रांची, 28 जनवरी (आईएएनएस)। शायद यकीन कर पाना मुश्किल है, लेकिन यह सच है कि भारतीय महिला हॉकी टीम की कैप्टन सलीमा टेटे और स्टार ओलंपियन निक्की प्रधान के लिए एक अदद पक्का मकान बड़ा सपना रहा है। कच्चे मकानों में पली-बढ़ी इन दोनों हॉकी स्टार का जल्द ही रांची के पॉश इलाके में अपना आशियाना होगा।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बुधवार को प्रोजेक्ट बिल्डिंग स्थित झारखंड मंत्रालय में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में दोनों खिलाड़ियों को रांची की हरमू हाउसिंग कॉलोनी में सरकार की ओर से दिए जाने वाले प्लॉट के पेपर सौंपेंगे।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और तीरंदाजी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नंबर वन प्लेयर की रैंकिंग हासिल करने वाली दीपिका कुमारी को भी पूर्व में इसी कॉलोनी में सरकार की ओर से प्लॉट उपलब्ध कराए गए थे।
हॉकी स्टार सलीमा टेटे और निक्की प्रधान को भी रांची में प्लॉट उपलब्ध कराने की घोषणा कुछ साल पहले हुई थी, लेकिन इस पर अब तक अमल नहीं हो पाया था। झारखंड राज्य आवास बोर्ड ने 14 अगस्त 2024 को अपनी 74वीं बैठक में दोनों खिलाड़ियों को हरमू हाउसिंग कॉलोनी में 3,750 वर्ग फीट जमीन का प्लॉट आवंटित करने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, दोनों खिलाड़ियों को प्लॉट आवंटन की कागजी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं। बताया गया कि सलीमा टेटे को कॉलोनी में प्लॉट संख्या 10 बी और निक्की प्रधान को प्लॉट संख्या 10 ए आवंटित किया जाएगा।
इसके लिए होने वाले कार्यक्रम को लेकर झारखंड के खेल मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने मंगलवार को अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। कार्यक्रम में दोनों खिलाड़ियों के परिजनों और प्रशिक्षकों को भी सम्मानित किया जाएगा। झारखंड के सिमडेगा जिले के एक छोटे से गांव बड़की छापर की रहने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की कैप्टन सलीमा टेटे का परिवार अब भी कच्चे मकान में रहता है। हालांकि, हाल में सलीमा टेटे ने इसी कच्चे मकान के पास एक छोटा सा पक्का मकान बनाया है।
वर्ष 2023 में टोक्यो ओलंपिक में जब भारतीय महिला हॉकी टीम क्वार्टर फाइनल मुकाबला खेल रही थी, तब इस टीम में शामिल सलीमा टेटे के पैतृक घर में एक अदद टीवी तक नहीं था कि उनके घरवाले उन्हें खेलते हुए देख सकें। इसकी जानकारी जब झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हुई थी तो तत्काल उनके घर में 43 इंच का स्मार्ट टीवी और इन्वर्टर लगवाया गया था।
ओलंपियन और भारतीय महिला हॉकी टीम की मजबूत डिफेंडर निक्की प्रधान की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। वह झारखंड के खूंटी के हेसल गांव की रहने वाली हैं। वर्ष 2003-04 में स्कूल में पढ़ाई करते हुए जब उन्होंने पहली बार हॉकी खेलने का सपना देखा था, तब उनके घर की माली हालत ऐसी थी कि उनके लिए एक अदद हॉकी स्टिक तक नहीं खरीदी जा सकी थी।
निक्की के पिता कांस्टेबल थे। तनख्वाह ज्यादा नहीं मिलती थी। निक्की खुद मां के साथ घर से लेकर खेतों में काम करती और समय निकालकर गांव के उबड़-खाबड़ खेतों में सहेलियों के साथ हॉकी खेलती थी। उन्होंने बांस से बनाई गई स्टिक के साथ अपनी शुरुआत की। गांव में स्थित उनके मकान की छत आज की पक्की नहीं है।
–आईएएनएस
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