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Home ताज़ा समाचार

भारत की हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का 98 वर्ष की आयु में निधन (लीड-1)

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September 28, 2023
in ताज़ा समाचार
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चेन्नई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 98 साल के थे।

पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

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उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके. स्टालिन ने प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक के निधन पर शोक व्यक्त किया।

–आईएएनएस

एफजेड

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चेन्नई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 98 साल के थे।

पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके. स्टालिन ने प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक के निधन पर शोक व्यक्त किया।

–आईएएनएस

एफजेड

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चेन्नई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 98 साल के थे।

पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके. स्टालिन ने प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक के निधन पर शोक व्यक्त किया।

–आईएएनएस

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चेन्नई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 98 साल के थे।

पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके. स्टालिन ने प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक के निधन पर शोक व्यक्त किया।

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चेन्नई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 98 साल के थे।

पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

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चेन्नई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 98 साल के थे।

पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

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पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

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पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

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चेन्नई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 98 साल के थे।

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उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

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उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

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हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

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डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

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पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

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चेन्नई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 98 साल के थे।

पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके. स्टालिन ने प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक के निधन पर शोक व्यक्त किया।

–आईएएनएस

एफजेड

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चेन्नई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 98 साल के थे।

पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके. स्टालिन ने प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक के निधन पर शोक व्यक्त किया।

–आईएएनएस

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चेन्नई, 28 सितंबर (आईएएनएस)। प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भारत में हरित क्रांति के जनक डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 98 साल के थे।

पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके. स्टालिन ने प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक के निधन पर शोक व्यक्त किया।

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पद्म भूषण पुरस्कार विजेता, जिन्हें एमएस स्वामीनाथन के नाम से जाना जाता है, उनका चेन्नई में निधन हो गया।

उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने आईएएनएस को फोन पर बताया, ”उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।”

डॉ. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था।

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।

हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था।

हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।

डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।

उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

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–आईएएनएस

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