पटना, 11 जनवरी (आईएएनएस)। पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।
ये याचिकाएं बार-बार परीक्षा में गड़बड़ी और विरोध-प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों के साथ कथित दुर्व्यवहार को लेकर बढ़ते जनाक्रोश के बीच दायर की गई हैं।
पप्पू यादव ने बीपीएससी पर लापरवाही का आरोप लगाया है, खास तौर पर बार-बार पेपर लीक होने की घटनाओं को उजागर किया है, जिससे कई परीक्षाएं प्रभावित हुई हैं।
पहली याचिका में बीपीएससी से जवाबदेही की मांग की गई है तथा इसकी परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उपाय करने की मांग की गई है।
दूसरी याचिका में कथित तौर पर अत्यधिक बल प्रयोग की बात कही गई है, जिसमें प्रदर्शनकारी उम्मीदवारों पर लाठीचार्ज और उसके बाद उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर शामिल हैं। यादव ने प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई कठोर और अनुचित है।
तीसरी याचिका में व्यापक कदाचार और निष्पक्षता की कमी का हवाला देते हुए 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई है।
पप्पू यादव ने कहा, “बार-बार पेपर लीक होना गहरी प्रणालीगत समस्याओं का संकेत है, जिसमें संजीव मुखिया जैसे परीक्षा माफियाओं के प्रभावशाली राजनीतिक नेताओं से घनिष्ठ संबंध होने की बात कही गई है।”
यादव ने आगामी 31 जनवरी से शुरू हो रहे लोकसभा सत्र में परीक्षा भ्रष्टाचार और पेपर लीक के मुद्दे को उठाने की योजना की भी घोषणा की तथा इस पर देशव्यापी चर्चा की मांग की।
पप्पू यादव के अलावा जन सुराज और कई अभ्यर्थियों तथा संगठनों ने भी कथित तौर पर बड़े पैमाने पर धांधली के कारण 13 दिसंबर को आयोजित 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने के लिए पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
इससे पहले 7 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं को पहले पटना उच्च न्यायालय का रुख करने का निर्देश दिया।
राजनीतिक रणनीतिकार और कार्यकर्ता प्रशांत किशोर की परोक्ष रूप से आलोचना करते हुए पप्पू यादव ने उन्हें “नया सत्याग्रही” बताया।
उन्होंने किशोर का मजाक उड़ाया कि आंदोलन में केवल कुछ दिनों तक भाग लेने के बाद उन्हें कथित तौर पर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ी, जिससे उनकी प्रतिबद्धता और उद्देश्यों पर सवाल उठते हैं।
–आईएएनएस
एकेएस/एकेजे