नई दिल्ली, 14 मार्च (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय मंगलवार को कर्नाटक साबुन और डिटर्जेंट (केएसडीएल) अनुबंध घोटाले में आरोपी भाजपा विधायक मदल विरुपक्षप्पा को उच्च न्यायालय द्वारा दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली कर्नाटक लोकायुक्त की याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया।
एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष तत्काल लिस्टिंग के लिए याचिका का उल्लेख किया। मुख्य न्यायाधीश ने वकील से न्यायमूर्ति एस.के. कौल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इसको ले जाने के लिए कहा। कौल ने कहा कि सीजेआई की अदालत संविधान पीठ के मामले की सुनवाई कर रही है और पीठ के लिए यह संभव नहीं होगा कि वह सुनवाई करे। वकील ने जोर देकर कहा कि मामले को दोपहर 2 बजे उठाया जा सकता है।
पीठ ने कहा, हम एक संविधान पीठ के मामले की सुनवाई कर रहे हैं वरना हम इस पर विचार करते। दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने वकील से न्यायमूर्ति कौल के समक्ष मामला ले जाने को कहा।
वकील ने न्यायमूर्ति कौल के समक्ष मामले का उल्लेख किया, जिन्होंने उनसे पूछा कि मामले को सूचीबद्ध करने की क्या जल्दी थी?
वकील ने जवाब दिया कि आरोपी मौजूदा विधायक है और उसके कब्जे से बड़ी मात्रा में धन जब्त किया गया था। उसने अदालत से दोपहर दो बजे मामले की सुनवाई करने का अनुरोध किया। पीठ ने कहा कि मामले को उचित समय पर सूचीबद्ध किया जाएगा।
इस महीने की शुरुआत में, लोकायुक्त पुलिस ने भाजपा विधायक के बेटे प्रशांत मदल को गिरफ्तार किया, जो बैंगलोर जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के मुख्य लेखा अधिकारी हैं, जिन्होंने कथित रूप से केएसडीएल कार्यालय में अपने पिता की ओर से 40 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। अपने बेटे की गिरफ्तारी के बाद विरुपकाशप्पा ने केएसडीएल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
हाईकोर्ट ने विधायक की याचिका पर सुनवाई के बाद उन्हें अग्रिम जमानत दे दी।
–आईएएनएस
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