नई दिल्ली, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में निर्यात आधारित विकास को प्राथमिकता देते हुए भारत वर्तमान में स्वदेशी बौद्धिक संपदा (आईपी) वाले कम से कम 25 चिपसेट पर काम कर रहा है।
केंद्रीय रेल और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि वर्तमान में 13 ऐसी परियोजनाएं चल रही हैं, जिनका नेतृत्व सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक), बेंगलुरु कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आईपी का स्वामित्व ‘सुरक्षा’ सुनिश्चित करते हुए हमें सेवा प्रधान राष्ट्र से उत्पाद प्रधान राष्ट्र में बदलता है।
उन्होंने कहा कि इन चिप्स का निर्माण उभरते हुए सेमीकंडक्टर फैब घरेलू स्तर पर ही करेंगे।
इस लक्ष्य की ओर, सरकार देश भर में 300 से अधिक संगठनों में सेमीकंडक्टर डिजाइन अप्रोच के सिस्टमैटिक ऑवरहॉल प्रक्रिया में है, जिसमें 250 शैक्षणिक संस्थान और 65 स्टार्टअप शामिल हैं।
आईटी मंत्रालय के अनुसार, इन कदमों का उद्देश्य क्रिएटिविटी को सक्षम करने के युग की शुरुआत करना है।
इस प्रक्रिया में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण ‘भारत में डिजाइन उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि ‘मेक इन इंडिया’ के अनुरूप चिप डिजाइन को लोकतांत्रिक बनाया जाएगा।
सीटूएस कार्यक्रम का उद्देश्य सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन में विशेषज्ञता प्राप्त बीटेक, एमटेक और पीएचडी स्तरों पर इंडस्ट्री रेडी 85,000 मैनपावर तैयार करना है।
कार्यक्रम छात्रों को चिप डिजाइन, निर्माण और परीक्षण में पूर्ण व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है।
सी-डैक में स्थापित सबसे बड़े संयंत्रों में से एक के रूप में सी2एस कार्यक्रम के तहत एक ‘चिपइन सेंटर’ स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर डिजाइन कम्युनिटी के डोर-स्टेप तक चिप डिजाइन इंफ्रास्ट्रक्चर को लाना है।
इस साल फरवरी में चिप डिजाइन में एक नया सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) का उद्घाटन किया गया था, ताकि सेमीकंडक्टर और चिप डिजाइन इंडस्ट्री में स्किल्ड प्रोफेशनल की मांग पूरी की जा सके। चिप डिजाइन में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (एनआईईएलआईटी) ने अपने नोएडा कैंपस में लॉन्च किया था।
–आईएएनएस
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