पटना, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार देने के लिए तेजी से काम करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए बड़ी जिम्मदारी बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को दी है। लेकिन अब सवाल उठता है कि जब बीपीएससी में ही छह सदस्यों में से तीन का स्थान रिक्त हो तो इतनी बड़ी जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठेंगे ही।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
–आईएएनएस
एमएनपी/एएनएम
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पटना, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार देने के लिए तेजी से काम करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए बड़ी जिम्मदारी बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को दी है। लेकिन अब सवाल उठता है कि जब बीपीएससी में ही छह सदस्यों में से तीन का स्थान रिक्त हो तो इतनी बड़ी जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठेंगे ही।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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पटना, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार देने के लिए तेजी से काम करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए बड़ी जिम्मदारी बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को दी है। लेकिन अब सवाल उठता है कि जब बीपीएससी में ही छह सदस्यों में से तीन का स्थान रिक्त हो तो इतनी बड़ी जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठेंगे ही।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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पटना, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार देने के लिए तेजी से काम करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए बड़ी जिम्मदारी बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को दी है। लेकिन अब सवाल उठता है कि जब बीपीएससी में ही छह सदस्यों में से तीन का स्थान रिक्त हो तो इतनी बड़ी जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठेंगे ही।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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पटना, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार देने के लिए तेजी से काम करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए बड़ी जिम्मदारी बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को दी है। लेकिन अब सवाल उठता है कि जब बीपीएससी में ही छह सदस्यों में से तीन का स्थान रिक्त हो तो इतनी बड़ी जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठेंगे ही।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
–आईएएनएस
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पटना, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार देने के लिए तेजी से काम करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए बड़ी जिम्मदारी बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को दी है। लेकिन अब सवाल उठता है कि जब बीपीएससी में ही छह सदस्यों में से तीन का स्थान रिक्त हो तो इतनी बड़ी जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठेंगे ही।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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पटना, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार देने के लिए तेजी से काम करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए बड़ी जिम्मदारी बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को दी है। लेकिन अब सवाल उठता है कि जब बीपीएससी में ही छह सदस्यों में से तीन का स्थान रिक्त हो तो इतनी बड़ी जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठेंगे ही।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।
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पटना, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार देने के लिए तेजी से काम करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए बड़ी जिम्मदारी बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को दी है। लेकिन अब सवाल उठता है कि जब बीपीएससी में ही छह सदस्यों में से तीन का स्थान रिक्त हो तो इतनी बड़ी जिम्मेदारी को लेकर सवाल उठेंगे ही।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीपीएससी की 75 वीें वष्रगांठ पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि 10 लाख युवाओं को नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार के लिए तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार लोक सेवा आयोग की स्थापना 1945 में हुई थी जिसका मुख्यालय में रांची में था लेकिन वर्ष 1981 में इसका मुख्यालय से पटना किया गया। बिहार लोक सेवा आयोग में एक अध्यक्ष के साथ पहले 10 सदस्य हुआ करते थे लेकिन बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या छह कर दी गई।
फिलहाल छह सदस्यों में से तीन ही सदस्य कार्यरत हैं। तीन सदस्यों के सेवानिवृत्त हुए है जिनका स्थान रिक्त है। मुख्यमंत्री ने हालांकि पांच दिनों के अंदर नए सदस्यों का मनोनयन करने के निर्देश दिए हैं।
वैसे, इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इन्हें अन्य कार्य की जिम्मेदारी देने की बात कहकर यह भी संकेत दे दिए हैं कि मिशन 10 लाख नौकरी में बीपीएससी की अहम भूमिका होगी।
वैसे, विपक्ष मुख्यमंत्री के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता है। भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि मुख्यमंत्री केवल लोगों को सब्जबाग दिखा रहे हैें। उन्होनंे कहा कि शिक्षक अभ्यर्थी सड़कों पर उतरकर नौकरी की मांग कर रहा, वह तो सरकार दे ही नहीं पा रही है। उन्होंने राजद के चुनावी वादे की याद कराते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने सरकार में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हो सका।