नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय में उस मौजूदा नियम को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई है, जिसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली विश्वविद्यालय और गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय द्वारा संचालित नर्सिंग कॉलेजों में बीएससी (ऑनर्स) नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए विशेष रूप से महिला उम्मीदवारों को आवेदन करने की अनुमति दी जाती है।
इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन की याचिका में नियम पर पुनर्विचार की मांग की गई है, और अदालत से एक नए विनियमन के कार्यान्वयन का निर्देश देने का आग्रह किया गया है, जो सभी लिंगों के व्यक्तियों को बी.एससी. (ऑनर्स) नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्र बना देगा।
देशभर में नर्सों के कल्याण के लिए समर्पित एक पंजीकृत गैर-सरकारी निकाय का कहना है कि केवल महिलाओं के लिए प्रवेश अनुमति देना मनमाना माना जाता है और लोकतंत्र, निष्पक्षता और समानता के मूल सिद्धांतों के विपरीत है।
यह तर्क दिया जाता है कि यह प्रथा “स्पष्ट रूप से मनमाना” है और संविधान के अनुच्छेद 14 में उल्लिखित उचित वर्गीकरण के मानकों को पूरा करने में विफल है।
याचिका में कहा गया है कि लिंग-विशिष्ट पात्रता नियम देश में अधिक नर्सिंग पेशेवरों की तत्काल आवश्यकता को नजरअंदाज करता है और परिणामस्वरूप, जनता के व्यापक हित के खिलाफ है।
–आईएएनएस
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