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भारत की गिग अर्थव्यवस्था में आने वाले समय में पैदा हो सकती हैं 9 करोड़ नौकरियां : रिपोर्ट

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November 28, 2024
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नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। भारत की गिग अर्थव्यवस्था आने वाले समय में 9 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा कर सकती है। यह जानकारी गुरुवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।

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रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.25 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ की रिपोर्ट में कहा गया कि ई-कॉमर्स, ट्रांसपोर्टेशन, डिलीवरी सर्विसेज और अन्य को सपोर्ट करने वाली गिग अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में 17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 455 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है।

गिग इकॉनमी ने लाखों गैर-कृषि नौकरियां पैदा की हैं, जिसमें अकेले ई-कॉमर्स ने 1.6 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा की हैं।

‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ के संयोजक, के नरसिम्हन का कहना है कि रिपोर्ट में बड़ी कंपनियों और गिग वर्कर्स के बीच विकसित हो रही गतिशीलता का विश्लेषण करने का एक प्रारंभिक प्रयास प्रस्तुत किया गया है। इस क्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों को समझने के लिए यह रिपोर्ट एक मूल्यवान प्रारंभिक बिंदु है।

गिग अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और रोजगार सृजन, आय असमानताओं को कम करने और विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा देने में सहायक होगी।

केंद्र सरकार ने भी गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स उपलब्ध कराने के उद्देश्य से फ्रेमवर्क बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।

कुछ दिनों पहले श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, शोभा करंदलाजे ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020’ में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स संबंधी प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।

उन्होंने कहा कि संहिता में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए जीवन और दिव्यांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा आदि से संबंधित मामलों पर उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा उपाय तैयार करने का प्रावधान है। संहिता में वेलफेयर स्कीम को फाइनेंस करने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना का भी प्रावधान है।

–आईएएनएस

एबीएस/एबीएम

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नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। भारत की गिग अर्थव्यवस्था आने वाले समय में 9 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा कर सकती है। यह जानकारी गुरुवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.25 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ की रिपोर्ट में कहा गया कि ई-कॉमर्स, ट्रांसपोर्टेशन, डिलीवरी सर्विसेज और अन्य को सपोर्ट करने वाली गिग अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में 17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 455 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है।

गिग इकॉनमी ने लाखों गैर-कृषि नौकरियां पैदा की हैं, जिसमें अकेले ई-कॉमर्स ने 1.6 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा की हैं।

‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ के संयोजक, के नरसिम्हन का कहना है कि रिपोर्ट में बड़ी कंपनियों और गिग वर्कर्स के बीच विकसित हो रही गतिशीलता का विश्लेषण करने का एक प्रारंभिक प्रयास प्रस्तुत किया गया है। इस क्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों को समझने के लिए यह रिपोर्ट एक मूल्यवान प्रारंभिक बिंदु है।

गिग अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और रोजगार सृजन, आय असमानताओं को कम करने और विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा देने में सहायक होगी।

केंद्र सरकार ने भी गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स उपलब्ध कराने के उद्देश्य से फ्रेमवर्क बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।

कुछ दिनों पहले श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, शोभा करंदलाजे ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020’ में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स संबंधी प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।

उन्होंने कहा कि संहिता में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए जीवन और दिव्यांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा आदि से संबंधित मामलों पर उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा उपाय तैयार करने का प्रावधान है। संहिता में वेलफेयर स्कीम को फाइनेंस करने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना का भी प्रावधान है।

–आईएएनएस

एबीएस/एबीएम

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नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। भारत की गिग अर्थव्यवस्था आने वाले समय में 9 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा कर सकती है। यह जानकारी गुरुवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.25 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ की रिपोर्ट में कहा गया कि ई-कॉमर्स, ट्रांसपोर्टेशन, डिलीवरी सर्विसेज और अन्य को सपोर्ट करने वाली गिग अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में 17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 455 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है।

गिग इकॉनमी ने लाखों गैर-कृषि नौकरियां पैदा की हैं, जिसमें अकेले ई-कॉमर्स ने 1.6 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा की हैं।

‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ के संयोजक, के नरसिम्हन का कहना है कि रिपोर्ट में बड़ी कंपनियों और गिग वर्कर्स के बीच विकसित हो रही गतिशीलता का विश्लेषण करने का एक प्रारंभिक प्रयास प्रस्तुत किया गया है। इस क्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों को समझने के लिए यह रिपोर्ट एक मूल्यवान प्रारंभिक बिंदु है।

गिग अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और रोजगार सृजन, आय असमानताओं को कम करने और विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा देने में सहायक होगी।

केंद्र सरकार ने भी गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स उपलब्ध कराने के उद्देश्य से फ्रेमवर्क बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।

कुछ दिनों पहले श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, शोभा करंदलाजे ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020’ में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स संबंधी प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।

उन्होंने कहा कि संहिता में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए जीवन और दिव्यांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा आदि से संबंधित मामलों पर उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा उपाय तैयार करने का प्रावधान है। संहिता में वेलफेयर स्कीम को फाइनेंस करने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना का भी प्रावधान है।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। भारत की गिग अर्थव्यवस्था आने वाले समय में 9 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर पैदा कर सकती है। यह जानकारी गुरुवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.25 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।

‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ की रिपोर्ट में कहा गया कि ई-कॉमर्स, ट्रांसपोर्टेशन, डिलीवरी सर्विसेज और अन्य को सपोर्ट करने वाली गिग अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में 17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 455 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है।

