सिडनी, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। ब्लड प्रेशर के उतार-चढ़ाव से मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) हो सकता हैै। वहीं, इससे वैस्कुलर (रक्त धमनियों की भीतरी दीवारों पर वसा जमा होना) का भी खतरा बना रहता है। एक रिसर्च से यह बात सामने आई है।
अध्ययन का नेतृत्व करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया (यूनिएसए) के शोधकर्ताओं के अनुसार, 24 घंटों के भीतर,कई दिनों या हफ्तों में रक्तचाप (बीपी) में उतार-चढ़ाव बिगड़ेे हुए स्वास्थ्य का संकेत है।
उच्च सिस्टोलिक बीपी भिन्नता (शीर्ष संख्या जो दिल की धड़कन होने पर धमनियों में दबाव को मापती है) भी धमनियों के सख्त होने से जुड़ी होती है, जो हृदय रोग से जुड़ी होती है।
यह सर्वविदित है कि उच्च रक्तचाप मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के लिए एक जोखिम कारक है, लेकिन रक्तचाप में उतार-चढ़ाव पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है।
सेरेब्रल सर्कुलेशन – कॉग्निशन एंड बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित पेपर में प्रमुख लेखक डारिया गटरिज ने कहा, “नैदानिक उपचार रक्तचाप की परिवर्तनशीलता को नजरअंदाज करते हुए उच्च रक्तचाप पर ध्यान केंद्रित करते हैं।”
गटरिज ने कहा, रक्तचाप अलग-अलग समय सीमा में उतार-चढ़ाव कर सकता है। इससे मनोभ्रंश और रक्त वाहिका स्वास्थ्य का खतरा बढ़ जाता है।
उन तंत्रों का पता लगाने में मदद करने के लिए जो बीपी के उतार-चढ़ाव को मनोभ्रंश से जोड़ते हैं, शोधकर्ताओं ने 60-80 वर्ष की आयु के 70 स्वस्थ वृद्ध वयस्कों को भर्ती किया, जिनमें मनोभ्रंश या संज्ञानात्मक हानि के कोई लक्षण नहीं थे।
उनके रक्तचाप की निगरानी की गई, उन्होंने संज्ञानात्मक परीक्षण पूरा किया, और मस्तिष्क और धमनियों में उनकी धमनी कठोरता को ट्रांसक्रानियल डॉपलर सोनोग्राफी और पल्स वेव विश्लेषण का उपयोग करके मापा गया।
लेखकों ने लिखा, “हमने पाया कि एक दिन के भीतर, साथ ही पूरे दिन में उच्च रक्तचाप परिवर्तनशीलता, कम संज्ञानात्मक प्रदर्शन से जुड़ी हुई थी। हमने यह भी पाया कि सिस्टोलिक बीपी के भीतर उच्च रक्तचाप भिन्नता धमनियों में उच्च रक्त वाहिका कठोरता से जुड़ी हुई थी।
शोधकर्ताओं ने देखा, ”इन परिणामों से संकेत मिलता है कि विभिन्न प्रकार के बीपी परिवर्तनशीलता संभवतः विभिन्न अंतर्निहित जैविक तंत्रों को दर्शाती है, और सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप भिन्नता दोनों वयस्कों में संज्ञानात्मक कामकाज के लिए महत्वपूर्ण हैं।”
शोधकर्ताओं ने कहा कि बीपी परिवर्तनशीलता संभावित रूप से प्रारंभिक नैदानिक मार्कर या उपचार लक्ष्य के रूप में काम कर सकती है।
–आईएएनएस
एमकेएस/एबीएम