नई दिल्ली, 30 दिसंबर (आईएएनएस)। एफवाईयूपी, विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस, केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 6 हजार से अधिक खाली पड़े पद, नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और विश्वविद्यालयों में आने वाले बड़े बदलावों को लेकर यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू।
प्रश्न- दिल्ली विश्वविद्यालय सहित कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। छात्र शिक्षक अनुपात बेहतर करने के लिए यूजीसी क्या कर रहा है ?
उत्तर- यूजीसी सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों से जल्द ही मिशन मोड में रिक्तियों को भरने का अनुरोध किया है। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्वीकृत शिक्षण पदों की कुल संख्या 18956 है, जिसमें 12776 पद भरे गए हैं और 6180 पद खाली हैं। शिक्षण पदों को भरने का दायित्व संसद के अधिनियमों के तहत बनाए गए केंद्रीय विश्वविद्यालयों, स्वायत्त निकायों पर है। शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए एडहॉक टीचर, गेस्ट टीचर, और कॉन्ट्रैक्ट टीचर की नियुक्तियां भी की जा रही हैं। इसके अलावा, यूजीसी ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस नामक पद की एक नई श्रेणी बनाई है। जिसमें उद्योग और अन्य पेशेवर विशेषज्ञों को शैक्षणिक संस्थानों में लाने की नई पहल की है।
प्रश्न- क्या कोई प्रमुख विदेशी विश्वविद्यालय 2023 में भारत में अपना परिसर शुरू करने जा रहा है ?
उत्तर- यूएसए, यूके, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और इटली के विश्वविद्यालयों ने अपनी रुचि व्यक्त की है। यह उम्मीद है कि एक बार प्रावधान की घोषणा हो जाने के बाद, वैश्विक रैंकिंग वाले विदेशी विश्वविद्यालय भारत में कैंपस खोलने के आवेदन के साथ आगे आएंगे। यूजीसी विदेशों में अपने दूतावासों और मिशनों के माध्यम से दुनिया भर में प्रचार करेगा और इस तरह के अकादमिक सहयोग में सहायक भूमिका निभाएगा। इससे भारतीय छात्रों को सस्ती कीमत पर विदेशी योग्यता प्राप्त करने की अनुमति मिलेगी और भारत एक आकर्षक वैश्विक अध्ययन गंतव्य बनेगा।
प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उन महत्वपूर्ण प्रावधानों से अवगत कराएं, जिन्हें वर्ष 2023 में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अभी लागू किया जाना है ?
उत्तर- हम अच्छा प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को विदेशों में परिसर खोलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। एक डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना। नेशनल डिजिटल यूनिवर्सिटी, हब एंड स्पोक मॉडल पर स्थापित होने की संभावना है। इससे 12वीं कक्षा उत्तीर्ण कर चुके सभी छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने के लिए विश्वविद्यालयों को प्रोत्साहित किया जाएगा। एक राष्ट्र एक डेटा, योग्यता की मान्यता का सरलीकरण, लंबवत और क्षैतिज सुविधा प्रदान करने के लिए तत्पर हैं। मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम, शिक्षा तक समान पहुंच, अगम्य लोगों तक पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग। राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी फोरम (एनईटीएफ) की स्थापना शिक्षाविदों में प्रौद्योगिकी के एकीकरण और प्रभावी शैक्षिक प्रशासन के लिए सुविधा प्रदान करेगी।
प्रश्न- केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने एनईपी के प्रावधानों को अपनाया है। निजी और राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों की स्थिति क्या है। क्या प्राइवेट यूनिवर्सिटी सीयूईटी जैसी पहल को लागू कर रही हैं ?
उत्तर- मुझे आपके साथ यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि सीयूईटी में भाग लेने वाले 90 विश्वविद्यालयों में से 43 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं, 13 डीम्ड विश्वविद्यालय हैं, 21 निजी विश्वविद्यालय हैं और 13 राज्य विश्वविद्यालय हैं। यूजीसी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों को पूरा करने के लिए कई सक्षम पहल की हैं। ये नीतिगत हस्तक्षेप और दिशानिर्देश सभी प्रकार के विश्वविद्यालयों पर लागू होते हैं, चाहे वे सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित हों या निजी। प्राइवेट और राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय विभिन्न प्रावधानों को लागू करने के लिए आगे आ रहे हैं क्योंकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना हर संस्थान की प्राथमिकता है।
प्रश्न- क्या यूजीसी ने एकेडमिक सहयोग के लिए विदेशों में संपर्क किया गया है, विदेशी शैक्षणिक संस्थानों की प्रतिक्रिया क्या है ?
उत्तर- 49 विदेशी उच्च शिक्षा संस्थान भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ एकेडमिक सहयोग कर रहे हैं। भारतीय मिशन के सहयोग से चुनिंदा अमेरिकी विश्वविद्यालयों और डीएएडी के सहयोग से जर्मन विश्वविद्यालयों के साथ बैठकें आयोजित की गईं हैं। यूजीसी ने लगभग 66 देशों के राजदूतों और मिशन प्रमुखों से संपर्क किया है। इनमें यूएसए, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, सिंगापुर, इजरायल, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, मलेशिया आदि शामिल हैं। यूजीसी ने हाल ही में चुनिंदा विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ संयुक्त और दोहरी डिग्री प्रदान करने की शुरूआत की है। विदेशी शिक्षण संस्थान और भारतीय विश्वविद्यालय साथ मिलकर छात्रों को संयुक्त और दोहरी डिग्री प्रदान करेंगे।
प्रश्न- भारत में उच्च शिक्षा के लिए आने वाले विदेशी छात्रों के लिए क्या नए बदलाव किए जा रहे हैं ?
उत्तर- यूजीसी ने हाल ही में उच्च शिक्षण संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए सीटों को बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। प्रत्येक संकाय सदस्य दो अंतरराष्ट्रीय छात्रों को पीएचडी कार्यक्रम में अधिसंख्य पदों के रूप में भी ले सकता है। उच्च शिक्षा संस्थानों ने अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यालय की स्थापना की है, जो अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की शिकायतों को दूर करेगा और उन्हें साथी छात्रों के साथ नेटवर्क बनाने में मदद करेगा। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) द्वारा अंतरराष्ट्रीय छात्रों को फैलोशिप प्रदान की जा रही है। इसके अलावा, शिक्षा मंत्रालय की स्टडी इन इंडिया पहल भारत में प्रवेश पाने के इच्छुक अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की जरूरतों को पूरा करती है।
प्रश्न- एफवाईयूपी के लिए छात्रों और शिक्षकों के बीच स्वीकृति का स्तर क्या है। कई शिक्षक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। एफवाईयूपी से छात्रों को कैसे लाभ होगा ?
उत्तर- विश्वविद्यालय इस एफवाईयूपी को शुरू करने के लिए काम कर रहे हैं। छात्रों को अपने अनुसंधान हितों, रचनात्मकता, उद्यमशीलता कौशल और नवीन कौशल को आगे बढ़ाने के लिए बेहतर रोजगार के लिए अग्रणी बनाने के लिए उन्हें अपनी शैक्षणिक और कार्यकारी परिषदों के माध्यम से अपना कार्यान्वयन तंत्र बनाने की स्वतंत्रता है।चार साल का अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाईयूपी) समग्र और बहु-विषयक शिक्षा को लागू करने का एक उपकरण है। छात्र इसके जरिए अपनी रूचि रुचि के एक या एक से अधिक विशेष क्षेत्रों का अध्ययन कर और क्षमताओं का विकास भी कर सकते हैं।
–आईएएनएस
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