नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को कहा कि भारत में हाइड्रोजन का युग शुरू हो गया है। इसी कड़ी में देश 2030 तक हर वर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखता है।
इससे ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत 3.50 डॉलर प्रति किलोग्राम से घटकर 3 डॉलर प्रति किलोग्राम हो गई, जिससे आयात पर 150 बिलियन डॉलर की बचत हुई है।
केंद्रीय मंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि सरकारी कंपनियां (पीएसयू) 2030 तक 1 एमएमटी क्षमता हासिल करने की योजना बना रही हैं और 42 किलो टन प्रति वर्ष (केटीपीए) के लिए टेंडर बढ़कर 170 केटीपीए हो जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री पुरी ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ग्लोबल हाइड्रोजन मार्केट का 10 प्रतिशत हिस्सा हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि लगभग 900 केटीपीए क्षमता वाली 19 कंपनियों को ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट पहले ही आवंटित किए जा चुके हैं।
एक अलग एक्स पोस्ट में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता, तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक और चौथा सबसे बड़ा रिफाइनर होने के नाते भारत वैश्विक ऊर्जा समीकरण के केंद्र में है।
केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा, “651.8 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) रिकवरेबल कच्चे तेल और 1,138.6 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) रिकवरेबल प्राकृतिक गैस के साथ, देश छिपी हुई ऊर्जा संभावनाओं को पेश करने के लिए तैयार है।”
उन्होंने कहा कि देश अपस्ट्रीम एक्टिविटीज को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश, वित्तीय प्रोत्साहन और नीति को सरल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री के अनुसार, पिछले दशक में नए एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (एनईएलपी) से हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन और लाइसेंसिंग पॉलिसी (एचईएलपी), ‘प्रोडक्शन शेयरिंग’ व्यवस्था से ‘रेवेन्यू शेयरिंग’ व्यवस्था और ओपन एक्रेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) राउंड शुरू करने जैसे साहसिक सुधार देखे गए हैं।
ओएएलपी राउंड एक्स सबसे बड़ा टेंडर राउंड था, जिसमें 1.92 लाख वर्ग किमी क्षेत्र उपलब्ध कराया गया था।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हमारी कोशिशों ने शानदार नतीजे दिए हैं। एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन (ईएंडपी) में 1.4 लाख करोड़ रुपए के निवेश से बड़ी तरक्की हुई है। वित्त वर्ष 25 में 578 कुएं खोदे गए, जो 35 वर्षों में ओएनसीजी का एक आंकड़ा है। साथ ही, मजबूत ऑफशोर प्रोग्राम सहित 5,000 से अधिक एक्सप्लोरेटरी और डेवलपमेंट कुएं भी खोदे गए।”
–आईएएनएस
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