मुंबई, 24 फरवरी (आईएएनएस)। कपड़ा आयुक्त रूप राशि ने कहा कि बैंकों को कपड़ा क्षेत्र की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए, जो 5.4 करोड़ नौकरियों को सपोर्ट करता है और जिसका मार्केट साइज 2030 तक 172 बिलियन डॉलर से बढ़कर 350 बिलियन डॉलर होने का लक्ष्य है।
रूप राशि ने कहा कि हम 2030 से पहले इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन इस क्षेत्र को उत्पाद मानकीकरण, क्षमता निर्माण, अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग और निर्यात के लिए बैंक फंडिंग की जरूरत है।
सरकारी अधिकारी ने डब्ल्यूटीसी मुंबई और यस बैंक द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘एक्सपोर्ट कॉन्क्लेव’ के दौरान कहा, “कताई से बुनाई तक कपड़ा वैल्यू चेन एक कैपिटल इंटेंसिव सेक्टर है, जिसे बैंक फंडिंग की जरूरत है। जबकि, बैंक बिग टिकट लोन और प्रोजेक्ट फाइनेंस को प्राथमिकता देते हैं, मुझे उम्मीद है कि वे कपड़ा इकाइयों की फंडिंग जरूरतों को भी समान महत्व देंगे।”
यह वास्तव में फाइनेंशियल इनक्लूसन को बढ़ावा देगा क्योंकि 70 प्रतिशत हथकरघा यूनिट महिलाओं द्वारा संचालित की जाती हैं। दुनिया के 100 हस्तनिर्मित वस्त्रों में से 95 भारत से आते हैं।
भारत की विश्व जनसंख्या में 16 प्रतिशत हिस्सेदारी है। देश को सस्टेनेबल और सर्कुलर अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
राशि ने कहा कि बैंकों को टेक्नोलॉजी अपनाने, रिसर्च एवं विकास पहल, ब्रांडिंग और लेबलिंग पहलों के लिए कपड़ा इकाइयों को फंडिंग उपलब्ध करवानी चाहिए।
उन्होंने सस्टेनेबल कपड़ा समूहों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला।
सरकार ने कपड़ा वैल्यू चेन में 47 से अधिक पेटेंट का सपोर्ट किया है, जिसका व्यावसायीकरण किया जाना चाहिए।
राशि ने कपड़ा इकाइयों को दक्षिण पूर्व एशिया, जापान और दक्षिण कोरिया में संभावित निर्यात अवसरों का पता लगाने का सुझाव दिया।
उन्होंने विशेष रूप से बताया कि जापान ने हाल के वर्षों में भारतीय कपड़ा उत्पादों में नई रुचि दिखाई है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय, मुंबई के संयुक्त डीजीएफटी प्रवीण कुमार ने एमएसएमई को ई-बीआरसी के ऑनलाइन सेल्फ-जनरेशन, मूल प्रमाण पत्र के लिए डिजिटल एप्लीकेशन, एडवांस प्राधिकरण, ईपीसीजी और प्रतिबंधित वस्तुओं के लिए निर्यात लाइसेंस जैसी डिजिटलीकरण पहलों से लाभ उठाने का सुझाव दिया।
डब्ल्यूटीसी मुंबई के चेयरमैन डॉ. विजय कलंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का वार्षिक माल निर्यात 440 बिलियन डॉलर है और 1 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात को प्राप्त करने के लिए हमें एमएसएमई निर्यातकों की प्रमुख चुनौतियों का समाधान करना होगा।
उन्होंने एमएसएमई को सशक्त बनाने में डब्ल्यूटीसी मुंबई की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
–आईएएनएस
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