चेन्नई, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। अंतरिक्ष में भारत के पहले मानव मिशन ‘गगनयान’ के लिए रॉकेट के क्रू एस्केप सिस्टम को प्रदर्शित करने के लिए पहले उड़ान परीक्षण वाहन एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) का प्रक्षेपण शनिवार को किया जायेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया की इसके लिए उल्टी गिनती शुक्रवार सुबह 8 बजे शुरू होगी।
अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि भारत 2025 में पहली बार अपने स्वयं के रॉकेट से अंतरिक्ष में अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है। क्रू एस्केप सिस्टम का परीक्षण उसी का हिस्सा है। टीवी-डी1 की उड़ान शनिवार सुबह 8 बजे होगी जबकि 24 घंटे की उल्टी गिनती शुक्रवार सुबह 8 बजे से होगी।
इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा, यह चार परीक्षण उड़ानों में से पहली होगी।
इसरो के अनुसार, शनिवार की उड़ान का उद्देश्य उड़ान प्रदर्शन और परीक्षण वाहन उप प्रणालियों का मूल्यांकन करना है।
लगभग 35 मीटर लंबा और लगभग 44 टन वजन वाला परीक्षण वाहन/रॉकेट एक संशोधित विकास इंजन का उपयोग करता है जो तरल ईंधन द्वारा संचालित होता है।
क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम रॉकेट के अगले सिरे पर लगे होते हैं।
संपूर्ण उड़ान क्रम – परीक्षण रॉकेट के प्रक्षेपण से लेकर क्रू मॉड्यूल के पैराशूट के साथ समुद्र में उतरने तक – लगभग 531.8 सेकंड या लगभग नौ मिनट लगेंगे।
इसरो के अनुसार, क्रू मॉड्यूल का द्रव्यमान 4,520 किलोग्राम है और यह एकल दीवार वाली बिना दबाव वाली एल्यूमीनियम संरचना है।
उड़ान के लगभग 61 सेकंड बाद 11.9 किमी की ऊंचाई पर क्रू एस्केप प्रणाली परीक्षण वाहन से अलग हो जाएगी।
लिफ्ट ऑफ के 91 सेकंड बाद 16.9 किलोमीटर की ऊंचाई पर क्रू मॉड्यूल क्रू एस्केप सिस्टम से अलग हो जायेगा।
इसरो ने कहा कि इसके बाद, पैराशूट की श्रृंखला की तैनाती के साथ शुरू होने वाले निरस्त अनुक्रम को स्वायत्त रूप से निष्पादित किया जाएगा, जो अंततः श्रीहरिकोटा के तट से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में क्रू मॉड्यूल के सुरक्षित लैंडिंग के साथ समाप्त होगा।
वास्तविक मानव अंतरिक्ष मिशन के दौरान क्रू मॉड्यूल अंतरिक्ष यात्रियों को दबावयुक्त पृथ्वी जैसी वायुमंडलीय स्थिति में रखेगा।
वर्तमान में गगनयान मिशन के लिए क्रू मॉड्यूल विकास के विभिन्न चरणों में है।
टीवी-डी1 एक बिना दबाव वाला संस्करण है, लेकिन इसमें वास्तविक गगनयान क्रू मॉड्यूल का समग्र आकार और द्रव्यमान है और इसमें गति कम करने और पुनर्प्राप्ति के लिए सभी सिस्टम होंगे।
क्रू मॉड्यूल में एवियोनिक्स सिस्टम नेविगेशन, सीक्वेंसिंग, टेलीमेट्री, इंस्ट्रूमेंटेशन और बिजली के लिए दोहरे निरर्थक मोड कॉन्फ़िगरेशन हैं।
इसरो के अनुसार, इस मिशन में क्रू मॉड्यूल को विभिन्न प्रणालियों के प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिए उड़ान के आंकड़े एकत्र करने के लिए बड़े पैमाने पर उपकरण लगाये गये हैं।
क्रू मॉड्यूल की गति को पायरो सिस्टम वाले पैराशूट से कम किया जाएगा।
पैराशूट तैनाती की शुरुआत तब की जाएगी जब क्रू मॉड्यूल वापस उतरते समय लगभग 16.8 किमी की ऊंचाई पर होगा।
रॉकेट के उड़ान भरने के 531.8 सेकंड बाद क्रू मॉड्यूल श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में गिर जाएगा और भारतीय नौसेना द्वारा इसे बरामद किए जाने तक तैरता रहेगा।
रिकवरी जहाज क्रू मॉड्यूल के पास पहुंचेंगे और गोताखोरों की एक टीम एक बोय संलग्न करेगी। एक शिप क्रेन का इस्तेमाल कर इसे किनारे पर लाया जाएगा।
क्रू एस्केप सिस्टम श्रीहरिकोटा से लगभग 14 किमी दूर समुद्र में गिरेगा। इस क्रू मॉड्यूल के साथ यह परीक्षण वाहन मिशन समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि उड़ान परीक्षण के लिए लगभग पूर्ण प्रणाली को एकीकृत किया गया है।
इसरो ने कहा कि इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष योग्यता परीक्षणों और मानवरहित मिशनों के लिए मंच तैयार करेगी, जो पहले गगनयान मिशन का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
–आईएएनएस
एकेजे