम उत्पादक और कृषि व्यवसायों के लिए बाजार के अवसर सृजित करके आम उद्योग के आर्थिक विकास के साथ-साथ उद्यमिता करना भी प्रदर्शनी का उद्देश्य है।
इस उत्सव में ग्रामीण युवा को स्वरोजगार उत्पन्न करने के लिए आम प्रसंस्करण, पैकेजिंग और निर्यात गतिविधियों में निवेश की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। बिहार राज्य के सभी क्षेत्रों के फल उत्पादक एवं संबंधित संस्थाएं तथा नर्सरी इसमें भाग ले सकते हैं।
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राजभवन पटना में बुधवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ‘आमोत्सव-2024’ का पोस्टर एवं प्रतीक चिन्ह का लोकार्पण किया। इस मौके पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर. सिंह और निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार उपस्थित रहे। आमोत्सव कार्यक्रम में बिहार में पाई जाने वाली आम की विविधता को प्रदर्शित किया जाएगा।
कार्यक्रम का शुक्ति वाक्य ‘स्वाद, संस्कृति एवं समृद्धि का उत्सव’ रखा गया है। गौरतलब है कि बिहार में आम की विविधता प्रचुर मात्रा में है। इसकी जानकारी आम उत्पादक और अधिकांश लोगों को नहीं मिल पाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आम के प्रचलित प्रभेदों के अलावा अन्य लुप्त होती किस्मों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
आम उत्पादक और कृषि व्यवसायों के लिए बाजार के अवसर सृजित करके आम उद्योग के आर्थिक विकास के साथ-साथ उद्यमिता करना भी प्रदर्शनी का उद्देश्य है।
इस उत्सव में ग्रामीण युवा को स्वरोजगार उत्पन्न करने के लिए आम प्रसंस्करण, पैकेजिंग और निर्यात गतिविधियों में निवेश की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। बिहार राज्य के सभी क्षेत्रों के फल उत्पादक एवं संबंधित संस्थाएं तथा नर्सरी इसमें भाग ले सकते हैं।
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राजभवन पटना में बुधवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ‘आमोत्सव-2024’ का पोस्टर एवं प्रतीक चिन्ह का लोकार्पण किया। इस मौके पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर. सिंह और निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार उपस्थित रहे। आमोत्सव कार्यक्रम में बिहार में पाई जाने वाली आम की विविधता को प्रदर्शित किया जाएगा।
कार्यक्रम का शुक्ति वाक्य ‘स्वाद, संस्कृति एवं समृद्धि का उत्सव’ रखा गया है। गौरतलब है कि बिहार में आम की विविधता प्रचुर मात्रा में है। इसकी जानकारी आम उत्पादक और अधिकांश लोगों को नहीं मिल पाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आम के प्रचलित प्रभेदों के अलावा अन्य लुप्त होती किस्मों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
आम उत्पादक और कृषि व्यवसायों के लिए बाजार के अवसर सृजित करके आम उद्योग के आर्थिक विकास के साथ-साथ उद्यमिता करना भी प्रदर्शनी का उद्देश्य है।
इस उत्सव में ग्रामीण युवा को स्वरोजगार उत्पन्न करने के लिए आम प्रसंस्करण, पैकेजिंग और निर्यात गतिविधियों में निवेश की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। बिहार राज्य के सभी क्षेत्रों के फल उत्पादक एवं संबंधित संस्थाएं तथा नर्सरी इसमें भाग ले सकते हैं।
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कार्यक्रम का शुक्ति वाक्य ‘स्वाद, संस्कृति एवं समृद्धि का उत्सव’ रखा गया है। गौरतलब है कि बिहार में आम की विविधता प्रचुर मात्रा में है। इसकी जानकारी आम उत्पादक और अधिकांश लोगों को नहीं मिल पाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आम के प्रचलित प्रभेदों के अलावा अन्य लुप्त होती किस्मों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
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इस उत्सव में ग्रामीण युवा को स्वरोजगार उत्पन्न करने के लिए आम प्रसंस्करण, पैकेजिंग और निर्यात गतिविधियों में निवेश की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। बिहार राज्य के सभी क्षेत्रों के फल उत्पादक एवं संबंधित संस्थाएं तथा नर्सरी इसमें भाग ले सकते हैं।
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राजभवन पटना में बुधवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ‘आमोत्सव-2024’ का पोस्टर एवं प्रतीक चिन्ह का लोकार्पण किया। इस मौके पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर. सिंह और निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार उपस्थित रहे। आमोत्सव कार्यक्रम में बिहार में पाई जाने वाली आम की विविधता को प्रदर्शित किया जाएगा।
कार्यक्रम का शुक्ति वाक्य ‘स्वाद, संस्कृति एवं समृद्धि का उत्सव’ रखा गया है। गौरतलब है कि बिहार में आम की विविधता प्रचुर मात्रा में है। इसकी जानकारी आम उत्पादक और अधिकांश लोगों को नहीं मिल पाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आम के प्रचलित प्रभेदों के अलावा अन्य लुप्त होती किस्मों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
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कार्यक्रम का शुक्ति वाक्य ‘स्वाद, संस्कृति एवं समृद्धि का उत्सव’ रखा गया है। गौरतलब है कि बिहार में आम की विविधता प्रचुर मात्रा में है। इसकी जानकारी आम उत्पादक और अधिकांश लोगों को नहीं मिल पाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आम के प्रचलित प्रभेदों के अलावा अन्य लुप्त होती किस्मों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
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राजभवन पटना में बुधवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ‘आमोत्सव-2024’ का पोस्टर एवं प्रतीक चिन्ह का लोकार्पण किया। इस मौके पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर. सिंह और निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार उपस्थित रहे। आमोत्सव कार्यक्रम में बिहार में पाई जाने वाली आम की विविधता को प्रदर्शित किया जाएगा।
कार्यक्रम का शुक्ति वाक्य ‘स्वाद, संस्कृति एवं समृद्धि का उत्सव’ रखा गया है। गौरतलब है कि बिहार में आम की विविधता प्रचुर मात्रा में है। इसकी जानकारी आम उत्पादक और अधिकांश लोगों को नहीं मिल पाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आम के प्रचलित प्रभेदों के अलावा अन्य लुप्त होती किस्मों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
आम उत्पादक और कृषि व्यवसायों के लिए बाजार के अवसर सृजित करके आम उद्योग के आर्थिक विकास के साथ-साथ उद्यमिता करना भी प्रदर्शनी का उद्देश्य है।
इस उत्सव में ग्रामीण युवा को स्वरोजगार उत्पन्न करने के लिए आम प्रसंस्करण, पैकेजिंग और निर्यात गतिविधियों में निवेश की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। बिहार राज्य के सभी क्षेत्रों के फल उत्पादक एवं संबंधित संस्थाएं तथा नर्सरी इसमें भाग ले सकते हैं।
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कार्यक्रम का शुक्ति वाक्य ‘स्वाद, संस्कृति एवं समृद्धि का उत्सव’ रखा गया है। गौरतलब है कि बिहार में आम की विविधता प्रचुर मात्रा में है। इसकी जानकारी आम उत्पादक और अधिकांश लोगों को नहीं मिल पाती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से आम के प्रचलित प्रभेदों के अलावा अन्य लुप्त होती किस्मों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
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