सोनीपत, 11 मई (आईएएनएस)। ब्रिटेन में भारतीय छात्रों की संख्या चीन सहित सभी देशों से ज्यादा है। भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में भारत-ब्रिटेन संबंधों पर एक विशिष्ट सार्वजनिक व्याख्यान में यह बात कही।
उन्होंने कहा, हमारे दोनों देशों के लोगों के बीच असाधारण संबंध हैं। इसके बावजूद भारत-ब्रिटेन संबंधों को और गहरा करने की गुंजाइश है।
ब्रिटेन के उच्चायुक्त का यहां आना और जेजीयू का दौरा करना एक अनूठा और प्रतिष्ठित अवसर था। वह पहली बार यहां आए थे। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मामले, कानून एवं अन्य विषयों के छात्रों को संबोधित किया और उन्हें दुनिया के दो महत्वपूर्ण लोकतंत्रों के बीच संबंधों के कूटनीतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण के बारे में बताया।
उन्होंने कहा, भारत और ब्रिटेन इंसानी स्तर पर जुड़ते हैं। हम दुनिया की पांचवीं और छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, भारत 2030 तक दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। हम एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं। यह काफी महत्वपूर्ण है कि हम आर्थिक मूल्य के साथ-साथ्र रणनीतिक मूल्य भी देखते हैं। राष्ट्रों के रूप में हम दुनिया की कुछ सबसे बड़ी समस्याओं से निपटने की कोशिश करेंगे, वशेष रूप से जलवायु परिवर्तन! हम पहले ही दिखा चुके हैं कि हमने महामारी के दौरान कोविशील्ड वैक्सीन के अनुसंधान और उत्पादन में कितना अच्छा सहयोग किया है। इसे ब्रिटेन के दूसरे सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय में अनुसंधान द्वारा वित्त पोषित किया गया था और फिर भारत में इसका विकास तथा न्र्मिाण किया गया जो एक बड़ी उपलब्धि है। लेकिन जलवायु परिवर्तन से दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक होगा और हम अपने जीवन काल में ही इसका सामना करेंगे।
इसके बाद उच्चायुक्त ने भू-राजनीतिक रणनीतिक अनिवार्यताओं पर प्रकाश डाला जो भारत-ब्रिटेन संबंधों को प्रभावित करेगा।
उन्होंने कहा, व्यापार और निवेश, क्षेत्रीय और भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा भी पर भी चर्चा आगे बढ़ेगी। लेकिन मानवीय संबंध ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं चाहूंगा कि भारत की वास्तविकता को समझने के लिए और अधिक ब्रिटिश भारत आएं।
उन्होंने भारत और ब्रिटेन के बीच के साझा इतिहास के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां एक राजनयिक के रूप में उन्हें ऐतिहासिक संवेदनशीलताओं का विशेष ध्यान रखना था लेकिन उन्होंने समकालीन परिणामों को भी देखा।
अपने व्यापक व्याख्यान में उच्चायुक्त ने भूगोल, संस्कृति, भाषा, खानपान, क्रिकेट और जिस देश में आप रहते हैं, उसके प्रति सम्मान दिखाने जैसे विषयों पर भी बात की।
जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक वाइस चांसलर प्रोफेसर डॉ. सी. राज कुमार ने जेजीयू में उच्चायुक्त का स्वागत किया और कहा: भारत यूके संबंधों के उल्लेखनीय पहलुओं में से एक संबंध का असाधारण विकास है, खासकर जब हम 200 साल से भी लंबे औपनिवेश निवेश के इतिहास का सामना कर रहे हैं। भारत राष्ट्रमंडल का एक हिस्सा बना रहा, यह स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोगों की असाधारण ²ष्टि और दूरदर्शिता के बारे में बहुत कुछ कहती है। दुनिया के उत्तर-औपनिवेशिक संबंधों के बीच, भारत-ब्रिटेन संबंध पिछले 35 वर्षों के सबसे निर्णायक संबंधों में से एक है। जैसे-जैसे यह संबंध रणनीति, सुरक्षा, व्यापार, निवेश आदि की सामान्य सीमाओं से परे जाता है, शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हम विश्वविद्यालयों में इस संबंध को बहुत अलग देख रहे हैं, भारतीय परिकल्पना और आकांक्षा में ब्रिटिश विश्वविद्यालयोंकी बौद्धिक उपस्थिति में ²ढ़ता से विश्वास करते हैं ताकि बड़ी संख्या में भारतीय युवा भारत और दुनिया के दूसरे देशों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम हो सकें। इस रिश्ते का एक पहलू जिसके लिए और अधिक प्रोत्साहन की आवश्यकता है – भारतीय विश्वविद्यालयों में ब्रिटिश छात्रों की मजबूत उपस्थिति की आवश्यकता है, जबकि ब्रिटेन में भारतीय छात्र काफी संख्या में जाते रहे हैं।
जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के डीन प्रोफेसर (डॉ.) श्रीराम चौलिया ने भारत-ब्रिटेन संबंधों का सिंहावलोकन करते हुए कहा: भारत और ब्रिटेन के लिए तीसरे दुनिया के देशों में संयुक्त रूप से काम करने की बहुत संभावनाएं हैं, ताकि हमें हमारी रणनीतिक साझेदारी का पूरा लाभ मिल सके। एक समय था, विशेष रूप से शीत युद्ध की अवधि के दौरान, जब हम अपने यहां पश्चिम का प्रभाव नहीं चाहते थे। अब परि²श्य बदल गया है। इसमें से कुछ हद तक चीन के उदय का हाथ है, लेकिन ज्यादा बड़ा कारण इस क्षेत्र में यूरोपीय देशों के लिए नए आर्थिक अवसरों का होना है। भविष्य में, हम बड़ी साझेदारी देखने जा रहे हैं – न केवल मुक्त व्यापार समझौता, बल्कि रक्षा तथा तीसरी दुनिया के देशों में संयुक्त त्रिकोणीय सहयोग में भी।
जिंदल ग्लोबल सेंटर फॉर जी20 स्टडीज के डीन और निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मोहन कुमार ने भारत में एलिस का स्वागत किया और स्थानीय संस्कृति तथा भाषाओं को समझने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की जी20 की अध्यक्षता अगले वर्ष समाप्त होने के बाद जी20 अध्ययन केंद्र उच्चायुक्त के इनपुट की भी प्रतीक्षा करेगा।
–आईएएनएएस
एकेजे