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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का 97वां स्थापना दिवस कार्यक्रम, शिवराज सिंह चौहान करेंगे उद्घाटन

देशबन्धु by देशबन्धु
July 15, 2025
in राष्ट्रीय
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नई दिल्ली, 15 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) बुधवार को सी. सुब्रमण्यम हॉल, एनएएससी कॉम्प्लेक्स, नई दिल्ली में अपने 97वां स्थापना दिवस के अवसर पर पुरस्कार समारोह और विकसित कृषि प्रदर्शनी का आयोजन करेगा। इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे।

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आईसीएआर स्थापना दिवस भारत के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के प्रमुख संस्थान की स्थापना का प्रतीक है, जो भारतीय कृषि को सुदृढ़ बनाने और खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसकी परिवर्तनकारी भूमिका को मान्यता देता है। दशकों से आईसीएआर ने फसल सुधार, पशुधन एवं मत्स्य विकास, कृषि-जैव प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और डिजिटल कृषि के क्षेत्र में नवाचारों का नेतृत्व किया है। इस अवसर पर आईसीएआर राष्ट्रीय कृषि विज्ञान पुरस्कार की प्रस्तुति तथा नए उत्पादों, प्रौद्योगिकियों, प्रकाशनों एवं समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का विमोचन किया जाएगा।

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2024-25 में देश अनुमानित 149.1 मिलियन टन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा चावल उत्पादक रहा है और वैश्विक चावल व्यापार में 40 प्रतिशत का योगदान करते हुए सबसे बड़ा निर्यातक भी रहा है।

भारत दूध उत्पादन में भी पहले स्थान पर रहा, जहां 239.30 मिलियन टन का उत्पादन हुआ और 117.3 मिलियन टन के साथ गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक रहा। बागवानी में भारत के रिकॉर्ड 367.72 मिलियन टन उत्पादन हासिल करने का अनुमान है, जिससे वैश्विक स्तर पर दूसरे सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उसकी स्थिति और पुष्ट होती है। इसके अतिरिक्त भारत 2024 में 18.42 मिलियन टन के साथ वैश्विक मछली उत्पादन में दूसरे स्थान रहा है।

ये उपलब्धियां भारत की कृषि सुदृढ़ता, उत्पादकता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में आईसीएआर की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती हैं, जिससे वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अगस्त, 2025 को फसलों की 109 उच्च उपज देने वाली, जलवायु अनुकूल और जैव-फोर्टिफाइड किस्में जारी कीं। आईसीएआर ने कृषि नवाचार और पहुंच को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख पहल शुरू की हैं। इनमें प्रमुख हैं ‘एक वैज्ञानिक एक उत्पाद’, ‘100 दिन 100 किस्में’, ‘100 दिन 100 तकनीकें’ और ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’, जिससे 1.40 लाख गांवों के 1.35 करोड़ किसानों को सीधा लाभ हुआ है। इसके अतिरिक्त ‘100 दिन सोशल मीडिया अभियान – #OneICAR’ ने भारतीय कृषि में बदलाव लाने में आईसीएआर के एकीकृत प्रयासों को दर्शाया।

भारत के कृषि क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए आईसीएआर ने पिछले वर्ष 679 क्षेत्रीय फसल किस्में विकसित और जारी कीं, जिसमें पोषण सुरक्षा में सुधार के उद्देश्य से 27 जैव-सशक्त किस्में भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि बासमती चावल का निर्यात 50,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जिसमें से 90 प्रतिशत का श्रेय केवल आईसीएआर द्वारा विकसित चार किस्मों को जाता है।

गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 115.3 मिलियन टन तक पहुंच गया, जिसमें 85 प्रतिशत क्षेत्र पांच जलवायु-प्रतिरोधी आईसीएआर किस्मों के अंतर्गत है। तिलहन तथा दलहनों में किस्म प्रतिस्थापन दर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, चना (84%), मसूर (99%), मटर (89%), सोयाबीन (56%), और सरसों (77%)। चल रही दलहन क्रांति ने उत्पादन को 2015-16 के 16.3 मिलियन टन से बढ़ाकर 2023-24 में 24.49 मिलियन टन कर दिया है।

