भोपाल, 31 मार्च (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत और पाकिस्तान के विभाजन को कृत्रिम बताया है। मध्य प्रदेश की राजधानी के भेल दशहरा मैदान पर अमर बलिदानी हेमू कालानी जन्म-शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख भागवत ने कहा, इतिहास में है कि भारत व पाकिस्तान का विभाजन कृत्रिम है। इस पर कोई विवाद नहीं कर सकता। अपनी बात को स्पष्ट करते हुए भागवत ने कहा, एक व्यक्ति को लाया गया सीमांकन करने के लिए वह जानता नहीं था, उसके पास सिर्फ तीन महिने थे, पूरा करके जाते समय उसने कहा कि मैं इसका एक्सपर्ट नहीं हूं, मैं नहीं जाता कि कैसे करना है, मेरे पास समय भी नहीं था। जो मैने किया है, वह मैं भी नहीं जानता हूं।
सरसंघचालक भागवत ने कहा कि सिंधी समुदाय सब कुछ गंवा कर भी शरणार्थी नहीं बना, उसने पुरूषार्थी बन कर दिखा दिया। शहीद हेमू के नाम के साथ सिंध का नाम जुड़ा है। सिंधी समुदाय द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख कम होता है।
भागवत ने कहा कि हेमू जी का मानना था कि हम तो चले जाएंगे, हम रहेंगे नहीं लेकिन भारत जरूर रहेगा। इसी आदर्श को लेकर संत कंवरराम जैसे देशभक्त भी बलिदान के लिए आगे आए।
उन्होंने कहा कि सिंधी समुदाय ने भारत नहीं छोड़ा था, वे भारत से भारत में ही आए थे। सिंधु संस्कृति में वेदों के उच्चारण होते थे। हमने तो भारत बसा लिया लेकिन वास्तव में राष्ट्र खंडित हो गया। आज भी उस विभाजन को कृत्रिम मानते हुए सिंध के साथ लोग मन से जुड़े हैं। सिंधु नदी के प्रदेश सिंध से भारत का जुड़ाव रहेगा। वहां के तीर्थों को कौन भूल सकता है।
भागवत ने इंदौर में कल हुई दुर्घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें गंगाजी के दर्शन के समय यह खबर मिली और तभी गंगाजी को प्रणाम कर दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि भी दी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मौके पर कई घोषणाएं की। भोपाल की मनुआभान टेकरी के साथ ही प्रदेश के जबलपुर और इंदौर में भी अमर शहीद हेमू कालानी की प्रतिमा की स्थापना की जाएगी। सिंधी संस्कृति प्राचीनतम संस्कृति है। इसकी विशेषताओं को दिखाने वाले एक संग्रहालय का निर्माण राजधानी भोपाल में किया जाएगा। सिंधी विस्थापितों को कम कीमत पर पट्टे प्रदान करने के लिए मापदंड निर्धारित किए गए हैं। इसके अनुसार प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर पात्र सिंधी विस्थापितों को पट्टे प्रदान करने का कार्य किया जाएगा। विशेष शिविर लगा कर पात्र सिंधी विस्थापितों को जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि लद्दाख स्थित सिंधु नदी के घाट पर प्रतिवर्ष जून माह में होने वाले सिंधु दर्शन उत्सव में प्रदेश के यात्रियों को भिजवाने की व्यवस्था राज्य सरकार ने प्रारंभ की थी। कोरोना और अन्य कारणों से इसे निरंतरता नहीं मिली। इस वर्ष मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में प्रति यात्री 25 हजार रूपए की राशि सिंधु दर्शन उत्सव में ले जाने के लिए प्रदान की जाएगी। सिंधी साहित्य अकादमी के बजट को बढ़ाकर पाँच करोड़ रूपए वार्षिक किया जाएगा।
इस आयोजन में देश के विभिन्न हिस्सों से सिंधी समाज के प्रतिनिधि और प्रमुख लोग पहुंचे। भारत में रक्त कैंसर के उपचार में अस्थिमज्जा प्रत्यारोपण के क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉ. सुरेश एच. आडवाणी मुम्बई सहित खेल, साहित्य, समाज सेवा, चिकित्सा, सिनेमा और कला क्षेत्र की प्रमुख विभूतियों को सम्मानित किया गया।
–आईएएनएस
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