नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में नीतीश-तेजस्वी गठबंधन द्वारा कराए जा रहे जाति जनगणना और अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश में भी इसी तर्ज पर जाति जनगणना कराने की मांग के बीच उत्तर प्रदेश के कन्नौज से भाजपा के लोकसभा सांसद सुब्रत पाठक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर धार्मिक जनगणना कराने की मांग की है।
यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?
–आईएएनएस
एसटीपी/एबीएम
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नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में नीतीश-तेजस्वी गठबंधन द्वारा कराए जा रहे जाति जनगणना और अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश में भी इसी तर्ज पर जाति जनगणना कराने की मांग के बीच उत्तर प्रदेश के कन्नौज से भाजपा के लोकसभा सांसद सुब्रत पाठक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर धार्मिक जनगणना कराने की मांग की है।
यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?
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नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में नीतीश-तेजस्वी गठबंधन द्वारा कराए जा रहे जाति जनगणना और अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश में भी इसी तर्ज पर जाति जनगणना कराने की मांग के बीच उत्तर प्रदेश के कन्नौज से भाजपा के लोकसभा सांसद सुब्रत पाठक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर धार्मिक जनगणना कराने की मांग की है।
यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?
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नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में नीतीश-तेजस्वी गठबंधन द्वारा कराए जा रहे जाति जनगणना और अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश में भी इसी तर्ज पर जाति जनगणना कराने की मांग के बीच उत्तर प्रदेश के कन्नौज से भाजपा के लोकसभा सांसद सुब्रत पाठक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर धार्मिक जनगणना कराने की मांग की है।
यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?
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यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?
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यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?
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यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?
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भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?
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यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?
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यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?
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यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?
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भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
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यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
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भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
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नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में नीतीश-तेजस्वी गठबंधन द्वारा कराए जा रहे जाति जनगणना और अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश में भी इसी तर्ज पर जाति जनगणना कराने की मांग के बीच उत्तर प्रदेश के कन्नौज से भाजपा के लोकसभा सांसद सुब्रत पाठक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर धार्मिक जनगणना कराने की मांग की है।
यह भी अनुरोध किया है कि अगर धार्मिक जनगणना के आंकड़ों में मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाती है तो उनका अल्पसंख्यक दर्जा भी समाप्त किया जाए।
भाजपा सांसद ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा है कि, देश की आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या 93 प्रतिशत थी और मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी एवं जैन आदि संप्रदायों को मिलाकर अल्पसंख्यक आबादी सिर्फ 7 प्रतिशत थी। लेकिन, आज देश के 200 से ज्यादा जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
भाजपा सांसद ने अपने पत्र में जाति जनगणना कराने की मांग करने वाले राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए लिखा है कि देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते हैं कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के बाद से देश में हिंदुओं की संख्या तेजी से कम होती जा रही है, इसलिए ये दल देशविरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।
देश में जाति से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों एवं अन्य की संख्या कितनी है और पिछले 75 वर्षों में इनकी बढ़ोतरी का अनुपात क्या है?