नई दिल्ली,, 10 जून (आईएएनएस)। भाजपा ने दिल्ली के मेयर शैली ओबेरॉय पर अवैध आदेश देने का आरोप लगाते हुए दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर दिल्ली नगर निगम में प्रशासनिक हस्तक्षेप कर एमसीडी आयुक्त को आदेश देने का अनुरोध किया है।
दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखकर उनका ध्यान दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय के कामकाज की तरफ आकर्षित करते हुए आरोप लगाया है कि दिल्ली की मेयर बार-बार असंवैधानिक कार्य कर रही हैं और ऐसे में उन्हें (उपराज्यपाल को) दिल्ली नगर निगम में उचित प्रशासनिक कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।
पत्र में कहा गया है कि जब से शैली ओबेरॉय ने दिल्ली के मेयर के रूप में पदभार संभाला है, तब से ही वह दिल्ली नगर निगम अधिनियम का उल्लंघन कर असंवैधानिक रूप से फैसले ले रही हैं और राजनीतिक एवं सार्वजनिक विरोध के बाद अपने उन्हें फैसलों को उन्होंने वापस भी लिया है।
भाजपा प्रवक्ता कपूर ने मेयर ओबेरॉय द्वारा कल जारी किए गए आदेश का हवाला देते हुए उपराज्यपाल को लिखे पत्र में कहा कि उस आदेश में संबंधित स्थानीय पार्षद की सिफारिश के बिना उपायुक्तों को कोई भी कार्रवाई करने से रोक दिया गया है। लेकिन यह सकरुलर न तो जनहित में है और न ही प्रशासनिक हित में। पत्र में कहा गया है कि कोई भी सिविल सोसायटी जोनल उपायुक्तों पर इस तरह के प्रतिबंध को स्वीकार नहीं कर सकती है जो कई मामलों में न्यायिक अधिकारियों के रूप में भी कार्य करते हैं।
भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि पिछले कुछ महीनों से एमसीडी के कामकाज के बारे में जानने वालों ने देखा है कि सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के पार्षद उपायुक्तों पर स्थानांतरण पोस्टिंग का आदेश देने या निजी भूमि पर अनधिकृत निमार्णों और सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमणों को अनुमति देने अथवा रोकने का प्रयास कर रहे हैं। कपूर ने लिखा है कि, अधिकांश उपायुक्तों ने पार्षदों की अवैध मांगों के आगे झुकने से इनकार कर दिया है और इसलिए 8 जून 2023 को सत्तारूढ़ पार्टी के पार्षदों की प्री एमसीडी हाउस की बैठक में आम आदमी पार्टी के अधिकांश पार्षदों ने राजनीतिक रूप से विद्रोह कर मेयर से उपायुक्तों को रोकने के लिए कहा था और इसके बाद ही मेयर ने कल यह अवैध सकरुलर जारी किया। पत्र मे भाजपा प्रवक्ता ने कहा है की उपायुक्तों को व्यापक जनहित में वैध स्वतंत्र निर्णय लेने से नहीं रोका जा सकता है और पार्षदों के अवैध निर्माण या अतिक्रमण की शिकायतों पर कार्रवाई में शामिल होने से भ्रष्टाचार की शिकायतों को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए उपराज्यपाल, जो एमसीडी के प्रशासक भी हैं, को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और सिविल सोसायटी के हित में उपायुक्तों के प्रशासनिक अधिकार सुनिश्चित करने के लिए एमसीडी के आयुक्त को उचित निर्देश जारी करने चाहिए।
–आईएएनएस
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