नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। वित्त मंत्रालय ने अपनी वार्षिक समीक्षा में कहा कि स्ट्रेस्ड अकाउंट्स के समाधान, पुर्नपूंजीकरण और बैंकों में सुधार लागू करने की सरकार की नीति के कारण भारत के बैंकिंग सेक्टर की स्थिति काफी अच्छी हुई है।
इस वजह से बैंकों के एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। साथ ही मुनाफा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
वित्त मंत्रालय ने बताया कि शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों का ग्रॉस एनपीए मार्च 2018 के 11.18 प्रतिशत (10.36 लाख करोड़ रुपये) के उच्चतम स्तर से घटकर जून 2024 में 2.67 प्रतिशत (4.75 लाख करोड़ रुपये) हो गया है।
सरकारी क्षेत्र के बैंकों का ग्रॉस एनपीए मार्च 2018 के 14.58 प्रतिशत (8.96 लाख करोड़ रुपये) के उच्चतम स्तर से घटकर जून 2024 में 3.32 प्रतिशत (3.29 लाख करोड़ रुपये) हो गया है।
एनपीए वह लोन है, जिसने बैंकों के लिए एक निश्चित अवधि के लिए मूल राशि पर आय या ब्याज पैदा नहीं की है। अगर लोन लेने वाले व्यक्ति ने कम से कम 90 दिनों तक ब्याज या मूल राशि का भुगतान नहीं किया है, तो बैंक द्वारा मूल राशि को एनपीए घोषित कर दिया जाता है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि एसेट्स क्वालिटी में काफी सुधार आया है और इस कारण शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों का प्रोविजनल कवरेज रेश्यो (पीसीआर) जून 2024 तक सुधरकर 92.52 प्रतिशत हो गया है, जो कि मार्च 2015 में 49.31 प्रतिशत था।
ठीक इसी प्रकार सरकारी बैंकों का पीसीआर बढ़कर जून 2024 में 93.36 प्रतिशत हो गया है, जो कि मार्च 2015 में 46.04 प्रतिशत था।
प्रोविजनल कवरेज रेश्यो (पीसीआर) वह रेश्यो या राशि होती है, जो कि बैंक द्वारा खराब लोन से हुए नुकसान को रिकवर करने के लिए रखी जाती है।
सभी शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 3.50 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक शुद्ध लाभ दर्ज किया है, जो कि वित्त वर्ष 2022-23 में 2.63 लाख करोड़ रुपये था।
सभी सरकारी बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में अब तक का सबसे अधिक 1.41 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया है, जो कि वित्त वर्ष 2022-23 में 1.05 लाख करोड़ रुपये था।
सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2023-24 में शेयरधारकों को 27,830 करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया है। इसमें सरकार की हिस्सेदारी 18,013 करोड़ रुपये थी।
—आईएएनएस
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