जबलपुर. भोपाल गैस त्रासदी के संबंध में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार की तरफ से हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ को बताया गया कि बीएचएमआरसी हॉस्पिटल को एम्स में मर्ज करने का मामला केन्द्र मंत्रीमंडल के पास लंबित है.
इसके अलावा केंद्र सरकार की तरफ से बताया कि पीड़ितों के डिजिटाइजेशन कार्य में अर्थिक परेषानी नहीं है,निविदा आमंत्रित की गयी थी. सिर्फ एक कंपनी के द्वारा निविदा प्रस्तुत किये जाने के कारण उसे रद्द कर दिया गया है. युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद केन्द्र व राज्य सरकार से आवष्यक दिषा-निर्देष प्राप्त कोर्ट को अवगत करवाने के आदेष जारी करते हुए अगली सुनवाई 6 जनवारी को निर्धारित की है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित की थी.
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कोर्ट के निर्देश थे कि मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करेगी. पेश रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे. इससे संबंधित याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी.याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किए जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका 2015 में दायर की गई थी.
याचिका की सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता की तरफ से आवेदन दायर करते हुए मांग की थी कि बीएचएमआरसी को एम्स में मर्ज नहीं किया जाये. केन्द्र सरकार की तरफ से बताया गया कि पूर्व में एक याचिकाकर्ता की तरफ से मर्ज करने के लिए आवेदन दायर गया था. इस मामले में संसदीय बोर्ड में चर्चा होने के बाद उसे केन्द्र लोक स्वास्थ्य एव परिवार कल्याण विभाग को भेजा गया था.
सर्विस रूल्स सहित अन्य दिक्कतों के केन्द्र लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने पूर्व में ही मर्ज नहीं किये जाने के संबंध में निर्णय लिया था. इस मामले को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा गया है,जिस पर उन्हें निर्णय लेना है. पूर्व राज्य सरकार की तरफ से डिजिटाइजेशन कार्य में देर होने के संबंध में पेश जवाब किया गया था. केन्द्र सरकार की तरफ से बताया गया कि राषि का कोई मुद्दा नहीं है. सिर्फ एक आवेदन प्राप्त होने के कारण टेंडर निरस्त किया गया है,शीघ्र ही दूसरा टेंडर जारी किया जायेगा. सरकार की तरफ से अधिवक्ता विक्रम सिंह ने पैरवी की.