नई दिल्ली, 8 जुलाई (आईएएनएस)। भारत और मंगोलिया की संसदों के बीच संसदीय सहयोग को मजबूत करने और इसका विस्तार करने के लिए महत्वपूर्ण समझौता किया गया है। मंगोलिया की यात्रा के दौरान लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला और मंगोलिया के स्टेट ग्रेट खुराल (मंगोलिया की संसद) के स्पीकर जी. जंडनशतर ने समझौते के इस ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
इस मौके पर मंगोलिया की संसद के स्पीकर जी. जंडनशतर ने लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को सम्मानस्वरूप एक घोड़ा उपहार के तौर पर दिया। बिरला ने इस उपहार के लिए धन्यवाद कहते हुए इस घोड़े का नाम ‘विक्रान्त’ रख दिया। मंगोलिया की तीन दिवसीय यात्रा पर गए भारतीय संसदीय शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे बिरला आज गैंडनटेगचेनलिंग मठ गए जहां डा लामा और खंबा नोमुन खान ने उनका स्वागत किया।
गैंडनटेगचेनलिंग मठ मंगोलिया में बौद्ध धर्म का मुख्य केंद्र है। इस मठ में बौद्ध ज्ञान और कलात्मक वस्तुओं सहित अमूल्य बौद्ध विरासत का भंडार है। यह मठ अपने विभिन्न पारंपरिक कॉलेजों के माध्यम से भिक्षुओं के साथ ही आम छात्रों को भी धार्मिक और समकालीन शिक्षा प्रदान करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2015 में इस मठ का दौरा किया था और प्रमुख एबॉट को एक बोधि वृक्ष का पौधा सौंपा था।
इस अवसर पर बिरला ने कहा कि भगवान बुद्ध की ‘कर्मभूमि’ के रूप में भारत मंगोलिया में बौद्ध विरासत के संरक्षण के लिए पूर्ण रूप से सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत और मंगोलिया के बीच बौद्ध धर्म और आध्यात्मिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए महामहिम खंबा नोमुन खान को वर्ष 2022 का आईसीसीआर बौद्ध पुरस्कार प्रदान करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने उन्हें बधाई दी और साथ ही यह आश्वासन भी दिया कि भारत मंगोलिया में बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने के लिए मठ की विभिन्न पहलों का समर्थन करना जारी रखेगा।
बाद में, बिरला ने पेथुब मठ का भी दौरा किया जहां ग्रैंड एबॉट ने उनका स्वागत किया। बिरला ने मठ में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। गांधी की यह प्रतिमा भारत-मंगोलिया के बीच सुदृढ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि गांधी द्वारा दिया गया अहिंसा और सद्भाव का संदेश अभी भी पूरी दुनिया के लिए आशा की किरण है।
मंगोलिया की तीन दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन पर बिरला ने मिनी नादाम उत्सव देखा। यह मंगोलिया का सबसे लोकप्रिय त्योहार है जिसमें घुड़दौड़, कुश्ती और तीरंदाजी के तीन पारंपरिक खेलों के साथ ही सदियों पुरानी मंगोलियाई परंपराओं, कलाओं, राष्ट्रीय व्यंजन, शिल्प कौशल और सांस्कृतिक गतिविधियों की झलक भी मिलती है ।
–आईएएनएस
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