आईसीएआर ने विश्व की पहली दो जीनोम-संपादित चावल किस्में भी पेश कीं, जो परिशुद्ध प्रजनन में एक बड़ी सफलता है।

बागवानी क्षेत्र में आईसीएआर ने फलों (14), सब्जियों (30), फूलों (12), बागानी फसलों (11), मसालों (11), तथा औषधीय पौधों (5) की 83 नई किस्में विकसित कीं। आईसीएआर ने 1,860 नए जर्मप्लाज्म भी एकत्रित और उनका मूल्यांकन किया तथा 750 क्विंटल से अधिक प्रजनक बीज, कंद व जड़ वाली फसलों के 2,200 टन से अधिक प्रजनक बीज, और 75 टन से अधिक मशरूम स्पॉन का उत्पादन किया। किसानों को 22 लाख से अधिक गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री प्रदान की गई।

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लगभग 15 पेटेंट प्रदान किए गए तथा रोग-मुक्त रोपण सामग्री सुनिश्चित करने के लिए नौ स्वच्छ पौध केंद्र स्थापित किया गया। इसके अतिरिक्त प्रौद्योगिकियों को खेतों में स्थानांतरित करने के लिए 1,363 प्रशिक्षण और 1,350 प्रदर्शन आयोजित किया गया।

मत्स्य पालन क्षेत्र में आईसीएआर ने एक अति-गहन, सटीक और प्राकृतिक झींगा पालन प्रणाली विकसित की, जिससे उच्च संसाधन दक्षता के साथ केवल चार महीनों में 30-40 टन प्रति हेक्टर प्रति फसल प्राप्त हुई। सात मत्स्य प्रजातियों के लिए प्रजनन प्रोटोकॉल मानकीकृत किए गए और स्केलेबल जलीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए पांच विशिष्ट मत्स्य आहार विकसित किया गया। परिषद ने 13 मूल्य वर्धित और न्यूट्रास्युटिकल मत्स्य उत्पाद भी तैयार किया। उल्लेखनीय रूप से भारत के समुद्री मत्स्य पालन के कार्बन फुटप्रिंट का आकलन किया गया और पाया गया कि यह वैश्विक औसत से 31 प्रतिशत कम है, जो स्थिरता को रेखांकित करता है। आईसीएआर ने नई दिल्ली में 14वें एशियाई मत्स्य पालन और जलीय कृषि मंच का सफलतापूर्वक आयोजन किया तथा सीआईएफआरआई, बैरकपुर में राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस 2025 मनाया।

आईसीएआर ने प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसमें विज़-एनआईआर श्रेणी में 40,000 मृदा स्पेक्ट्रा के साथ राष्ट्रीय मृदा स्पेक्ट्रल लाइब्रेरी का विकास भी शामिल है। इसने विभिन्न राज्यों के अनुरूप मृदा, जल, फसल और कृषि प्रणाली प्रबंधन पर 35 उत्तम कृषि पद्धतियां (जीएपी) तैयार की हैं। 8 फसल प्रणालियों की जैविक खेती एवं 2 फसल प्रणालियों की प्राकृतिक खेती के लिए छह एकीकृत कृषि प्रणाली प्रोटोटाइप व पद्धतियों का पैकेज विकसित किया गया। गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार और अरुणाचल प्रदेश के 17 जिलों में 100 हैक्टर क्षेत्रफल वाली फसल विविधीकरण प्रदर्शन इकाइयां स्थापित की गईं।

कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए 7 राज्यों की 285 नर्सरियों को मान्यता दी गई और ओडिशा की राज्य कृषि वानिकी नीति को सफलतापूर्वक लागू किया गया। आईसीएआर ने 43 जलवायु-अनुकूल गांव भी स्थापित किए, 5 राज्यों के लिए प्रासंगिक तकनीकों का संकलन किया और एक नए सूक्ष्मजीव संघ का आविष्कार किया, जो चावल की खेती में मीथेन उत्सर्जन को 18 प्रतिशत तक कम करने में सक्षम है, जिसने जलवायु-अनुकूल कृषि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

