विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
–आईएएनएस
एसएचके/सीबीटी
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नई दिल्ली , 8 अगस्त (आईएएनएस)। बीजेपी नेता व राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद ने संसद में वक्फ बिल पेश होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की ।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली , 8 अगस्त (आईएएनएस)। बीजेपी नेता व राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद ने संसद में वक्फ बिल पेश होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की ।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली , 8 अगस्त (आईएएनएस)। बीजेपी नेता व राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद ने संसद में वक्फ बिल पेश होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की ।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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नई दिल्ली , 8 अगस्त (आईएएनएस)। बीजेपी नेता व राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद ने संसद में वक्फ बिल पेश होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की ।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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नई दिल्ली , 8 अगस्त (आईएएनएस)। बीजेपी नेता व राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद ने संसद में वक्फ बिल पेश होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की ।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।
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नई दिल्ली , 8 अगस्त (आईएएनएस)। बीजेपी नेता व राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद ने संसद में वक्फ बिल पेश होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की ।
उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस बिल के जरिए महिलाओं को सहूलियत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया गया है, इसलिए इस बिल को लाया जाना जरूरी था।”
विपक्ष के विरोध पर उन्होंने कहा, “विपक्ष हमेशा से ही जाति वर्ग की बात करता हुआ आया है, लेकिन इससे इन लोगों को कोई खास फायदा होने वाला नहीं है। इन लोगों की साजिशों को देश की जनता अब समझ चुकी है। तुष्टिकरण की राजनीति में विपक्ष लगा हुआ है। इससे पहले, जब तीन तलाक का बिल लाया गया था, तो उस वक्त भी इसका विरोध किया गया था, लेकिन जब इसे कानून का रूप दे दिया गया है, तो न जाने कितनी ही मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली।”
वक्फ बोर्ड से जुड़े बिल का विरोधी दल विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाया जाएगा और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने का मार्ग भी प्रशस्त किया जाएगा। हालांकि, सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने की सिफारिश की है।
बता दें कि इस्लामिक परंपराओं के अनुसार जब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान कर देता है, तो उसका मालिक कोई और नहीं, बल्कि अल्लाह ही होता है, लेकिन ऐसी सभी दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करने के लिए इस्लाम में कुछ संस्थान बनाए गए हैं।
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक की आयु को पार कर चुका कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ कर सकता है, लेकिन इनके संचालन के लिए कई तरह के संस्थान होते हैं। इनमें से एक वक्फ बोर्ड है।