नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा ने रविवार को नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बिहार में 22.7 लाख यानी लगभग 23 लाख महिलाओं के वोट काट दिए गए हैं, जिससे उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान करने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है।
अलका लांबा ने कहा कि तीन प्रमुख मीडिया रिपोर्टों में यह खुलासा हुआ है कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के नाम पर मतदाता सूची में फर्जीवाड़ा किया गया है। यह सब केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इशारों पर हुआ है और मुख्य चुनाव आयुक्त ने संविधान की शपथ का उल्लंघन किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार के केवल छह जिलों में बड़े पैमाने पर महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। इनमें प्रमुख रूप से गोपालगंज (1.5 लाख वोट), सारण (2.24 लाख), बेगूसराय (1.15 लाख), समस्तीपुर (2.18 लाख), भोजपुर (1.41 लाख) और पूर्णिया (1.90 लाख) शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मात्र छह जिलों में करीब 60 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें 2020 के चुनाव में 25 सीटें इंडिया गठबंधन ने और 34 सीटें एनडीए ने जीती थीं। अब इन्हीं सीटों पर महिलाओं के वोट काटे गए हैं। ये सोची-समझी साजिश है ताकि नतीजों को प्रभावित किया जा सके।
महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह कदम संविधान और डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए महिला मताधिकार पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस ने महिलाओं को उनके मूल अधिकार से वंचित कर दिया है। यह कोई सामान्य गलती नहीं, बल्कि लोकतंत्र की हत्या है। यह तय रणनीति के तहत महिलाओं को टारगेट किया गया है, क्योंकि उन्होंने एनडीए को वोट न देने की बात कही थी।
अलका लांबा ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने 15 सितंबर से वोट चोरी हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है, जो 15 अक्टूबर तक चलेगा। उन्होंने कहा कि पार्टी का लक्ष्य 5 करोड़ मतदाताओं के हस्ताक्षर एकत्र कर चुनाव आयोग को सौंपना है। कांग्रेस की पहली मांग है कि मशीन-रीडेबल मतदाता सूची को फोटो सहित सार्वजनिक किया जाए। दूसरा, एसआईआर प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोका जाए। तीसरी मांग में उन अधिकारियों और एजेंटों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही गई है, जिन्होंने मतदाता दमन में भूमिका निभाई है। चौथी मांग के अनुसार, चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया पर पूरी तरह रोक लगाई जाए। अंत में, कांग्रेस ने मतदाता सूची में पूर्ण पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग की है, ताकि चुनावी प्रक्रिया में विश्वास बना रहे।
चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए लांबा ने कहा कि जिन महिलाओं ने 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदान किया था, उन्हीं के नाम अब मतदाता सूची से काट दिए गए हैं। अगर वे वोट फर्जी हैं, तो उस आधार पर बने सांसद भी फर्जी हैं। अगर लोकसभा चुनाव ठीक था, तो अब इन महिलाओं के वोट कैसे काट दिए गए?
प्रधानमंत्री मोदी को घेरते हुए अलका लांबा ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपए डालना मदद नहीं बल्कि वोट खरीदने की कोशिश है। ये रोजगार नहीं, कर्ज है। जो महिलाएं 20 साल से संघर्ष कर रही थीं, उन्हें चुनाव से दस दिन पहले लुभाने का प्रयास हो रहा है। जिनके वोट काट दिए गए हैं, उन्हें इस योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा।
चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए अलका लांबा ने आगे कहा कि चुनाव आयोग निष्पक्ष संस्था नहीं रहा, बल्कि भाजपा का चुनावी औजार बन गया है। चुनाव आयोग का काम संविधान बचाना है, लेकिन अब वही संस्था वोट चोरी का जरिया बन गई है। हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम लोकतंत्र और वोट के अधिकार को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। यह लड़ाई राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में और मजबूत होगी।
उन्होंने चेतावनी दी कि कांग्रेस की महिला टीमें बिहार के हर विधानसभा क्षेत्र में जाकर महिलाओं को जागरूक करेंगी और उन्हें मतदान केंद्रों तक पहुंचाने का काम करेंगी।
उन्होंने आगे कहा कि बिहार की जनता बदलाव के लिए तैयार है। डबल इंजन की सरकार बिहार में फेल हो चुकी है। अपराध, बेरोजगारी और पलायन चरम पर है। इसलिए भाजपा अब चुनाव आयोग के सहारे वोट की चोरी का खेल खेल रही है, लेकिन कांग्रेस इसे बेनकाब करेगी।
–आईएएनएस
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