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भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी में सुविधाओं की मांग वाली याचिका पर आप सरकार को नोटिस

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December 19, 2022
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भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी में सुविधाओं की मांग वाली याचिका पर आप सरकार को नोटिस
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नई दिल्ली, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली में भलस्वा लैंडफिल के पास भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी में बुनियादी सुविधाओं की मांग वाली एक याचिका पर दिल्ली सरकार और नगर निगम को नोटिस जारी किया।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने अधिकारियों को नोटिस जारी किया और कॉलोनी के निवासियों को स्वच्छ पेयजल, जल निकासी और स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं किए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी।

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याचिका में उल्लेख किया गया है कि दूषित पानी और खराब रहने की स्थिति के कारण, कॉलोनी के निवासियों को गंभीर त्वचा रोग और आघात का सामना करना पड़ रहा है।

याचिका के मुताबिक, साल 2000 से 2002 के बीच दिल्ली के गौतमपुरी यमुना पुस्ता, ईस्ट ऑफ कैलाश गढ़ी, जहांगीरपुरी, गोपालपुर, सीलमपुर, दक्षिणपुरी, प्रीत विहार, अशोक विहार, रोहिणी, आईएसबीटी और निजामुद्दीन बारापुला से निवासियों का भलस्वा में पुनर्वास किया गया था।

पुष्पा नाम की एक महिला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है : पुनस्र्थापना का उद्देश्य पुनर्वासित लोगों के लिए जीवन का एक बेहतर और व्यवस्थित तरीका सुनिश्चित करना है। सरकार द्वारा पुनर्वास किसी भी क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। इसलिए पुनर्वासित लोगों को आवश्यक और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करें।

याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी अधिकारियों के कानूनी कर्तव्य की लापरवाही के कारण लोग अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं।

याचिकाकर्ता के साथ भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी के लोग बुनियादी आवश्यक सुविधाएं हासिल करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनके लिए कोई उपाय नहीं किया गया है।

अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 18 अप्रैल को सूचीबद्ध किया।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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नई दिल्ली, 19 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली में भलस्वा लैंडफिल के पास भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी में बुनियादी सुविधाओं की मांग वाली एक याचिका पर दिल्ली सरकार और नगर निगम को नोटिस जारी किया।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने अधिकारियों को नोटिस जारी किया और कॉलोनी के निवासियों को स्वच्छ पेयजल, जल निकासी और स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं किए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी।

याचिका में उल्लेख किया गया है कि दूषित पानी और खराब रहने की स्थिति के कारण, कॉलोनी के निवासियों को गंभीर त्वचा रोग और आघात का सामना करना पड़ रहा है।

याचिका के मुताबिक, साल 2000 से 2002 के बीच दिल्ली के गौतमपुरी यमुना पुस्ता, ईस्ट ऑफ कैलाश गढ़ी, जहांगीरपुरी, गोपालपुर, सीलमपुर, दक्षिणपुरी, प्रीत विहार, अशोक विहार, रोहिणी, आईएसबीटी और निजामुद्दीन बारापुला से निवासियों का भलस्वा में पुनर्वास किया गया था।

पुष्पा नाम की एक महिला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है : पुनस्र्थापना का उद्देश्य पुनर्वासित लोगों के लिए जीवन का एक बेहतर और व्यवस्थित तरीका सुनिश्चित करना है। सरकार द्वारा पुनर्वास किसी भी क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। इसलिए पुनर्वासित लोगों को आवश्यक और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करें।

याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी अधिकारियों के कानूनी कर्तव्य की लापरवाही के कारण लोग अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं।

याचिकाकर्ता के साथ भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी के लोग बुनियादी आवश्यक सुविधाएं हासिल करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनके लिए कोई उपाय नहीं किया गया है।

अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 18 अप्रैल को सूचीबद्ध किया।

–आईएएनएस

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मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने अधिकारियों को नोटिस जारी किया और कॉलोनी के निवासियों को स्वच्छ पेयजल, जल निकासी और स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं किए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी।

याचिका में उल्लेख किया गया है कि दूषित पानी और खराब रहने की स्थिति के कारण, कॉलोनी के निवासियों को गंभीर त्वचा रोग और आघात का सामना करना पड़ रहा है।

याचिका के मुताबिक, साल 2000 से 2002 के बीच दिल्ली के गौतमपुरी यमुना पुस्ता, ईस्ट ऑफ कैलाश गढ़ी, जहांगीरपुरी, गोपालपुर, सीलमपुर, दक्षिणपुरी, प्रीत विहार, अशोक विहार, रोहिणी, आईएसबीटी और निजामुद्दीन बारापुला से निवासियों का भलस्वा में पुनर्वास किया गया था।

पुष्पा नाम की एक महिला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है : पुनस्र्थापना का उद्देश्य पुनर्वासित लोगों के लिए जीवन का एक बेहतर और व्यवस्थित तरीका सुनिश्चित करना है। सरकार द्वारा पुनर्वास किसी भी क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। इसलिए पुनर्वासित लोगों को आवश्यक और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करें।

याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी अधिकारियों के कानूनी कर्तव्य की लापरवाही के कारण लोग अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं।

याचिकाकर्ता के साथ भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी के लोग बुनियादी आवश्यक सुविधाएं हासिल करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनके लिए कोई उपाय नहीं किया गया है।

अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 18 अप्रैल को सूचीबद्ध किया।

–आईएएनएस

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मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने अधिकारियों को नोटिस जारी किया और कॉलोनी के निवासियों को स्वच्छ पेयजल, जल निकासी और स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं किए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी।

याचिका में उल्लेख किया गया है कि दूषित पानी और खराब रहने की स्थिति के कारण, कॉलोनी के निवासियों को गंभीर त्वचा रोग और आघात का सामना करना पड़ रहा है।

याचिका के मुताबिक, साल 2000 से 2002 के बीच दिल्ली के गौतमपुरी यमुना पुस्ता, ईस्ट ऑफ कैलाश गढ़ी, जहांगीरपुरी, गोपालपुर, सीलमपुर, दक्षिणपुरी, प्रीत विहार, अशोक विहार, रोहिणी, आईएसबीटी और निजामुद्दीन बारापुला से निवासियों का भलस्वा में पुनर्वास किया गया था।

पुष्पा नाम की एक महिला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है : पुनस्र्थापना का उद्देश्य पुनर्वासित लोगों के लिए जीवन का एक बेहतर और व्यवस्थित तरीका सुनिश्चित करना है। सरकार द्वारा पुनर्वास किसी भी क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। इसलिए पुनर्वासित लोगों को आवश्यक और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करें।

याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी अधिकारियों के कानूनी कर्तव्य की लापरवाही के कारण लोग अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं।

याचिकाकर्ता के साथ भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी के लोग बुनियादी आवश्यक सुविधाएं हासिल करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनके लिए कोई उपाय नहीं किया गया है।

अदालत ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 18 अप्रैल को सूचीबद्ध किया।

–आईएएनएस

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मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने अधिकारियों को नोटिस जारी किया और कॉलोनी के निवासियों को स्वच्छ पेयजल, जल निकासी और स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं किए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी।

याचिका में उल्लेख किया गया है कि दूषित पानी और खराब रहने की स्थिति के कारण, कॉलोनी के निवासियों को गंभीर त्वचा रोग और आघात का सामना करना पड़ रहा है।

याचिका के मुताबिक, साल 2000 से 2002 के बीच दिल्ली के गौतमपुरी यमुना पुस्ता, ईस्ट ऑफ कैलाश गढ़ी, जहांगीरपुरी, गोपालपुर, सीलमपुर, दक्षिणपुरी, प्रीत विहार, अशोक विहार, रोहिणी, आईएसबीटी और निजामुद्दीन बारापुला से निवासियों का भलस्वा में पुनर्वास किया गया था।

पुष्पा नाम की एक महिला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है : पुनस्र्थापना का उद्देश्य पुनर्वासित लोगों के लिए जीवन का एक बेहतर और व्यवस्थित तरीका सुनिश्चित करना है। सरकार द्वारा पुनर्वास किसी भी क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। इसलिए पुनर्वासित लोगों को आवश्यक और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करें।

याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादी अधिकारियों के कानूनी कर्तव्य की लापरवाही के कारण लोग अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं।

याचिकाकर्ता के साथ भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी के लोग बुनियादी आवश्यक सुविधाएं हासिल करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनके लिए कोई उपाय नहीं किया गया है।

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मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने अधिकारियों को नोटिस जारी किया और कॉलोनी के निवासियों को स्वच्छ पेयजल, जल निकासी और स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं किए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी।

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याचिकाकर्ता के साथ भलस्वा पुनर्वास कॉलोनी के लोग बुनियादी आवश्यक सुविधाएं हासिल करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उनके लिए कोई उपाय नहीं किया गया है।

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मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने अधिकारियों को नोटिस जारी किया और कॉलोनी के निवासियों को स्वच्छ पेयजल, जल निकासी और स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं किए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी।

याचिका में उल्लेख किया गया है कि दूषित पानी और खराब रहने की स्थिति के कारण, कॉलोनी के निवासियों को गंभीर त्वचा रोग और आघात का सामना करना पड़ रहा है।

याचिका के मुताबिक, साल 2000 से 2002 के बीच दिल्ली के गौतमपुरी यमुना पुस्ता, ईस्ट ऑफ कैलाश गढ़ी, जहांगीरपुरी, गोपालपुर, सीलमपुर, दक्षिणपुरी, प्रीत विहार, अशोक विहार, रोहिणी, आईएसबीटी और निजामुद्दीन बारापुला से निवासियों का भलस्वा में पुनर्वास किया गया था।

पुष्पा नाम की एक महिला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है : पुनस्र्थापना का उद्देश्य पुनर्वासित लोगों के लिए जीवन का एक बेहतर और व्यवस्थित तरीका सुनिश्चित करना है। सरकार द्वारा पुनर्वास किसी भी क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। इसलिए पुनर्वासित लोगों को आवश्यक और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करें।

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