मेलबर्न, 9 जुलाई (आईएएनएस)। गुलाम बनाकर रखने के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद एक ऑस्ट्रेलियाई तमिल महिला को अतिरिक्त ढाई साल जेल की सजा सुनाई गई है।
माउंट वेवर्ली की 55 वर्षीय कुमुथिनी कन्नन और उनके पति कंडासामी कन्नन को ऑस्ट्रेलियाई संघीय पुलिस (एएफपी) की जांच के बाद 2021 में दोषी ठहराया गया और जेल में डाल दिया गया। दंपति ने एक पीड़िता को आठ साल तक गुलाम बनाकर रखा था।
दंपति ने तमिलनाडु की पीड़िता को खाना पकाने, सफाई करने और अपने बच्चों की देखभाल करने के दौरान गंदे हालात में रहने के लिए मजबूर किया था।
पुलिस ने कहा कि माना जा रहा है कि पीड़िता को गंभीर कुपोषण, मधुमेह और पैरों और हाथों में गैंग्रीन के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
13 जून, 2023 को अपराध स्वीकार करने के बाद कुमुथिनी को शुक्रवार को विक्टोरिया की काउंटी अदालत में दो साल और छह महीने की अतिरिक्त कैद की सजा सुनाई गई।
न्यायाधीश ने आदेश दिया कि गुलाम बनाकर रखने के अपराध के लिए उसकी वर्तमान सजा पूरी होने से 18 महीने पहले सजा शुरू होगी।
एएफपी के जासूस अधीक्षक सिमोन बुचर ने कहा कि मुकदमे की अखंडता के साथ छेड़छाड़ करने का कोई भी प्रयास पुलिस के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
बुचर ने कहा, “कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, और जनता को आश्वस्त होना चाहिए कि जो कोई भी न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की कोशिश करता है वह गंभीर दंड का पात्र है।”
पुलिस ने जून 2016 में दंपति पर पीड़िता को गुलाम बनाकर रखने का आरोप लगाया और 2020 में, मुकदमे की प्रतीक्षा के दौरान, कुमुथिनी ने पीड़िता को फोन कर उसे धमकाने और अदालती कार्यवाही के दौरान सबूत न देने की चेतावनी देकर न्याय के रास्ते में रोड़ा अटकानेका प्रयास किया।
अदालत ने 2021 में गुलाम बनाने के अपराध के लिए कुमुथिनी को चार साल की गैर-पैरोल अवधि के साथ आठ साल की कैद की सजा सुनाई थी। वहीं कंदासामी को तीन साल की गैर-पैरोल अवधि के साथ छह साल की कैद की सजा सुनाई गई थी।
2021 में सजा सुनाते समय न्यायमूर्ति जॉन चैंपियन ने कहा, “किसी ने भी अफसोस या दुख की भावना व्यक्त नहीं की है – यह अमानवता है।”
गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, चार बच्चों की मां पीड़िता 2007 में एक महीने के पर्यटक वीजा पर दोबारा लौटने से पहले 2002 और 2004 में कन्नन परिवार के साथ रहने के लिए दो बार ऑस्ट्रेलिया आई थी।
अपने परिवार के पास लौटने की अनुमति देने के अनुरोध के बावजूद, महिला को दंपति के बच्चों की देखभाल, खाना पकाने, सफाई और काम करने के लिए प्रतिदिन 23 घंटे तक काम करने के लिए मजबूर किया गया।
उसके साथ मारपीट की गई। बदले में, उसे प्रति दिन लगभग 3.36 ऑस्ट्रेलायी डॉलर का भुगतान किया जाता था।
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, कुमुथिनी ने पैरामेडिक्स और अस्पताल के कर्मचारियों से पीड़िता की पहचान के बारे में झूठ बोला था, इसलिए उसे गलत नाम के तहत भर्ती कराया गया था।
–आईएएनएस
पीके/एसकेपी