नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय तटरक्षक बल ने समुद्री प्रदूषण रोकने व प्रतिक्रिया के लिए सतह के साथ-साथ वायु प्लेटफार्म को भी तैनात किया है। इसमें विशेष जहाज, गश्ती जहाज, एडवांस उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और डोर्नियर विमान शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारतीय जल में तेल रिसाव जैसी आपदाओं के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय प्रणाली के लिए भारत की तैयारी है। वास्तव में, भारत की 75 फीसदी ऊर्जा जरूरतें तेल से पूरी होती हैं जिसे समुद्री मार्ग से हमारे देश में आयात किया जाता है। जहाजों द्वारा तेल परिवहन निहित जोखिमों से भरा होता है और जहाज मालिकों के साथ-साथ बंदरगाह के अंदर तेल प्राप्त करने वाली सुविधाओं दोनों द्वारा सुरक्षात्मक उपाय किए जाने की आवश्यकता होती है।
यद्यापि, समुद्री दुर्घटनाओं और समुद्र के अप्रत्याशित खतरों के द्वारा तेल प्रदूषण का खतरा सर्वव्यापी है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय तटरक्षक बल भारतीय जल में तेल रिसाव से निपटने के लिए केंद्रीय समन्वय प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।भारतीय तटरक्षक बल द्वारा वाडिनार, गुजरात में 9वां राष्ट्रीय स्तरीय प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास आयोजित किया गया है।
भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक राकेश पाल और राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिकता योजना (एनओएसडीसीपी) के अध्यक्ष ने अभ्यास के दौरान सभी एजेंसियों की तैयारियों की समीक्षा की। इस अभ्यास में केंद्रीय और तटीय राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों, बंदरगाहों, तेल प्रबंधन एजेंसियों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अभ्यास में 31 से अधिक विदेशी पर्यवेक्षकों और 80 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
राष्ट्रीय स्तरीय प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास ने राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिकता योजना के प्रावधानों का उपयोग कर समुद्री तेल रिसाव के प्रत्युत्तर में तैयारियों का परीक्षण किया। भारतीय तटरक्षक बल ने समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया के लिए सतह के साथ-साथ वायु प्लेटफार्म को तैनात किया है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस कार्यक्रम ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विज़न के अंतर्गत ‘मेक इन इंडिया’ के संदर्भ में भारत की औद्योगिक शक्ति का भी प्रदर्शन किया। प्रमुख बंदरगाहों जैसे हितधारकों ने समुद्री प्रदूषण से निपटने में समन्वित प्रयासों को प्रदर्शित करने के लिए अपनी समुद्री संपत्तियां भी तैनात की।
भारतीय तटरक्षक बल ने 7 मार्च 1986 को भारत के समुद्री क्षेत्रों में समुद्री पर्यावरण की रक्षा के लिए जिम्मेदारियां संभाली थी। तत्पश्चात, तटरक्षक बल ने समुद्र में तेल रिसाव आपदा से निपटने के लिए एनओएसडीसीपी स्थापित किया, जिसे वर्ष 1993 में सचिवों की समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था।
–आईएएनएस
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