नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। आईआईटी दिल्ली के छात्र अब ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली’ (आईकेएस) से रूबरू हो सकेंगे। 17 अक्टूबर को आईआईटी दिल्ली में यह कार्यक्रम लॉन्च किया जाएगा। आईआईटी दिल्ली अपने पूर्व छात्र राम गुप्ता द्वारा प्रायोजित एक परियोजना के तहत भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) कार्यक्रम लॉन्च करेगी।
इस दौरान देशभर के कई विख्यात शिक्षाविद् आईआईटी दिल्ली में जुटेंगे। आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर के. रामसुब्रमण्यम, भारतीय ज्ञान प्रणालियों के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित विद्वान, पैनल की अध्यक्षता करेंगे।
इस नई पहल पर आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर पीवी. मधुसधन राव ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 द्वारा उजागर किया गया एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह परियोजना एनईपी और आईकेएस के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की अभिव्यक्ति है। आईआईटी दिल्ली के कई पूर्व छात्र आईकेएस गतिविधियों का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं। यह आयोजन समकालीन शैक्षणिक और अनुसंधान ढांचे के साथ भारतीय ज्ञान परंपराओं के एकीकरण को आगे बढ़ाने, सभ्यतागत ज्ञान और वैज्ञानिक जांच के बीच संवाद को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम है।
आईआईटी दिल्ली में आईकेएस परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. नोमेश बोलिया ने कहा कि यह परियोजना आईकेएस से प्रेरित होने के अलावा, सार्वजनिक प्रणालियों, शिक्षा और शिक्षा शास्त्र, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य कल्याण के व्यापक डोमेन में चार ज्ञान मंच बनाने की इच्छा रखती है। जैसा कि अतीत में हुआ था, लेकिन हम यह भी विचार विकसित करें कि यह अब और भविष्य में हमारे लिए कैसे प्रासंगिक हो सकता है।
गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय का भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) विभाग 1,000 से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित कर चुका है। यूजीसी के 6 मानव संसाधन विकास केंद्रों (एचआरडीसी) में इन शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। इन शिक्षकों को नागपुर, नई दिल्ली, गुवाहाटी, वाराणसी, चेन्नई, श्रीनगर में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
यूजीसी ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर पर आईकेएस को समाविष्ट किया है। इसी कारण आईकेएस में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम आवश्यक हैं। छात्रों और शिक्षकों के बीच भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से हाल ही में चार पुस्तकों और व्याख्यान नोट्स का भी अनावरण किया गया था।
–आईएएनएस
जीसीबी/एबीएम