पशुधन क्षेत्र में आईसीएआर ने 10 देशी पशु नस्लों के पंजीकरण, 5 टीकों और पशु स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए 7 नैदानिक उपकरणों के विकास के साथ उल्लेखनीय प्रगति की है। नस्ल सुधार के लिए कुल 6.11 लाख वीर्य यूनिट का उत्पादन किया गया, जबकि किसानों को 14.09 लाख पोल्ट्री जर्मप्लाज्म वितरित किया गया।

आईसीएआर ने दो नई चिकन किस्में भी जारी कीं और डेयरी उत्पादों के वास्तविक समय गुणवत्ता आकलन, खाद्य सुरक्षा और मूल्य संवर्धन को बढ़ाने के लिए स्मार्ट सेंसर भी पेश किया।

कृषि अभियांत्रिकी के क्षेत्र में आईसीएआर ने 45 नई प्रौद्योगिकियों, मशीनों और उपकरणों के साथ-साथ 8 प्रक्रिया प्रोटोकॉल और 3 मूल्य वर्धित उत्पाद विकसित किए हैं, जिनका उद्देश्य कृषि दक्षता और मूल्य संवर्धन को बढ़ाना है। प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए देश भर के किसानों, उद्यमियों एवं हितधारकों के लिए कुल 301 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए।

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आईसीएआर ने 76 कृषि विश्वविद्यालयों के साथ वर्चुअल बैठकें आयोजित करके कृषि शिक्षा को मजबूत किया, जिससे कुलपतियों को अनुसंधान, विस्तार और शैक्षणिक पहलों को प्रदर्शित करने का अवसर मिला। इसने छठी डीन समिति की रिपोर्ट को लागू किया, ‘प्रमाणपत्र और डिप्लोमा प्रदान करने के लिए शैक्षणिक दिशा निर्देश’ प्रस्तुत किए, और पीएम-वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन (पीएम-ओएनओएस) योजना भी शुरू की गई।

कृषि एवं संबद्ध विज्ञान में एम.एससी. छात्रों के लिए आसियान फेलोशिप कार्यक्रम शुरू किया गया। आईसीएआर ने 22 विश्वविद्यालयों में 50 अनुभवात्मक शिक्षण इकाइयों को सहायता प्रदान की और एक व्यापक मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम (एमओओसी) सहित 166 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय कर्मयोगी जन सेवा कार्यक्रम ने मई-जून 2025 के दौरान 14 बैचों में 466 आईसीएआर/डेयर/एएसआरबी कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया।

आईसीएआर ने 0.42 लाख ऑन-फार्म ट्रायल (ओएफटी) और 2.66 लाख फ्रंटलाइन डेमो (एफएलडी) आयोजित करके अपने विस्तार क्षेत्र का उल्लेखनीय विस्तार किया है, जिसमें तिलहन और दलहन पर 1.41 लाख एफएलडी शामिल हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रमों से 18.57 लाख किसान और 1.77 लाख विस्तार कार्मिक लाभान्वित हुए। मृदा, जल और पादप आदानों के 3.8 लाख नमूना विश्लेषणों और 4.19 करोड़ अनुकूलित मोबाइल परामर्शों के माध्यम से किसानों को समय पर स्थान-विशिष्ट मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। 4 राज्यों के 65 जिलों में फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) के कारण 2020 की तुलना में पराली जलाने में 80 प्रतिशत की कमी आई। आईसीएआर ने 299 कस्टम हायरिंग सेंटर, जलवायु-अनुकूल किस्मों के 82 बीज बैंक और 34 चारा बैंक भी विकसित किए।

