नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। लोकसभा को दी गई हालिया जानकारी के अनुसार, बीते 10 वर्षों में विभिन्न देशों के 4,500 से अधिक अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवकों ने सार्वजनिक नीति और शासन पर मध्य-कैरियर क्षमता निर्माण कार्यक्रम के लिए भारत का दौरा किया।
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक लिखित उत्तर में कहा कि अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम शासन में बेस्ट प्रैक्टिस और इनोवेशन पर केंद्रित है, जिससे विदेशों में भारत के सुशासन मॉडल का प्रसार संभव हो रहा है।
उन्होंने कहा, “वर्ष 2014-2024 की अवधि में 32 देशों के 4,500 से अधिक अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवकों ने सार्वजनिक नीति और शासन पर मध्य-कैरियर क्षमता निर्माण कार्यक्रम (बहु-देशीय कार्यक्रम सहित) के लिए एनसीजीजी का दौरा किया है।”
केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि डीएआरपीजी/एनसीजीजी ने लोक प्रशासन, लोक नीति और शासन सुधार के क्षेत्र में यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, पुर्तगाल, सिंगापुर, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, गाम्बिया, मालदीव और मलेशिया के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2029 तक प्रशिक्षित किए जाने वाले सिविल सेवकों की कुल संख्या मौजूदा समझौता ज्ञापनों और अन्य द्विपक्षीय व्यवस्थाओं के तहत साझेदार देशों के अनुरोधों/आवश्यकताओं पर निर्भर करेगी।
उन्होंने आगे कहा, “क्लासरूम सेशन में सिखाए जा रहे भारत के शासन मॉडल के फोकस क्षेत्रों में 2047 तक विजन इंडिया, शासन में नए प्रतिमान, लोक शिकायतों का प्रभावी निवारण, आधार, पीएम गति शक्ति, आपदा प्रबंधन पद्धतियां, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, डिजिटल इंडिया, कौशल भारत, ब्लू इकॉनमी, स्वामित्व योजना आदि शामिल हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवक दिल्ली मेट्रो, यूपीएससी, भारतीय चुनाव आयोग, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, जिला प्रशासन आदि से भी जुड़े हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवकों ने प्रोग्राम से प्राप्त स्पेशल लर्निंग के साथ ग्रुप वर्क प्रोजेक्ट को लेकर अपनी भागीदारी दर्ज करवाई।
–आईएएनएस
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