पटना, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 1.70 लाख पदों के लिए हुई शिक्षक बहाली परीक्षा में गड़बड़ी और अनियमितता को लेकर अभ्यर्थी अब सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। विपक्ष इस मुद्दे को हवा देने में जुट गया है। भाजपा के नेताओं का साथ अभ्यर्थियों को मिलता दिख रहा है।
बीपीएससी ने पिछले सप्ताह परीक्षा परिणाम घोषित किए थे। इसके बाद अभ्यर्थियों ने बीपीएससी और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
बुधवार को प्रदेश भर से बड़ी संख्या में आए अभ्यर्थी बीपीएससी कार्यालय पहुंच गए और प्रदर्शन करने लगे। प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। अभ्यर्थियों का कहना है कि इस परीक्षा के जरिए गलत लोगों को नौकरियां दी जा रही है जबकि अच्छे अभ्यर्थी बाहर कर दिए गए हैं। अभ्यर्थी इसमें गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं।
अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर सरकार नहीं मानी तो अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
इसे लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शिक्षक नियुक्ति मामले की उच्चस्तरीय जांच की आवश्यकता बताई। उन्होंने यहां तक कहा कि आरक्षण की अनदेखी कर यह नियुक्ति रेलवे के ‘लैंड फॉर जॉब’ की तर्ज पर ‘मनी फॉर जॉब’ स्कीम के तहत की गई है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने शिक्षक भर्ती में अनियमितता बरते जाने का आरोप लगाते हुए विरोध में उतरे अभ्यर्थियों पर पुलिस लाठीचार्ज की घोर निंदा की। उन्होंने इसे लोकतंत्र के साथ मजाक बताया।
चौधरी ने कहा कि जिस तरह से घटना घटी उससे स्पष्ट दिखता है कि नीतीश सरकार सिर्फ नाम का नौकरी देने का काम कर रही है। नौकरी के नाम पर घोटाला हो रहा है। शिक्षक को ही शिक्षक बहाली के लिए उपयोग किया जा रहा है। आखिर इसमें नया क्या किया गया। जो भी लोग सरकार में बैठे हैं, वे घोटाले के आदी हो चुके हैं, इसलिए अब उनसे उम्मीद भी नहीं है।
–आईएएनएस
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