नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में 2 महीने बाद आईआईटी दिल्ली का पहला विदेशी कैंपस शुरू हो जाएगा। यहां जनवरी 2024 से पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले शुरू किए जाएंगे। गुरूवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यूएई की प्रारंभिक शिक्षा राज्य मंत्री और अध्यक्ष (एडीईके) सारा मुसल्लम के साथ भी बातचीत की।
उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
–आईएएनएस
जीसीबी/एबीएम
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नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में 2 महीने बाद आईआईटी दिल्ली का पहला विदेशी कैंपस शुरू हो जाएगा। यहां जनवरी 2024 से पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले शुरू किए जाएंगे। गुरूवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यूएई की प्रारंभिक शिक्षा राज्य मंत्री और अध्यक्ष (एडीईके) सारा मुसल्लम के साथ भी बातचीत की।
उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में 2 महीने बाद आईआईटी दिल्ली का पहला विदेशी कैंपस शुरू हो जाएगा। यहां जनवरी 2024 से पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले शुरू किए जाएंगे। गुरूवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यूएई की प्रारंभिक शिक्षा राज्य मंत्री और अध्यक्ष (एडीईके) सारा मुसल्लम के साथ भी बातचीत की।
उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में 2 महीने बाद आईआईटी दिल्ली का पहला विदेशी कैंपस शुरू हो जाएगा। यहां जनवरी 2024 से पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले शुरू किए जाएंगे। गुरूवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यूएई की प्रारंभिक शिक्षा राज्य मंत्री और अध्यक्ष (एडीईके) सारा मुसल्लम के साथ भी बातचीत की।
उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में 2 महीने बाद आईआईटी दिल्ली का पहला विदेशी कैंपस शुरू हो जाएगा। यहां जनवरी 2024 से पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले शुरू किए जाएंगे। गुरूवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यूएई की प्रारंभिक शिक्षा राज्य मंत्री और अध्यक्ष (एडीईके) सारा मुसल्लम के साथ भी बातचीत की।
उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
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उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में 2 महीने बाद आईआईटी दिल्ली का पहला विदेशी कैंपस शुरू हो जाएगा। यहां जनवरी 2024 से पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले शुरू किए जाएंगे। गुरूवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यूएई की प्रारंभिक शिक्षा राज्य मंत्री और अध्यक्ष (एडीईके) सारा मुसल्लम के साथ भी बातचीत की।
उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में 2 महीने बाद आईआईटी दिल्ली का पहला विदेशी कैंपस शुरू हो जाएगा। यहां जनवरी 2024 से पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले शुरू किए जाएंगे। गुरूवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यूएई की प्रारंभिक शिक्षा राज्य मंत्री और अध्यक्ष (एडीईके) सारा मुसल्लम के साथ भी बातचीत की।
उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में 2 महीने बाद आईआईटी दिल्ली का पहला विदेशी कैंपस शुरू हो जाएगा। यहां जनवरी 2024 से पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले शुरू किए जाएंगे। गुरूवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यूएई की प्रारंभिक शिक्षा राज्य मंत्री और अध्यक्ष (एडीईके) सारा मुसल्लम के साथ भी बातचीत की।
उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में 2 महीने बाद आईआईटी दिल्ली का पहला विदेशी कैंपस शुरू हो जाएगा। यहां जनवरी 2024 से पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले शुरू किए जाएंगे। गुरूवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यूएई की प्रारंभिक शिक्षा राज्य मंत्री और अध्यक्ष (एडीईके) सारा मुसल्लम के साथ भी बातचीत की।
उन्होंने आईआईटी अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली के अंतरिम कैम्पस का दौरा भी किया। प्रधान ने कहा कि ऊर्जा रूपांतरण और निरंतरता पर पहला पीजी पाठ्यक्रम जनवरी 2024 में आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर में शुरू होगा। प्रधान ने आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर को सहायता देने के लिए सारा मुसल्लम और अबू धाबी नेतृत्व की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत-यूएई दोस्ती का एक प्रतिरूप होगा। जायद विश्वविद्यालय स्थित आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी के अंतरिम कैम्पस के दौरे के दौरान प्रधान ने कहा कि यह हमारे दोनों देशों के नेतृत्व के साझे विजन और प्राथमिकताओं का साक्षी है। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर भारत की शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हमारे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि इससे आपसी समृद्धि और वैश्विक कल्याण के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के ढेर सारे अवसर खुलेंगे। आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी परिसर द्वारा 2024 में अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और कई स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। यहां सतत ऊर्जा और जलवायु अध्ययन से संबंधित अनुसंधान केंद्रों के साथ ही साथ कंप्यूटिंग और डेटा विज्ञान से संबंधित कार्यक्रमों को संचालित किए जाने की संभावना है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी द्वारा ऊर्जा और स्थिरता, कृत्रिम आसूचना, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, गणित और कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग, विज्ञान और मानविकी के अन्य विषयों को कवर करते हुए विविध कार्यक्रमों की पेशकश किए जाने की भी संभावना है।
धर्मेन्द्र प्रधान ने अबू धाबी में संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद से भी मुलाकात की। इस दौरान भारत एवं संयुक्त अरब अमीरात के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों पर जोर दिया गया। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक के दौरान, प्रधान ने दोनों देशों की बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने तथा आगे बढ़ाने पर सार्थक चर्चा की।
बैठक में भारत और यूएई के बीच लंबे समय से चले आ रहे स्थायी मैत्री संबंधों के साथ-साथ मजबूत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष जोर देने के साथ सहयोग के अवसरों की खोज सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है।