संयुक्त राष्ट्र, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए दस्तावेजों की मांग की है, विशेष रूप से अफ्रीकी देशों की स्थायी सदस्यता का विरोध करने वालों के नाम मांगें हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सोमवार को कहा कि समूहों और सदस्य राज्यों का एक स्पष्ट आरोपण होना चाहिए, जो अफ्रीकी देशों के लिए स्थायी सीटों का समर्थन नहीं करते हैं और क्षेत्रीय स्थायी सीटों जैसी नई श्रेणियों का आविष्कार करके उनके दावे को कम करने की कोशिश करते हैं।
कंबोज ने कहा, यह उन लोगों से अलग करेगा, जो अफ्रीकी देशों के लिए परिषद में स्थायी प्रतिनिधित्व की मांग करते हैं।
भारत की रणनीति यह उजागर करेगी कि चीन जैसे देश और यूनाइटिंग फॉर कंसेंसस (यूएफसी) समूह के सदस्य, जिनमें से पाकिस्तान एक प्रमुख सदस्य है, संयुक्त राष्ट्र में अफ्रीका के साथ कहां खड़े हैं।
अफ्रीका के 55 देशों ने 1.4 अरब लोगों के महाद्वीप के लिए कम से कम दो स्थायी सीटों की मांग की है।
सुरक्षा परिषद सुधारों पर अंतरसरकारी वार्ताओं (आईजीएन) की एक बैठक में बोलते हुए, कंबोज ने कहा कि सुधारों पर सदस्यों की स्थिति के रिकॉर्ड में कुछ सदस्यों और अन्य सदस्यों को अस्पष्ट रूप से कहने के बजाय स्पष्ट शब्दों और सटीक आंकड़ों का उपयोग करना चाहिए।
उन्होंने बताया, इससे पता चलता है कि 122 देशों में से 113 देशों ने लिखित प्रस्तुतियां दी हैं, जिन्होंने परिषद की स्थायी सदस्यता का विस्तार करने का समर्थन किया है।
कंबोज ने कहा कि इस स्तर पर केवल स्थायी सदस्यता के विस्तार पर विचार किया जा रहा है, न कि किसे मिलेगा, जो गुप्त मतदान में दो-तिहाई मतों से निर्धारित होगा।
उन्होंने आईजीएन के सह-अध्यक्षों, कुवैत के स्थायी प्रतिनिधि तारेक अलबनाई और अलेक्जेंडर मार्शिक से दशकों से अटकी हुई सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए बातचीत का माहौल तैयार करने का आह्वान किया।
कंबोज ने कहा, हम सह-अध्यक्षों को उन तर्कों से विचलित नहीं होने के लिए प्रोत्साहित करेंगे, जो पाठ-आधारित वार्ताओं की ओर बढ़ने से पहले तर्कहीन रूप से सभी समूहों पर आम सहमति बनाने के लिए कहते हैं।
जिन देशों के प्रतिनिधियों ने बैठक में बात की उनमें से अधिकांश ने बातचीत के पाठ को अपनाने का आह्वान किया।
भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान मिलकर जी 4 समूह बनाते हैं, जो सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के विस्तार की पैरवी करते हैं।
वे परिषद में स्थायी सीट के लिए एक दूसरे के दावों का परस्पर समर्थन भी करते हैं।
जी4 की ओर से बोलते हुए, जापान के स्थायी प्रतिनिधि इशिकाने किमिहिरो ने कहा कि वे देश, जो परिषद की स्थायी सदस्यता का विस्तार नहीं चाहते हैं कहते हैं कि अफ्रीका के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को खत्म किया जाना चाहिए। अर्थात अफ्रीका को परिषद में स्थायी सीट देनी चाहिए।
उन्होंने कहा, जी4 अफ्रीका की मांग का पूर्ण समर्थन करता है। दोनों श्रेणियों में वृद्धि के लिए उपयुक्त संख्या पर पाठ-आधारित वातार्ओं के दौरान आगे चर्चा की जा सकती है।
ब्राजील के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रोनाल्डो कोस्टा फिल्हो ने कहा कि सह-अध्यक्षों को अपने नेतृत्व पर जोर देना चाहिए और आईजीएन को निर्णय लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
फिल्हो ने कहा कि ये आईजीएन के लिए एक छोटा कदम हो सकता है लेकिन सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए एक बड़ी छलांग है।
परिषद में अमेरिकी स्थायी प्रतिनिधि लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा, संयुक्त राष्ट्र, एक संस्था के रूप में, एक मोड़ बिंदु पर है। हमारे सामने सवाल यह है कि क्या हम एक पुरानी यथास्थिति का बचाव करेंगे या सुरक्षा परिषद में सुधार करेंगे और आज की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र को सशक्त बनाएंगे।
उन्होंने कहा, सुरक्षा परिषद को दुनिया और भौगोलिक दृष्टि से विविध दृष्टिकोणों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है। इसीलिए पिछले सितंबर में जनरल डिबेट के दौरान अपने संबोधन में राष्ट्रपति बाइडेन ने स्थायी सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यता के विस्तार का आह्वान किया था।
–आईएएनएस
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