गिग इकॉनमी ने लाखों गैर-कृषि नौकरियां पैदा की हैं, जिसमें अकेले ई-कॉमर्स ने 1.6 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा की हैं।

‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ के संयोजक, के नरसिम्हन का कहना है कि रिपोर्ट में बड़ी कंपनियों और गिग वर्कर्स के बीच विकसित हो रही गतिशीलता का विश्लेषण करने का एक प्रारंभिक प्रयास प्रस्तुत किया गया है। इस क्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों को समझने के लिए यह रिपोर्ट एक मूल्यवान प्रारंभिक बिंदु है।

गिग अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और रोजगार सृजन, आय असमानताओं को कम करने और विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा देने में सहायक होगी।

केंद्र सरकार ने भी गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स उपलब्ध कराने के उद्देश्य से फ्रेमवर्क बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।

कुछ दिनों पहले श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, शोभा करंदलाजे ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020’ में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स संबंधी प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।

उन्होंने कहा कि संहिता में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए जीवन और दिव्यांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा आदि से संबंधित मामलों पर उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा उपाय तैयार करने का प्रावधान है। संहिता में वेलफेयर स्कीम को फाइनेंस करने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना का भी प्रावधान है।

–आईएएनएस

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‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ की रिपोर्ट में कहा गया कि ई-कॉमर्स, ट्रांसपोर्टेशन, डिलीवरी सर्विसेज और अन्य को सपोर्ट करने वाली गिग अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में 17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 455 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है।

गिग इकॉनमी ने लाखों गैर-कृषि नौकरियां पैदा की हैं, जिसमें अकेले ई-कॉमर्स ने 1.6 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा की हैं।

‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ के संयोजक, के नरसिम्हन का कहना है कि रिपोर्ट में बड़ी कंपनियों और गिग वर्कर्स के बीच विकसित हो रही गतिशीलता का विश्लेषण करने का एक प्रारंभिक प्रयास प्रस्तुत किया गया है। इस क्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों को समझने के लिए यह रिपोर्ट एक मूल्यवान प्रारंभिक बिंदु है।

गिग अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और रोजगार सृजन, आय असमानताओं को कम करने और विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा देने में सहायक होगी।

केंद्र सरकार ने भी गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स उपलब्ध कराने के उद्देश्य से फ्रेमवर्क बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।

कुछ दिनों पहले श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, शोभा करंदलाजे ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020’ में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स संबंधी प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।

उन्होंने कहा कि संहिता में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए जीवन और दिव्यांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा आदि से संबंधित मामलों पर उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा उपाय तैयार करने का प्रावधान है। संहिता में वेलफेयर स्कीम को फाइनेंस करने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना का भी प्रावधान है।

–आईएएनएस

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‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ की रिपोर्ट में कहा गया कि ई-कॉमर्स, ट्रांसपोर्टेशन, डिलीवरी सर्विसेज और अन्य को सपोर्ट करने वाली गिग अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में 17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 455 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है।

गिग इकॉनमी ने लाखों गैर-कृषि नौकरियां पैदा की हैं, जिसमें अकेले ई-कॉमर्स ने 1.6 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा की हैं।

‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ के संयोजक, के नरसिम्हन का कहना है कि रिपोर्ट में बड़ी कंपनियों और गिग वर्कर्स के बीच विकसित हो रही गतिशीलता का विश्लेषण करने का एक प्रारंभिक प्रयास प्रस्तुत किया गया है। इस क्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों को समझने के लिए यह रिपोर्ट एक मूल्यवान प्रारंभिक बिंदु है।

गिग अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और रोजगार सृजन, आय असमानताओं को कम करने और विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा देने में सहायक होगी।

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‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ की रिपोर्ट में कहा गया कि ई-कॉमर्स, ट्रांसपोर्टेशन, डिलीवरी सर्विसेज और अन्य को सपोर्ट करने वाली गिग अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में 17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर 455 अरब डॉलर पहुंचने की उम्मीद है।

गिग इकॉनमी ने लाखों गैर-कृषि नौकरियां पैदा की हैं, जिसमें अकेले ई-कॉमर्स ने 1.6 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा की हैं।

‘फोरम फॉर प्रोग्रेसिव गिग वर्कर्स’ के संयोजक, के नरसिम्हन का कहना है कि रिपोर्ट में बड़ी कंपनियों और गिग वर्कर्स के बीच विकसित हो रही गतिशीलता का विश्लेषण करने का एक प्रारंभिक प्रयास प्रस्तुत किया गया है। इस क्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों को समझने के लिए यह रिपोर्ट एक मूल्यवान प्रारंभिक बिंदु है।

गिग अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और रोजगार सृजन, आय असमानताओं को कम करने और विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा देने में सहायक होगी।

केंद्र सरकार ने भी गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स उपलब्ध कराने के उद्देश्य से फ्रेमवर्क बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है।

कुछ दिनों पहले श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री, शोभा करंदलाजे ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020’ में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा और वेलफेयर बेनिफिट्स संबंधी प्रावधानों का उल्लेख किया गया है।

उन्होंने कहा कि संहिता में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए जीवन और दिव्यांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा आदि से संबंधित मामलों पर उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा उपाय तैयार करने का प्रावधान है। संहिता में वेलफेयर स्कीम को फाइनेंस करने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना का भी प्रावधान है।

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गिग अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और रोजगार सृजन, आय असमानताओं को कम करने और विभिन्न क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा देने में सहायक होगी।

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