नई दिल्ली,15 मार्च (आईएएनएस)। चुनाव आयोग शनिवार को लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करने जा रहा है। दूसरी तरफ चुनाव में एनडीए के सहयोगी दलों के साथ मिलकर 400 से ज्यादा सीटें जीतने के मिशन में जुटी भाजपा एनडीए गठबंधन के विस्तार के अपने ‘मेगा प्लान’ को अमलीजामा पहनाने में जोर-शोर से लगी हुई है।
दरअसल, भाजपा पिछले लंबे समय से एनडीए गठबंधन के विस्तार के अभियान में जुटी हुई है। इसके लिए भाजपा ने त्रिस्तरीय स्तरीय मेगा प्लान बनाया था। जिसके तहत एक तरफ जहां भाजपा ने साथ छोड़ चुके पुराने सहयोगियों को फिर से गठबंधन में लाने का प्रयास किया तो वहीं साथ ही दूसरी तरफ ऐसे दलों से भी संपर्क साधा जो या तो कभी भी एनडीए गठबंधन का हिस्सा नहीं रहे या फिर जिनके भाजपा के साथ आने के बारे में सोचा तक नहीं जा सकता था।
वहीं, तीसरी तरफ कई राजनीतिक दलों के मजबूत और लोकप्रिय नेता भी पार्टी के सांसद और विधायकों को लेकर एनडीए में शामिल हो गए। बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक सहित कई राज्यों में भाजपा को कामयाबी मिल गई है तो वहीं ओडिशा, पंजाब और तमिलनाडु में पार्टी की कोशिश अभी जारी है।
भाजपा को सबसे बड़ी कामयाबी बिहार में मिली। बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नीतीश कुमार की जेडीयू और एलजेपी के साथ मिलकर लड़ी थी और राज्य की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। बाद में नीतीश कुमार, लालू यादव और कांग्रेस के साथ चले गए थे, लेकिन अब वह फिर से एनडीए में शामिल हो गए हैं।
महाराष्ट्र में पिछली बार भाजपा और उद्धव ठाकरे ने मिलकर राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 41 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन, बाद में उद्धव ठाकरे, शरद पवार और कांग्रेस के समर्थन से राज्य के मुख्यमंत्री बने। आगे चलकर राज्य की राजनीति में कई बड़े अहम बदलाव देखने को मिले। आज शिवसेना के ताकतवर नेता एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे को छोड़कर और एनसीपी के मजबूत नेता अजित पवार अपने चाचा शरद पवार को छोड़कर दल के अन्य नेताओं के साथ एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं।
दक्षिण भारत में इस बार अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश में जुटी भाजपा को सबसे बड़ी कामयाबी आंध्र प्रदेश में मिली है। चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी फिर से एनडीए में शामिल हो गई है। आंध्र प्रदेश में भाजपा चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और पवन कल्याण की जनसेना पार्टी के साथ मिलकर लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव लड़ेगी। टीडीपी – 17, भाजपा – 6 और जेएसपी – 2 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस भी एनडीए गठबंधन में शामिल हो गई है। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में भाजपा का साथ छोड़कर अखिलेश यादव के साथ जाने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर इस बार एनडीए गठबंधन के बैनर तले ही लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
एनडीए गठबंधन के विस्तार को लेकर भाजपा की प्रतिबद्धता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव की तारीखों के आधिकारिक ऐलान में अब कुछ ही घंटों का वक्त बाकी रह गया है, लेकिन भाजपा की कोशिश अभी भी जारी है।
ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा दोनों ही चुनाव मिलकर लड़ने के लिए राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल के साथ भाजपा की बातचीत अभी जारी है। सूत्रों की माने तो, सैद्धांतिक तौर पर भाजपा और बीजेडी दोनों ही राजनीतिक दल गठबंधन के लिए सहमत हो गए हैं
पिछले लोकसभा चुनाव में ओडिशा में दोनों ही राजनीतिक दल अलग-अलग चुनाव लड़े थे, जिसमें नवीन पटनायक की पार्टी को 12 और भाजपा को 8 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक सीट ही आई थी।
वहीं, पंजाब में भी भाजपा की अपने सबसे पुराने सहयोगी अकाली दल के साथ बातचीत जारी है। सूत्रों की माने तो गठबंधन को लेकर भाजपा और अकाली दल की बातचीत अपने अंतिम दौर में पहुंच गई है और जल्द ही इसका औपचारिक ऐलान भी किया जा सकता है। तमिलनाडु में जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके की तरफ से राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके ओ. पन्नीरसेल्वम के धड़े के साथ भी गठबंधन को लेकर भाजपा की बातचीत जारी है, जिसका अंतिम नतीजा जल्द ही सामने आ सकता है। हाल ही में दिग्गज तमिल अभिनेता आर सरथ कुमार ने अपनी पार्टी एआईएसएमके का भाजपा में विलय भी कर दिया है।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का सीधा मुकाबला कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन के साथ था, लेकिन इस बार कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ इंडी गठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ रही है। हालांकि, विपक्षी गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की सभी लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस और आप के बीच दिल्ली में तो सीटों का बंटवारा हो गया है, लेकिन पंजाब में दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां पश्चिम बंगाल में मिलकर ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। वहीं, केरल में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां आमने-सामने होंगी।
तमिलनाडु में कांग्रेस-डीएमके और अन्य सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। लेकिन, महाराष्ट्र और बिहार में खींचतान अभी जारी है। जम्मू कश्मीर में भी उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव द्वारा सीटें दे देने के बावजूद कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को लेकर दुविधा की स्थिति में है।
–आईएएनएस
एसटीपी/एबीएम