मुंबई, 20 मार्च (आईएएनएस)। रिजर्व बैंक की रिसर्च टीम द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, भारत की ऊर्जा दक्षता में 2000 से 2023 के बीच 1.9 प्रतिशत का सुधार हुआ है, जो वैश्विक औसत 1.4 प्रतिशत से ज्यादा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत अन्य ब्रिक्स देशों से बहुत आगे है, जिनका औसत 1.62 प्रतिशत है। हालांकि, भारत की ऊर्जा दक्षता अमेरिका और जर्मनी जैसे विकसित बाजारों से पीछे है, जहां इस अवधि के दौरान 2 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई।
2012-22 के दौरान, भारत के ऊर्जा-संबंधी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 706 मिलियन टन की वृद्धि हुई। इसमें मुख्य योगदान आर्थिक विकास ने दिया था।
स्टडी के अनुसार, ऊर्जा दक्षता में लाभ, स्ट्रक्चरल बदलाव और रिन्यूएबल एनर्जी के बढ़ते इस्तेमाल के कारण बिजली की उत्सर्जन तीव्रता में सुधार ने उत्सर्जन को लगभग 450 मिलियन टन तक कम करने में मदद की।
आरबीआई के शोधकर्ताओं ने कहा, “आगे चलकर, उत्सर्जन कारक प्रभाव अधिक प्रमुख भूमिका निभाने की उम्मीद है क्योंकि नवीकरणीय ऊर्जा तेजी से जीवाश्म ईंधन की जगह ले रही है और उद्योगों में हरित हाइड्रोजन का उपयोग बढ़ रहा है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दशक में रिन्यूएबल एनर्जी ने उत्सर्जन में कमी पर एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिसमें सौर और पवन ऊर्जा 2022-23 में कुल प्राथमिक ऊर्जा का 2.1 प्रतिशत हिस्सा है।
स्टडी में पाया गया है कि विकास से उत्सर्जन को अलग करने में सुधार के बावजूद, भारत को शुद्ध शून्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए और अधिक बदलाव करने की आवश्यकता है।
भारत को रिन्यूएबल एनर्जी के विस्तार पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
आरबीआई के मासिक बुलेटिन में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि सौर और पवन ऊर्जा शुल्क अब नए कोयला बिजली प्लांट की तुलना में कम हैं, जो रिन्यूएबल एनर्जी की उच्च लागत को लेकर चिंताओं को दूर करता है।
इस रिपोर्ट में यह देखा गया है कि 2012 से 2022 तक भारत में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन क्यों बढ़ा। इसके लिए लॉगरिदमिक मीन डिविसिया इंडेक्स (एलएमडीआई) डीकंपोजिशन विधि का इस्तेमाल किया गया।
इसमें कहा गया है कि यह कुल उत्सर्जन को कुछ मुख्य कारकों में विभाजित करता है, जिसमें जीडीपी वृद्धि का प्रभाव, ऊर्जा दक्षता में सुधार, आर्थिक संरचना में बदलाव, ईंधन की संरचना में परिवर्तन और बिजली उत्पादन में रिन्यूएबल एनर्जी की बढ़ती हिस्सेदारी शामिल है, जो बिजली की कार्बन तीव्रता को कम करती है।
–आईएएनएस
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