नई दिल्ली, 23 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत की डेटा सेंटर इंडस्ट्री की क्षमता वित्त वर्ष 2026-27 तक दोगुनी बढ़कर 2 से 2.3 गीगावाट हो सकती है। इसकी वजह अर्थव्यवस्था का डिजिटाइजेशन बढ़ने के कारण क्लाउड में निवेश बढ़ना है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में सोमवार को दी गई।
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया कि जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (जेनएआई) की बढ़ती पहुंच के कारण मध्यम अवधि में मांग जारी रहेगी।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि मजबूत मांग का समर्थन करने के लिए वृद्धिशील पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) से डेट फंडिंग का उच्च अनुपात देखने को मिलेगा, जिसके परिणामस्वरूप डेट स्तरों में मध्यम वृद्धि होगी। हालांकि, क्षमता वृद्धि मांग वृद्धि को पीछे छोड़ देगी, जिससे ऑफटेक जोखिम कम रहेगा। इसके परिणामस्वरूप इंडस्ट्री का कैश फ्लो अच्छा और स्थिर रह सकता है, जिससे कंपनियों की क्रेडिट प्रोफाइल को स्थिर रहेगी।
क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा कि यह विश्लेषण उद्योग जगत के बड़ी कंपनियों पर आधारित है, जो परिचालन क्षमता के हिसाब से बाजार हिस्सेदारी का लगभग 85 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि डेटा सेंटर कंप्यूटिंग और स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग को पूरा करते हैं, जो दो प्राथमिक कारकों द्वारा संचालित हो रही है। पहला इंडस्ट्री तेजी से अपने व्यवसायों को क्लाउड सहित डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित कर रही है। कोविड-19 महामारी के बाद तेजी देखने को मिली है। दूसरा, हाई-स्पीड डेटा की बढ़ती पहुंच ने सोशल मीडिया, ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म और डिजिटल भुगतान सहित इंटरनेट के उपयोग में वृद्धि की है।
पिछले पांच वित्त वर्षों में मोबाइल डेटा ट्रैफिक 25 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक मनीष गुप्ता ने कहा, “बढ़ती डेटा सेंटर मांग को पूरा करने के लिए अगले तीन वित्त वर्षों में 55,000-65,000 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता है, जो मुख्य रूप से भूमि और भवन, बिजली उपकरण और कूलिंग सॉल्यूशंस पर खर्च किए जाएंगे।”
–आईएएनएस
एबीएस/