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बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी : सीरीज में बने ये बड़े रिकॉर्ड, बुमराह ने किया कमाल

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January 5, 2025
in खेल
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बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी : सीरीज में बने ये बड़े रिकॉर्ड, बुमराह ने किया कमाल
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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

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इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

–आईएएनएस

एएस/

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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

–आईएएनएस

एएस/

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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

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इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

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इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

–आईएएनएस

एएस/

नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

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इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

–आईएएनएस

एएस/

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नई दिल्ली, 5 जनवरी (आईएएनएस)। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारत को सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में 6 विकेट से मात देने के बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से जीत ली। इससे पहले कंगारूओं ने 2014/15 में अंतिम बार भारत को इस ट्रॉफी में अपने घर पर 2-0 से हराया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया में हुई दो बीजीटी सीरीज 2-1 से जीती थी।

इस सीरीज की शुरुआत मेजबान टीम की हार के तौर पर हुई जब भारत ने पर्थ टेस्ट में 295 रनों की धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने अगले चार में तीन टेस्ट मैच जीते। इससे पहले साल 1997 में ऑस्ट्रेलिया ने 0-1 से सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड को 3-2 से हराया था। जबकि उन्होंने अपनी धरती पर ऐसा 1968/69 में ही किया था जब वेस्टइंडीज टीम को 3-1 से मात दी थी।

सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इस बार 1141 गेंदें फेंकी गई जो यहां 1896 के बाद से सबसे कम हैं। यह बताता है कि इस मैच की पिच वाकई में चुनौतीपूर्ण थी और इस मुकाबले में कप्तानी कर रहे जसप्रीत बुमराह ने भी इसे स्वीकारते हुए मैच के बाद कहा था कि उन्होंने पूरी सीरीज में गेंदबाजी के लिए सबसे मुफीद विकेट पर बॉलिंग करना मिस किया।

साल 2000 के बाद से यह केवल तीसरी बार हुआ है जब भारतीय क्रिकेट एक टेस्ट सीरीज के किसी दो मैचों की दोनों पारियों में 200 रनों से कम पर आउट हो गई। यह बीजीटी सीरीज में भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी के संघर्ष को दर्शाता है।

भारतीय क्रिकेट में फिलहाल चीजें परफेक्शन से बहुत दूर हैं। सीनियर खिलाड़ियों की फॉर्म, कप्तानी, मैनेजमेंट पर सवालिया निशान हैं। भारत पिछली दो टेस्ट सीरीज में तीन मैच हारा है। इससे पहले टीम इंडिया अपने घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ भी 0-3 से हार गई थी। खास बात यह है कि 2024/25 सीजन में ऐसा सिर्फ दो ही बार हुआ है।

सिडनी टेस्ट में स्कॉट बोलैंड ने मैच में 76 रन देकर 10 विकेट हासिल किए। वह इस मैदान पर साल 1900 के बाद 10 विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज हैं। इससे पहले ग्लेन मैक्ग्रा ने यहां साल 2000 में 103 रन देकर 10 विकेट हासिल किए थे। बोलेंड का प्रदर्शन इस सीरीज में इतना जबरदस्त था कि उन्होंने एक बैकअप बॉलर की छवि को भी तोड़ दिया। वह बैकअप बॉलर के तौर पर आए और 13.19 की औसत के साथ 21 विकेट हासिल किए।

वहीं जसप्रीत बुमराह ने सीरीज में सर्वाधिक 32 विकेट हासिल किए और वह ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ साबित हुए। इससे पहले भारत के तेज गेंदबाज कपिल देव ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी घरेलू जमीन पर साल 1979/80 में 32 विकेट हासिल किए थे। भारत का कोई और तेज गेंदबाज एक सीरीज में इससे ज्यादा विकेट नहीं ले पाया है। कपिल देव ने तब 17.68 की औसत से 32 विकेट लिए थे। जबकि बुमराह ने केवल 13.06 की औसत से विकेट लिए।

भारतीय गेंदबाजों में ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने जरूर साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में 32 विकेट चटकाए थे।

–आईएएनएस

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