नई दिल्ली, 9 फरवरी (आईएएनएस)। सरकार की ओर से घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए चलाई जा रही प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम से भारत की सेमीकंडक्टर कंजम्पशन मार्केट 2030 तक 13 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने की उम्मीद है, जो कि 2024-25 में 52 अरब डॉलर पर है।
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईईएसए) के अध्यक्ष डॉ.वी वीरप्पन के मुताबिक, ऑटोमोटिव और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्र मूल्य-संवर्धन के अवसर प्रस्तुत करते हैं। मोबाइल हैंडसेट, आईटी और औद्योगिक एप्लिकेशन, जो कुल मिलाकर सेक्टर की आय में लगभग 70 प्रतिशत का योगदान देते हैं, विकास के प्रमुख चालक बने हुए हैं।
भारत का सेमीकंडक्टर मार्केट 2030 तक बढ़कर 103.4 अरब डॉलर का होने की उम्मीद है। इससे 400 अरब डॉलर के अधिक के इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट को मदद मिलेगी।
आईईएसए के अध्यक्ष अशोक चांडक के अनुसार, एफएबी और ओएसएटी के लिए सरकार के टारगेटेड इंसेंटिव्स, आरएंडडी निवेश में वृद्धि और कोलैबोरेटिव इंडस्ट्री पहलें भारत के सेमीकंडक्टर सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, पिछले एक साल में आईईएसए सदस्य कंपनियों द्वारा इस सेक्टर में 21 अरब डॉलर की निवेश परियोजनाओं का ऐलान किया गया है।
वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम में भारत की स्थिति को मजबूत करने और देश में आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए स्थानीय सेमीकंडक्टर डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।
एक स्किल्ड वर्कफोर्स भारत की सेमीकंडक्टर आकांक्षाओं की रीढ़ है। शिक्षा और व्यावहारिक प्रशिक्षण में निवेश करके, हम युवाओं को क्षेत्र के परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए तैयार कर सकते हैं।
‘मेक इन इंडिया’ इनिशिएटिव से घरेलू स्तर पर महत्वपूर्ण उपकरण जैसे चार्जर, बैटरी पैक, सभी प्रकार के मैकेनिक्स, यूएसबी केबल, और लिथियम आयन सेल, स्पीकर और माइक्रोफोन, डिस्प्ले असेंबली और कैमरा मॉड्यूल की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिला है।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन के लॉन्च और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में प्लांट स्थापित करने के लिए पांच परियोजनाओं को सरकारी मंजूरी मिलने से देश में इस सेक्टर की मजबूत नींव तैयार हुई है।
–आईएएनएस
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