नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। भारत में रियल एस्टेट कंस्ट्रक्शन की औसत लागत में पिछले एक साल में 11 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसका कारण कंस्ट्रक्शन मटेरियल जैसे रेत, ईंट, कांच और लकड़ी की कीमत में इजाफा होने के साथ श्रम की लागत में बढ़ोतरी होना है। यह जानकारी गुरुवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
कोलियर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि सीमेंट, स्टील, तांबा और एल्यूमीनियम सहित चार प्रमुख कंस्ट्रक्शन मटेरियल की कीमतों में वृद्धि का संचयी प्रभाव अपेक्षाकृत कम रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 12 महीनों में औसत सीमेंट की कीमतों में 15 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई है, जबकि औसत स्टील की कीमतों में 1 प्रतिशत की मामूली कमी देखी गई है।
कोलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बादल याग्निक के कहा कि लेबल कुल कंस्ट्रक्शन लागत का करीब एक-चौथाई है। लेबर लागत साल में 25 प्रतिशत बढ़ने के कारण कंस्ट्रक्शन बजट बढ़ गया और इससे ऑपरेशनल खर्चों में इजाफा हुआ है।
याग्निक ने आगे कहा कि स्किल्ड लेबर की आवश्यकता और प्रशिक्षण, सुरक्षा और विनियामक अनुपालन के लिए संबंधित लागतें बढ़ती श्रम लागतों को और बढ़ा देती हैं।
निर्मित गुणवत्ता की जागरूकता में वृद्धि और सुविधा संपन्न गेटेड समुदायों की बढ़ती मांग ने आवासीय डेवलपर्स को सामान्य रूप से अपनी अचल संपत्ति की पेशकश को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है और इस प्रकार आवासीय खंड में निर्माण लागत में वृद्धि हुई है।
कोलियर्स इंडिया के सीनियर डायरेक्टर और रिसर्च हेड, विमल नादर के मुताबिक रियल एस्टेट क्षेत्रों में निर्माण लागत बढ़ने के बावजूद, वाणिज्यिक और औद्योगिक और वेयरहाउसिंग क्षेत्रों में 2024 के दौरान मजबूत नई आपूर्ति देखी गई है।
भारतीय ऑफिस मार्केट में 2024 के पहले नौ महीनों में 37 मिलियन वर्ग फुट नई आपूर्ति देखी गई, जबकि औद्योगिक और वेयरहाउसिंग सेगमेंट में लगभग 22 मिलियन वर्ग फुट नई आपूर्ति देखी गई।
समग्र निर्माण लागत और संबंधित चुनौतियों में लगातार वृद्धि से निपटने के लिए, डेवलपर्स बजट का पुनर्मूल्यांकन करके लागत का अनुकूलन कर रहे हैं।
–आईएएनएस
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