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Home ताज़ा समाचार

बिहार के नवादा में महादलितों की बस्ती जलाने का गुनहगार भू विभाग या कोई और?

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September 20, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। कोई खाना बना रहा था, तो कोई खाट पर लेटा हुआ था। बच्चे बाहर सरकारी चापाकल पर नहा रहे थे। अचानक फायरिंग शुरू हो गई। भीड़ का आतंक इतना था कि लोग अपना सारा सामान घर में ही छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। देखते ही देखते दहशतगर्दों ने 40-50 घरों में आग लगा दी। महादलितों का पूरा गांव चंद घंटों में राख में तब्दील हो गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए। घरों के अंदर बंधी बकरियां और मुर्गियां आग की भेंट चढ़ गईं। रोते-बिलखते बच्चों ने पूरी रात खुले मैदान में गुजारी।

यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

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फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

–आईएएनएस

आरके/सीबीटी

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। कोई खाना बना रहा था, तो कोई खाट पर लेटा हुआ था। बच्चे बाहर सरकारी चापाकल पर नहा रहे थे। अचानक फायरिंग शुरू हो गई। भीड़ का आतंक इतना था कि लोग अपना सारा सामान घर में ही छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। देखते ही देखते दहशतगर्दों ने 40-50 घरों में आग लगा दी। महादलितों का पूरा गांव चंद घंटों में राख में तब्दील हो गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए। घरों के अंदर बंधी बकरियां और मुर्गियां आग की भेंट चढ़ गईं। रोते-बिलखते बच्चों ने पूरी रात खुले मैदान में गुजारी।

यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। कोई खाना बना रहा था, तो कोई खाट पर लेटा हुआ था। बच्चे बाहर सरकारी चापाकल पर नहा रहे थे। अचानक फायरिंग शुरू हो गई। भीड़ का आतंक इतना था कि लोग अपना सारा सामान घर में ही छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। देखते ही देखते दहशतगर्दों ने 40-50 घरों में आग लगा दी। महादलितों का पूरा गांव चंद घंटों में राख में तब्दील हो गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए। घरों के अंदर बंधी बकरियां और मुर्गियां आग की भेंट चढ़ गईं। रोते-बिलखते बच्चों ने पूरी रात खुले मैदान में गुजारी।

यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। कोई खाना बना रहा था, तो कोई खाट पर लेटा हुआ था। बच्चे बाहर सरकारी चापाकल पर नहा रहे थे। अचानक फायरिंग शुरू हो गई। भीड़ का आतंक इतना था कि लोग अपना सारा सामान घर में ही छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। देखते ही देखते दहशतगर्दों ने 40-50 घरों में आग लगा दी। महादलितों का पूरा गांव चंद घंटों में राख में तब्दील हो गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए। घरों के अंदर बंधी बकरियां और मुर्गियां आग की भेंट चढ़ गईं। रोते-बिलखते बच्चों ने पूरी रात खुले मैदान में गुजारी।

यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। कोई खाना बना रहा था, तो कोई खाट पर लेटा हुआ था। बच्चे बाहर सरकारी चापाकल पर नहा रहे थे। अचानक फायरिंग शुरू हो गई। भीड़ का आतंक इतना था कि लोग अपना सारा सामान घर में ही छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। देखते ही देखते दहशतगर्दों ने 40-50 घरों में आग लगा दी। महादलितों का पूरा गांव चंद घंटों में राख में तब्दील हो गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए। घरों के अंदर बंधी बकरियां और मुर्गियां आग की भेंट चढ़ गईं। रोते-बिलखते बच्चों ने पूरी रात खुले मैदान में गुजारी।

यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

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यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। कोई खाना बना रहा था, तो कोई खाट पर लेटा हुआ था। बच्चे बाहर सरकारी चापाकल पर नहा रहे थे। अचानक फायरिंग शुरू हो गई। भीड़ का आतंक इतना था कि लोग अपना सारा सामान घर में ही छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। देखते ही देखते दहशतगर्दों ने 40-50 घरों में आग लगा दी। महादलितों का पूरा गांव चंद घंटों में राख में तब्दील हो गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए। घरों के अंदर बंधी बकरियां और मुर्गियां आग की भेंट चढ़ गईं। रोते-बिलखते बच्चों ने पूरी रात खुले मैदान में गुजारी।

यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

–आईएएनएस

आरके/सीबीटी

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। कोई खाना बना रहा था, तो कोई खाट पर लेटा हुआ था। बच्चे बाहर सरकारी चापाकल पर नहा रहे थे। अचानक फायरिंग शुरू हो गई। भीड़ का आतंक इतना था कि लोग अपना सारा सामान घर में ही छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। देखते ही देखते दहशतगर्दों ने 40-50 घरों में आग लगा दी। महादलितों का पूरा गांव चंद घंटों में राख में तब्दील हो गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए। घरों के अंदर बंधी बकरियां और मुर्गियां आग की भेंट चढ़ गईं। रोते-बिलखते बच्चों ने पूरी रात खुले मैदान में गुजारी।

यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। कोई खाना बना रहा था, तो कोई खाट पर लेटा हुआ था। बच्चे बाहर सरकारी चापाकल पर नहा रहे थे। अचानक फायरिंग शुरू हो गई। भीड़ का आतंक इतना था कि लोग अपना सारा सामान घर में ही छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। देखते ही देखते दहशतगर्दों ने 40-50 घरों में आग लगा दी। महादलितों का पूरा गांव चंद घंटों में राख में तब्दील हो गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए। घरों के अंदर बंधी बकरियां और मुर्गियां आग की भेंट चढ़ गईं। रोते-बिलखते बच्चों ने पूरी रात खुले मैदान में गुजारी।

यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

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यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

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यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

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यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

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यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

–आईएएनएस

आरके/सीबीटी

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। कोई खाना बना रहा था, तो कोई खाट पर लेटा हुआ था। बच्चे बाहर सरकारी चापाकल पर नहा रहे थे। अचानक फायरिंग शुरू हो गई। भीड़ का आतंक इतना था कि लोग अपना सारा सामान घर में ही छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। देखते ही देखते दहशतगर्दों ने 40-50 घरों में आग लगा दी। महादलितों का पूरा गांव चंद घंटों में राख में तब्दील हो गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए। घरों के अंदर बंधी बकरियां और मुर्गियां आग की भेंट चढ़ गईं। रोते-बिलखते बच्चों ने पूरी रात खुले मैदान में गुजारी।

यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 20 सितंबर (आईएएनएस)। कोई खाना बना रहा था, तो कोई खाट पर लेटा हुआ था। बच्चे बाहर सरकारी चापाकल पर नहा रहे थे। अचानक फायरिंग शुरू हो गई। भीड़ का आतंक इतना था कि लोग अपना सारा सामान घर में ही छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। देखते ही देखते दहशतगर्दों ने 40-50 घरों में आग लगा दी। महादलितों का पूरा गांव चंद घंटों में राख में तब्दील हो गया। सैकड़ों लोग बेघर हो गए। घरों के अंदर बंधी बकरियां और मुर्गियां आग की भेंट चढ़ गईं। रोते-बिलखते बच्चों ने पूरी रात खुले मैदान में गुजारी।

यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

–आईएएनएस

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यह घटना बिहार के नवादा जिले के देदौर के कृष्णा नगर महादलित टोला की है, जहां बुधवार (18 सितंबर) को पास के ही गांव के दहशतगर्दों ने इसे अंजाम दिया। आइये इस घटना के राजनीतिक मायने समझें और जानें क‍ि इसके गुनहगार कौन हैं?

फिलहाल पीड़ितों को भोजन सामग्री और पीने के पानी समेत सभी राहत सामग्री प्रदान की जा रही है। पीड़ितों के लिए अस्थायी टेंट लगाए गए हैं और उन्हें वहां श‍िफ्ट किया जा रहा है। दूसरी तरफ इसे लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है। एक तरफ बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी कहते हैं कि “महा जंगलराज! महा दानवराज! महा राक्षसराज! नवादा में दलितों के 100 से अधिक घरों में लगायी आग। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के राज में बिहार में आग ही आग। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेफिक्र, एनडीए के सहयोगी दल बेखबर! गरीब जले, मरे इन्हें क्या? दलितों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा।”

वहीं, सत्ता पक्ष के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 यादव समुदाय से हैं। मांझी ने गुरुवार (19 सितंबर) को पत्रकारों से बात करते हुए राज्य में यादव समुदाय के लोगों पर दलितों की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि इस समुदाय ने उस जगह रहने वाले पासवान समुदाय के लोगों को भड़का कर घटना को अंजाम दिया है।

उल्लेखनीय है कि इस कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है। वह बिहार पुलिस में कांस्टेबल था और 2014 में रिटायर हुआ था। उसका बेटा नागेश्वर पासवान भदोखर वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है। नंदू की बहू सरिता भारती आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती है।

नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया, “इस मामले में नंदू पासवान समेत 28 नामजद अभियुक्त हैं, इनमें से 15 को गिरफ्तार किया जा चुका है। अभियुक्तों के पास से तीन देसी पिस्तौल, छह बाइक, तीन कारतूस बरामद क‍िया गया है। बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तार के लिए छापेमारी की जा रही है। पीड़ित पक्ष और अभियुक्तों के बीच जमीन का विवाद था।”

नवादा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) आशुतोष कुमार वर्मा ने मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला में बुधवार शाम हुई घटना के बारे में कहा, “जिला पुलिस ने घटना के सिलसिले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।”

नवादा प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, इस जमीन के मालिक रमजान मियां हैं। लेकिन दलित बस्ती के लोग इसे बिहार सरकार की जमीन बताकर अपना बताते हैं। इस बीच, कई लोग इस जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं। नामजद मुख्‍य आरोपी और उसके परिवार का भी विवादित जमीन के एक हिस्से पर दावा है। यह मामला 1995 से कोर्ट में चल रहा है। सालों से लंबित जमीन के मामलों की वजह से बिहार में अब तक अनेक बार झड़पें हो चुकी हैं।

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