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Home राष्ट्रीय

भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर बंगाल कांग्रेस ने अपनाई वेट एंड वॉच पॉलिसी

by
August 13, 2023
in राष्ट्रीय
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भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर बंगाल कांग्रेस ने अपनाई वेट एंड वॉच पॉलिसी
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कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर उत्साहित है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्साह अभी तक बढ़ा नहीं है।

इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

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कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

–आईएएनएस

एफजेड/एसकेपी

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कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर उत्साहित है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्साह अभी तक बढ़ा नहीं है।

इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

–आईएएनएस

एफजेड/एसकेपी

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कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर उत्साहित है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्साह अभी तक बढ़ा नहीं है।

इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर उत्साहित है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्साह अभी तक बढ़ा नहीं है।

इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

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इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

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इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

–आईएएनएस

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इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

–आईएएनएस

एफजेड/एसकेपी

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कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर उत्साहित है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्साह अभी तक बढ़ा नहीं है।

इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर उत्साहित है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्साह अभी तक बढ़ा नहीं है।

इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर उत्साहित है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्साह अभी तक बढ़ा नहीं है।

इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

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इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

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राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

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कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर उत्साहित है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्साह अभी तक बढ़ा नहीं है।

इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

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इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

–आईएएनएस

एफजेड/एसकेपी

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कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर उत्साहित है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्साह अभी तक बढ़ा नहीं है।

इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर उत्साहित है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्साह अभी तक बढ़ा नहीं है।

इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

–आईएएनएस

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कोलकाता, 13 अगस्त (आईएएनएस)। कांग्रेस जहां राष्ट्रीय स्तर पर अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2.0 को लेकर उत्साहित है, वहीं पश्चिम बंगाल में उत्साह अभी तक बढ़ा नहीं है।

इस बात का कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस मेगा इवेंट में कैसे हिस्सा लेगी या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सहयोगी दलों के किन नेताओं को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एस.एच. रॉय जैसे राज्य कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पार्टी की राज्य इकाई आलाकमान से निर्देशों का इंतजार कर रही है। पश्चिम बंगाल में स्थिति मुश्किल है क्योंकि राज्य में हमारी कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

जहां तक माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे का संबंध है, इसमें ज्यादा जटिलता नहीं है क्योंकि राज्य स्तर पर उनके साथ हमारा पहले से ही समझौता चल रहा है। इसलिए हम अपने आलाकमान के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि क्या हम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए इंडिया के अन्य घटक दलों के नेताओं को आमंत्रित करेंगे।

उन्होंने स्वीकार किया कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि पश्चिम बंगाल से किसी अन्य इंडिया घटक के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के मामले में हम माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ समझौता कर रहे हैं, जो केरल में कांग्रेस का प्रमुख विपक्ष है।

इसलिए यदि पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के नेताओं को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो हमारी केरल इकाई नाराज हो सकती है। इसलिए हमने निर्णय पूरी तरह से अपने आलाकमान पर छोड़ने का फैसला किया है।

त्रिपुरा में भी, कांग्रेस माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ एक समझौता कर रही है और त्रिपुरा में भी पार्टी की राज्य इकाई पूरी संभावना है कि निर्णय केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ देगी। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व की बात है तो वह इस मामले पर तब तक चर्चा नहीं करेगा जब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक निमंत्रण नहीं मिल जाता।

पार्टी के दिग्गज विधायक तपस रॉय के मुताबिक, कोई भी फैसला कांग्रेस की ओर से औपचारिक निमंत्रण आने के बाद ही लिया जाएगा और यह फैसला सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही लेंगी। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पार्टी काम करेगी।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी की एक राज्य समिति के सदस्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल में माकपा नेतृत्व को भी लगता है कि औपचारिक निमंत्रण से पहले इस मामले पर विचार करना व्यर्थ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

राजनीतिक ऑब्जर्वर का यह भी मानना है कि इंडिया गठबंधन सहयोगियों को आमंत्रित करने का सवाल उन राज्यों में प्रासंगिक है जहां देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के क्षेत्रीय दलों के साथ संबंध बेहद सहज हैं।

यह प्रश्न बिहार जैसे राज्य में प्रासंगिक है, जहां राज्य स्तर पर कांग्रेस का वहां की दो सबसे प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों आरजेडी और जेडीयू के साथ सहज तालमेल चल रहा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इंडिया के सभी सहयोगियों के बीच राज्य-स्तरीय मजबूरियों के कारण गठबंधन की पूरी अवधारणा भ्रमित करने वाली है।

एक ओर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और माकपा पर भाजपा के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगा रही है, दूसरी तरह कांग्रेस और माकपा दोनों ही तृणमूल कांग्रेस पर गुपचुप तरीके से बीजेपी का साथ देने का आरोप लगा रहे हैं।

इसलिए जब मूल गठबंधन ही ऐसी असमंजस की स्थिति में है, तो गठबंधन सहयोगियों का भारत जोड़ो 2.0 में भाग लेने का सवाल अप्रासंगिक हो जाता है।

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