नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। इसरो ने 380 से अधिक विदेशी उपग्रह लॉन्च किए हैं। यूरोपीय और अमेरिकी उपग्रहों को लॉन्च करके क्रमश: 250 मिलियन यूरो और 170 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमाई की है। यह जानकारी शुक्रवार को केंद्रीय अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भारत की समग्र अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आज लगभग 8 बिलियन डॉलर की है। यानी वैश्विक (बाज़ार हिस्सेदारी) का 2 प्रतिशत, लेकिन पूरी दुनिया भारत की बढ़ी हुई गति को पहचान रही है।
यही कारण है कि 2040 तक पारंपरिक अनुमान के अनुसार यह 40 बिलियन डॉलर का है, लेकिन, बाद में हमारे पास एडीएल (आर्थर डी लिटिल) रिपोर्ट थी, जिसमें 2040 तक भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान लगाया है।
इसलिए, हमने बहुत तेजी से आगे बढ़ना शुरू किया है, हम अभी भी खुद के मूल्यांकन में पारंपरिक हैं, लेकिन दूसरों का आकलन बहुत, बहुत अधिक है, जिसका मतलब है कि हम वास्तव में सही मुकाम तक आ गए हैं।”
जी20 शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत कई मायनों में दुनिया का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र सहित भविष्य के किसी भी विज्ञान प्रयास के लिए दुनिया के सभी हितधारक देशों को एक साथ आने की आवश्यकता होगी। यह रेखांकित करते हुए कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों के बराबर गति पर है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नासा चंद्रमा पर उतरने वाला पहला संस्थान हो सकता है, लेकिन यह भारत का चंद्रयान-1 था, जिसने संभावित साक्ष्य जुटाए। चंद्रमा पर पानी के अणु और अब चंद्रयान-3 पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “अगर हमें इससे आगे जाना है, तो हमें सामूहिक रूप से आगे बढ़ना होगा, क्योंकि हम वैश्विक दुनिया का हिस्सा हैं। इसलिए आगे कोई भी विकास बहुत अधिक विस्तारित एकीकरण में होना चाहिए। यहां से विकास की मुख्य विशेषता यह होगी कि यह काफी हद तक प्रौद्योगिकी संचालित होगा।”
केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की जी20 की अध्यक्षता अंतरिक्ष में देश के गौरव के साथ मेल खाती है।
मंत्री ने कहा, “जी20 शिखर सम्मेलन भारत में ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत का झंडा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लहरा रहा है, पहली बार कोई अंतरिक्ष यान चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर उतरा है, तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में देश की उपलब्धियां, जिसमें अग्रणी अनुसंधान एवं विकास की सफलता की कहानी भी शामिल हैं, चर्चा में है। दुनिया भर में कोविड टीकों की सराहना की जा रही है।”
उन्होंने कहा, “चंद्रयान को दुनिया भर के पूरे वैज्ञानिक समुदाय द्वारा देखा जा रहा है क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि वहां से कुछ नए निष्कर्ष एकत्र किए जाएंगे। क्योंकि यह एक अछूते क्षेत्र में चला गया है। जाहिर है, वहां से आने वाले इनपुट, निष्कर्ष अन्य सभी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ-साथ उनकी भविष्य की परियोजनाओं और योजना के लिए भी उपयोगी होंगे।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष अनुप्रयोगों का उपयोग लगभग सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है, जैसे स्मार्ट सिटी परियोजना, रेलवे ट्रैक और मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग का प्रबंधन, सड़कें और इमारतें, टेलीमेडिसिन, शासन और सबसे महत्वपूर्ण, ‘स्वामित्व’ जीपीएस लैंड-मैपिंग आदि।
–आईएएनएस
जीसीबी/एबीएम