बीजिंग, 14 मई (आईएएनएस)। आज का मनुष्य गजब की उलटबांसी के दौर में रह रहा है। बढ़ते औद्योगीकरण की वजह से दुनियाभर का पर्यावरण दूषित हो रहा है, लेकिन जिंदगी को सहज बनाने वाली सहूलियतों में भी बढ़ोतरी हुई है। दुनिया में गरीबी भी है, लेकिन यह भी सच है कि पिछली शताब्दी की तुलना में समृद्धि भी बढ़ी है। इस वजह से लोगों का जीवन स्तर सुधरा है।
वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के चलते बीमारियों का इलाज बेहतर तरीके से हो रहा है, कभी दुनिया में लोगों को काल का गाल बनने वाली कई महामारियों पर काबू पाया जा चुका है। ऐसे में जिंदगी की प्रत्याशा बढ़नी ही थी और वह बढ़ी भी है। अब पहले की तुलना में लोगों की उम्र बढ़ गई है। इसका असर विशेषकर चीन और भारत जैसी बड़ी जनसंख्या वाले देशों पर दिखने लगा है। दुनियाभर में बढ़ रही बुजुर्ग आबादी अब चिंता का सबब बनने वाली हैं। एशिया के दो बड़े देशों चीन और भारत में बुजुर्गो की आबादी लगातार बढ़ रही है।
आने वाले दिनों में बुजुर्गो की देखभाल चुनौतीपूर्ण रहने वाली है। एशिया के समाज पारिवारिक रहे हैं, लेकिन औद्योगीकरण और आर्थिक उदारीकरण के बाद एकल परिवारों का चलन बढ़ा है। बुजुर्ग अब अकेले रहने को अभिशप्त हैं। इसी सब को ध्यान रखते हुए चीन की कंपनियां और सामाजिक संगठन आगे आने लगे हैं। बुजुर्गो की देखभाल, उनकी सुरक्षा आदि का ध्यान रखने के लिए उत्पाद बनाए जाने लगे हैं। ऐसे ही उत्पादों की प्रदर्शन नौंवीं बार चीन की राजधानी बीजिंग में बीती पांच से सात मई तक चली। चीन इंटरनेशनल सीनियर केयर सर्विस केयर एक्स्पो का यह नौंवा संस्करण था। इसमें करीब बीस देशों के सामाजिक संगठन, बुजुर्गो पर अध्ययन और उनकी देखभाल करने वाले संगठन के साथ बुजुर्गो को ध्यान में रखते हुए घरेलू और चिकित्सा उपकरण बनाने वाले उद्योग शामिल हुए। इसके जरिए लोगों को पता चला कि बुजुर्गो के लिए किस तरह के उत्पाद आ रहे हैं और बढ़ती उम्र के उनके एकाकी जीवन को चैन और सुकून से कैसे भर सकते हैं?
इस एक्स्पो का महत्व चीन और भारत में लगातार बढ़ते उम्रदराज लोगों की संख्या को देखकर समझा जा सकता है। बात अगर चीन की करें तो 2020 की चीन की सातवीं जनगणना के मुताबिक, देश में करीब 26 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनकी उम्र या तो 60 साल है या फिर उससे ज्यादा है। अनुमान है कि साल 2035 तक बुजुर्गो की यह संख्या बढ़कर चालीस करोड़ हो जाएगी। भारत में भी कुछ ऐसा ही हाल है।
भारत के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, यहां बुजुर्गो की जनसंख्या साल 1961 से लगातार बढ़ रही है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत की 1981 की जनगणना के मुताबिक, स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के कारण मृत्युदर में कमी आई है। इसकी वजह से भारत में भी बुजुर्गो की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यहां याद करना चाहिए कि भारत में हर दस साल बाद जनगणना होती है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना नहीं हो पाई है। हालांकि भारत सरकार की ओर से जनसांख्यिकीय बदलाव को लेकर अध्ययन होते रहते हैं।
बहरहाल, साल 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में बुजुर्गो की आबादी 10 करोड़ 38 लाख थी, जिसमें 5 करोड़ 28 लाख पुरुष और 5 करोड़ 11 लाख महिलाएं थीं। भारत के सांख्यिकी ब्यूरो को अनुमान है कि साल 2031 तक देश में बुजुर्गो की संख्या 19 करोड़ 38 लाख को पार कर जाएगी। इसमें 9 करोड़ 29 लाख पुरुष और 10 करोड़ 9 लाख महिलाएं होंगीं।
चाहे चीन हो या भारत, आने वाले दिनों में जिस तरह एकल परिवार की तरफ दुनिया बढ़ती जा रही है, बुजुर्गो की देखभाल के लिए रवैया बदलना होगा। सक्षम बुजुर्ग खुद की देखभाल के लिए खुद कदम उठा सकेंगे, वहीं सामाजिक संगठनों और सरकारों को जिंदगी का स्वर्ण काल बीता चुके बुजुर्गो के साथ मानवीय और सहूलितपूर्ण व्यवहार करने के लिए आगे आना होगा।
नौंवे चीन इंटरनेशनल सीनियर केयर एक्स्पो में इसे देखते हुए कुछ कंपनियों ने अपने रोबोट प्रस्तुत किए तो घरेलू कैमरे और सुरक्षा सिस्टम का प्रदर्शन किया। एक रोबोट ऐसा रहा, जो घर में अकेले रहे बुजुर्ग का वजन देख सकता है, ब्लड प्रेशर नाप सकता है, ऐसे ही सेहत की दूसरी जांच कर सकता है। यह रोबोट स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़ा होगा और चिंता की स्थिति में वह डॉक्टर को फोन कर सकता है। इसी तरह एक कंपनी ऐसा सुरक्षातंत्र प्रस्तुत किया, जिसमें सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे, दरवाजे खोलने से पहले इस सिस्टम में जांचा जा सकता और अगर खतरा हो तो पुलिस या कंपनी के कॉल सेंटर से खुद ही वह जोड़ देगा। ऐसे कई तरह के उत्पाद प्रस्तुत हुए। साफ है कि ये उत्पाद बुजुर्गो की देखभाल के लिए बेहद कारगर होंगे।
(लेखक : उमेश चतुर्वेदी – वरिष्ठ भारतीय पत्रकार)
–आईएएनएस
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