अमरावती, 6 मार्च (आईएएनएस)। जन सेना पार्टी के नेता पवन कल्याण ने बुधवार को यहां तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू से उनके आवास पर मुलाकात की।
समझा जाता है कि दोनों नेताओं ने आंध्र प्रदेश विधानसभा और लोकसभा के आगामी चुनावों के लिए भाजपा को गठबंधन सहयोगी बनाने पर चर्चा की।
इस मुद्दे पर भाजपा नेतृत्व के साथ चर्चा के लिए चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण के दिल्ली जाने की संभावना है।
पिछले महीने अपने सीट-बंटवारा समझौते की घोषणा करते हुए, तेदेपा और जन सेना नेताओं ने कहा था कि भाजपा के गठबंधन में शामिल होने के लिए दरवाजे खुले हैं।
माना जाता है कि राज्य के अधिकांश भाजपा नेता सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से मुकाबला करने के लिए तेदेपा-जेएसपी गठबंधन के साथ गठबंधन के पक्ष में हैं। प्रदेश भाजपा प्रमुख डी. पुरंदेश्वरी ने कहा है कि गठबंधन पर फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व करेगा।
तेदेपा और जन सेना नेताओं ने भी अपनी-अपनी पार्टियों के उम्मीदवारों की दूसरी सूची पर चर्चा करने की सूचना दी है।
दोनों पार्टियों ने 24 फरवरी को अपने सीट-बंटवारे समझौते की घोषणा की। तेदेपा ने 175 विधानसभा सीटों में से 24 और 25 लोकसभा सीटों में से तीन जन सेना के लिए छोड़ी हैं।
उसी दिन, तेदेपा ने 94 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की, जबकि जन सेना ने पांच उम्मीदवारों की सूची जारी की।
चंद्रबाबू नायडू ने भी कहा था कि अगर भाजपा गठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताती है तो वे बातचीत करेंगे और उचित फैसला लेंगे।
जन सेना भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा है। उसने भगवा पार्टी के फैसले से पहले ही तेदेपा से हाथ मिला लिया। पवन कल्याण लंबे समय से भाजपा नेतृत्व को गठबंधन में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे थे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वाईएसआरसीपी विरोधी वोट विभाजित न हों।
चंद्रबाबू नायडू ने आगामी चुनावों के लिए त्रिपक्षीय चुनावी गठबंधन पर चर्चा करने के लिए 7 फरवरी को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात की थी।
तेदेपा नेताओं ने दावा किया था कि बैठक भाजपा के निमंत्रण पर हुई थी। हालांकि, गठबंधन पर कोई फैसला नहीं हुआ।
तेदेपा ने 2018 में भाजपा से नाता तोड़ लिया था। हालाँकि 2019 के चुनावों में करारी हार झेलने के बाद उसने गठबंधन को पुनर्जीवित करने में रुचि दिखाई। भाजपा नायडू के प्रस्तावों के प्रति उदासीन रही क्योंकि राज्य की जगन सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे थे और कई प्रमुख विधेयकों को पारित करने में संसद में उसका समर्थन किया था।
–आईएएनएस
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