पटना, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार में बोर्ड-निगम के पुनर्गठन के बाद अब 20 सूत्री समितियों को पुनर्जीवित करने की कवायद शुरू हो गई है। सत्ताधारी दलों का मानना है कि इससे प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर के नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं को समायोजित कर उनकी नाराजगी दूर की जा सकेगी।
वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक अगर समितियों का पुनर्गठन हुआ तो करीब 10 हजार लोग समायोजित हो सकते हैं।
वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
उल्लेखनीय है कि गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 सूत्री कार्यक्रमों की घोषणा की थी। उन योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में सहयोग के लिए 20 सूत्री समितियां बनाई गई।
–आईएएनएस
एमएनपी/एबीएम
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पटना, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार में बोर्ड-निगम के पुनर्गठन के बाद अब 20 सूत्री समितियों को पुनर्जीवित करने की कवायद शुरू हो गई है। सत्ताधारी दलों का मानना है कि इससे प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर के नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं को समायोजित कर उनकी नाराजगी दूर की जा सकेगी।
वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक अगर समितियों का पुनर्गठन हुआ तो करीब 10 हजार लोग समायोजित हो सकते हैं।
वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
उल्लेखनीय है कि गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 सूत्री कार्यक्रमों की घोषणा की थी। उन योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में सहयोग के लिए 20 सूत्री समितियां बनाई गई।
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वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
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वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
उल्लेखनीय है कि गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 सूत्री कार्यक्रमों की घोषणा की थी। उन योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में सहयोग के लिए 20 सूत्री समितियां बनाई गई।
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वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक अगर समितियों का पुनर्गठन हुआ तो करीब 10 हजार लोग समायोजित हो सकते हैं।
वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
उल्लेखनीय है कि गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 सूत्री कार्यक्रमों की घोषणा की थी। उन योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में सहयोग के लिए 20 सूत्री समितियां बनाई गई।
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वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
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वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
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वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक अगर समितियों का पुनर्गठन हुआ तो करीब 10 हजार लोग समायोजित हो सकते हैं।
वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
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वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक अगर समितियों का पुनर्गठन हुआ तो करीब 10 हजार लोग समायोजित हो सकते हैं।
वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
उल्लेखनीय है कि गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 सूत्री कार्यक्रमों की घोषणा की थी। उन योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में सहयोग के लिए 20 सूत्री समितियां बनाई गई।
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वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक अगर समितियों का पुनर्गठन हुआ तो करीब 10 हजार लोग समायोजित हो सकते हैं।
वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
उल्लेखनीय है कि गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 सूत्री कार्यक्रमों की घोषणा की थी। उन योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में सहयोग के लिए 20 सूत्री समितियां बनाई गई।
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वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक अगर समितियों का पुनर्गठन हुआ तो करीब 10 हजार लोग समायोजित हो सकते हैं।
वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
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वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक अगर समितियों का पुनर्गठन हुआ तो करीब 10 हजार लोग समायोजित हो सकते हैं।
वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
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वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
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वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
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वैसे, बिहार में 2015 के बाद से 20 सूत्री समितियों का गठन नहीं हुआ है। प्रदेशस्तर पर इस समिति के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं। बिहार में छह दलों की सरकार चल रही है। बोर्ड और निगम के पुनर्गठन के बाद पद नहीं मिलने के कारण कई कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस स्थिति में दल लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना चाह रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक प्रखंड से लेकर प्रदेश स्तर तक अगर समितियों का पुनर्गठन हुआ तो करीब 10 हजार लोग समायोजित हो सकते हैं।
वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री समिति में दो उपाध्यक्ष भाजपा से राधामोहन सिंह और जदयू से एजाजुल हक थे।
उल्लेखनीय है कि गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 सूत्री कार्यक्रमों की घोषणा की थी। उन योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में सहयोग के लिए 20 सूत्री समितियां बनाई गई।
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