पटना, 19 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग काफी पुरानी है। इस मांग को पूरा किए जाने और नहीं किए जाने को लेकर बहस, चर्चा भी होती रही है। वैसे, वर्षों पुरानी मांग को राजनीतिक दलों द्वारा जिस तरह समय-समय पर उठाया जाता रहा है, उससे साफ है कि यह मांग मात्र सियासी बढ़त लेने का हथियार बनकर रह गया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव के पहले एक बार फिर विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर अभियान चलाने की बात कहकर सियासी पारा को गर्म कर दिया है। वैसे, भाजपा या अन्य विपक्षी दल उन्हें इस मांग को लेकर आईना भी दिखा रहे हैं।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग नई नहीं है। नीतीश ने जबसे बिहार की सत्ता संभाली है तब से उन्होंने प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई है। विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर नीतीश ने 2012 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में रैली भी की थी। इस दौरान उन्होंने अन्य पिछड़े राज्यों को भी इस दर्जे को देने की मांग सरकार से की थी।
इसके बाद इस मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया गया तथा दिल्ली के रामलीला मैदान में अधिकार रैली तक की गई। लेकिन, केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार नीतीश की मांग की अनदेखी करती रही।
इसके बाद जब केंद्र में एनडीए की सरकार बनी तब भी नीतीश कुमार ने 2015 के विधानसभा चुनाव में तो इस मांग को जारी रखा, लेकिन जब वे एनडीए के साथ आ गए तब उनकी इस मांग की आवाज धीमी पड़ गई। 2019 लोकसभा चुनाव में जदयू एनडीए में रहकर चुनाव लड़ी और बड़ी सफलता पाई।
अब एनडीए से अलग होने और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले नीतीश कुमार ने एक बार फिर विशेष राज्य के दर्जे की मांग का राग अलापा है।
इस मांग को लेकर भाजपा के नेता सुशील मोदी कहते हैं कि 14वें वित्त आयोग ने विशेष राज्य की अवधारणा को ही अमान्य कर दिया है और अब किसी राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता, इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार को विशेष आर्थिक पैकेज देकर विशेष दर्जा से कई गुना अधिक मदद कर रहे हैं।
सुशील मोदी ने कहा कि स्वयं नीतीश कुमार की पहल पर कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार के वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने, जो रघुराम राजन कमेटी गठित करायी थी, उसने भी विशेष राज्य की मांग को खारिज कर दिया था।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब केंद्र के विरोधी खेमे में रहते हैं, तब केंद्र की परियोजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराने में अड़ंगेबाजी करते हैं और चुनाव निकट देख कर केंद्र को बदनाम करने के लिए विशेष दर्जे की मांग पर राजनीति शुरू कर देते हैं।
लोजपा (रामविलास) के प्रमुख और सांसद चिराग पासवान कहते हैं कि इतने सालों तक बिहार के मुख्यमंत्री रहने के बाद विशेष राज्य के दर्जा की मांग करना नीतीश की नाकामी को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री को शर्म आनी चाहिए। 19 साल मुख्यमंत्री रहने के बावजूद अगर विशेष राज्य के दर्जा के लिए मुहिम चलानी पड़े तो यह सरकार की विफल नीतियों को दर्शाता है।
बिहार के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव कहते हैं कि बिना बिहार के विकास के देश आगे नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश को बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना है तो बिहार को साथ लेकर चलना होगा।
उन्होंने कहा कि जातीय गणना और आर्थिक अध्ययन के बाद यहां जो गरीब परिवार हैं, उन्हें आगे लाने के लिए सरकार ने योजना बनाई है। अगर केंद्र सरकार विशेष राज्य का दर्जा दे तो लक्ष्य जल्द पूरा किया जा सकता है।
–आईएएनएस
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