नई दिल्ली, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मंगलवार को कहा कि भारतीय सभ्यता “विशाल विस्तार” वाली सबसे पुरानी और निरंतर सभ्यताओं में से एक है। भारतीय इतिहास के बारे में कुछ सवाल थे, मगर किसी ने सवाल नहीं उठाया, यहां तक कि देश के निंदक ने भी नहीं।
डोभाल ने नई दिल्ली में विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (वीआईएफ) द्वारा 11 खंडों वाली किताब ‘प्राचीन भारत का इतिहास’ के विमोचन के मौके पर कहा, “एक विशेषता कि यह सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है और संभवतः मानव जीवन विकसित हो चुका था और समाज ने खुद को बहुत उच्च स्तर तक परिपूर्ण कर लिया था। यह किसने किया? क्या वे मूल निवासी थे या बाहर से आए थे, वे इसके बारे में पक्षपाती हो सकते हैं, लेकिन सभी मानते हैं कि यह प्राचीन सभ्यता है।”
एनएसए ने कहा, “दूसरी है निरंतरता। यानी, अगर यह 4,000 या 5,000 साल पहले शुरू हुआ, तो यह आज तक निरंतर है। इसमें कोई व्यवधान नहीं है। इसलिए यह एक निरंतरता थी।”
उन्होंने कहा, तीसरी विशेषता इसका विशाल विस्तार है।
“यह कोई छोटा-सा गांव नहीं था जो आपको किसी विकसित द्वीप या उस जैसी किसी जगह पर मिलता है। यह ऑक्सस नदी से लेकर शायद दक्षिण पूर्व एशिया और अन्य स्थानों पर है, जहां सभ्यता के पदचिह्न स्पष्ट रूप से दिखाई देते थे।”
इसे “विरोधाभास” बताते हुए एनएसए ने आगे कहा कि इतने विशाल क्षेत्र में 6,000 या 8,000 वर्षों के निरंतर इतिहास के विस्तार के बावजूद जो कथा लाई गई है, वह यह है कि किसी भी पश्चिमी देश में भारतीय इतिहास के बारे में पहला अध्याय सिकंदर से शुरू होता है, भले ही वह केवल झेलम तक ही भारत की सीमा में आया था और फिर आगे नहीं बढ़ पाया।
एनएसए डोभाल ने यह भी जिक्र किया कि भारतीय इतिहास को नष्ट करने का एक जानबूझकर प्रयास किया गया था, जिसमें नालंदा या तक्षशिला जैसे संस्थानों को नष्ट करना भी शामिल था, जिसके जरिए भारतीय अपने अतीत से जुड़ सकते थे।
उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास केवल हत्याओं और विजय के बारे में नहीं, बल्कि बौद्धिक उपलब्धियों के बारे में भी है।
उन्होंने कहा, “भारतीय इतिहास बौद्धिक उपलब्धियों के बारे में भी है, चाहे वह विज्ञान, साहित्य या अन्य विषयों में हो।”
–आईएएनएस
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