नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व चेयरमैन, दिनेश खारा ने कहा कि भारत का बैंकिंग सेक्टर पेशेवर तरीके से काम रहा है और पूरा सेक्टर कैपिटलाइजेशन और एसेट क्वालिटी जैसे मापदंडों पर बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। इस कारण से बैंकों की सेहत अच्छी बनी हुई है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए खारा ने कहा है कि सभी बैंकों का कैपिटलाइजेशन हो चुका है और इससे कैपिटल एडिक्वेसी मापदंड के अनुसार बना हुआ है और बैंकों की एसेट क्वालिटी में सुधार होने से पूरे सेक्टर की सेहत अच्छी बनी हुई है और इसके माध्यम से देश के आर्थिक विकास को भी सहारा मिल रहा है।
खारा ने आगे कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत को लेकर धारणा अच्छी बनी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरी दुनिया में देश की स्वीकार्यता बढ़ी है। जी20 के बाद इसमें और अधिक सुधार हुआ है। दक्षिण एशिया में भारत को एक जिम्मेदार लीडर माना जा रहा है।
वहीं, हाल में बैंकिंग सेक्टर की सेहत को लेकर राहुल गांधी की ओर से लगाए गए आरोपों पर खारा के मुताबिक, मौजूदा समय में भारत का बैंकिंग सिस्टम पेशेवर तरीके से ऑपरेट कर रहा है। कर्मचारियों को अपने बैंक की सेहत के बारे में अच्छी जानकारी होती है। यह भी बैंकिंग सेक्टर की सेहत अच्छी होने की वजह है।
राजनीतिक बयानों से कर्मचारियों का मनोबल कम होने के सवाल पर खारा ने कहा कि बैंक कर्मचारियों का मनोबल उनकी लीडरशीप से तय होता है। साथ ही सभी कर्मचारी ये भी समझते हैं कि लोकतंत्र में सभी को अपना मत कहना का हक है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व चेयरमैन, राजीव कुमार बक्शी ने कहा कि अभी बैंकिंग की स्थिति काफी अच्छी है, एक समय था जब बैलेंसशीट की समस्या थी,लेकिन वो अब खत्म हुआ। बैंकिंग सेक्टर की क्रेडिट लागत भी कम हो गई और जोखिम भी कम हो गया है। इस कारण से यह समय बैंकिंग सेक्टर के लिए काफी अच्छा है।
आगे उन्होंने कहा कि सरकारी नीतियों से बैंकों फायदा हो रहा है और अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है।
यूको बैंक के पूर्व एमडी और सीईओ, रवि किशन ठक्कर ने कहा कि मौजूदा समय में भारत में बैंकिंग सेक्टर की स्थिति काफी अच्छी है। पिछले 10 वर्षों में एनपीए, कैपिटल एडिक्वेसी और मुनाफे में काफी सुधार हुआ है। 2015 में जहां सरकारी बैंक ग्रॉस एनपीए 14 प्रतिशत पहुंच गए थे, अब 3 प्रतिशत पर आ गए हैं। साथ ही इस दौरान मुनाफा बढ़कर 1.50 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
आगे कहा कि सरकारी बैंकों का ध्यान आम जनता पर है और मध्यमवर्गीय एवं छोटे उद्योगों को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है।
–आईएएनएस
एबीएस/