पोषण-संवेदनशील कृषि संसाधन नवाचार (नारी) पहल, जिसे 18,000 आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ एकीकृत किया गया, जिसने पोषण-उद्यानों के माध्यम से पोषण सुरक्षा को बढ़ावा दिया गया। कुल 16,952 ग्रामीण युवाओं को 694 कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 5,472 युवाओं को शामिल करते हुए 3,398 उद्यमशीलता इकाइयां स्थापित हुई। इसके अलावा, आईसीएआर ने 3,093 एफपीओ को तकनीकी सहायता प्रदान की और देश भर में 1.22 लाख एफपीओ सदस्यों के लिए 3,002 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए।

आईसीएआर ने कृषि नवाचारों के संरक्षण और व्यवसायीकरण में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्ष के दौरान 125 पेटेंट प्रदान किए गए, 307 कॉपीराइट पंजीकृत किए गए और 120 डिजाइन और 111 ट्रेडमार्क आवेदन दायर किए गया। प्रौद्योगिकी प्रसार के संदर्भ में आईसीएआर ने 1,012 प्रौद्योगिकी लाइसेंसिंग समझौतों और 72 परामर्श, अनुबंध अनुसंधान समझौतों पर हस्ताक्षर किया, जिससे नवाचार-आधारित कृषि परिवर्तन को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका और सुदृढ़ हुई।

आईसीएआर ने आसियान, सार्क, बिम्सटेक, क्वाड, ब्रिक्स, जी 20 और शंघाई सहयोग संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों के साथ रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से अपनी वैश्विक उपस्थिति को लगातार मजबूत किया है। इसने सीजीआईएआर सिस्टम काउंसिल, आईसीएआरडीए और बीआई-सीआईएटी जैसे वैश्विक अनुसंधान निकायों के सदस्य के रूप में सक्रिय रूप से भाग लिया है। वर्ष के दौरान आईसीएआर ने पांच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग बैठकें आयोजित कीं तथा नौ समझौता ज्ञापनों एवं कार्य योजनाओं पर हस्ताक्षर किए। ज्ञान के आदान-प्रदान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के तहत, कृषि एवं संबद्ध विज्ञान में उच्च शिक्षा के लिए 50 आसियान-भारत फेलोशिप प्रदान की गई।

भविष्य के लिए तैयार और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए आईसीएआर ने वर्ष के दौरान कई ऐतिहासिक कार्यक्रम शुरू किए। इनमें वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र (श्री अन्न) की स्थापना और जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशीलता एवं खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए 40 फसलों में जीनोम एडिटिंग शामिल है। स्वच्छ पौध कार्यक्रम को 9 केंद्रों के माध्यम से संचालित किया गया, साथ ही खाद्य तेल मिशन, उच्च उपज वाले बीजों पर मिशन और कपास उत्पादकता मिशन जैसी राष्ट्रीय स्तर की पहल भी की गईं। आईसीएआर ने अगली पीढ़ी की कृषि को सशक्त बनाने के लिए नवाचारों को आगे बढ़ाते हुए, द्वितीय राष्ट्रीय जीन बैंक, महर्षि (श्री अन्न और अन्य प्राचीन अनाज अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पहल) और जैव प्रौद्योगिकी फसलों एवं उभरते कीटों पर अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना की भी शुरुआत की।

आईसीएआर स्थापना दिवस न केवल उपलब्धियों का उत्सव है, बल्कि अत्याधुनिक अनुसंधान, नवाचारों और क्षमता निर्माण के माध्यम से कृषक समुदाय की सेवा करने की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि भी है।

इस कार्यक्रम में भागीरथ चौधरी, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री और डॉ. रमेश चंद, नीति आयोग के सदस्य भी उपस्थित रहेंगे। साथ ही आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों में डॉ. एमएल जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (आईसीएआर), संजय गर्ग, अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं सचिव (आईसीएआर) तथा पुनीत अग्रवाल, अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं वित्तीय सलाहकार (आईसीएआर) भी शामिल होंगे।

–आईएएनएस

डीकेपी

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